पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज होने और पाकिस्तान की संसद भंग किए जाने के बाद अब पाकिस्तान के विपक्षी दल इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. ऐसे में अब इमरान खान के सियासी भविष्य का फैसला चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल के हाथ में है. अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और संसद भंग किए जाने के मामले पर आज सुनवाई होनी है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, सुनवाई के दौरान नेशनल असेंबली के स्पीकर की ओर से अटॉर्नी जनरल पेश होंगे.
चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने दो अन्य जजों के साथ इस मामले पर खास तौर पर बैठक ली और आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बहस होगी. चीफ जस्टिस उमर ने कहा यहां एक जरूरी मामला है और सभी राजनीतिक दलों को और राज्य के पदाधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं.
बता दें कि चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल 16 सितंबर, 2023 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देंगे. वह उन न्यायाधीशों में से एक थे जिन्होंने नवंबर 2007 के अनंतिम संवैधानिक आदेश (पीसीओ) के तहत अपनी शपथ फिर से लेने से इनकार कर दिया था, जब जनरल मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को आपातकाल की घोषणा कर दी थी.
2007 में राष्ट्रपति मुशर्रफ को दी थी चुनौती
आपको बता दें कि साल 2007 में तत्कालीन पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की आपातकाल की घोषणा के बाद बंदियाल ने दोबारा शपथ लेने से इनकार कर दिया था. 'डॉन' की रिपोर्ट के मुताबिक बंदियाल ने न्यायाधीशों के घोटाले और कई मामलों पर बड़े पैमाने पर बैकलॉग को न्यायपालिका के सामने प्रमुख चुनौती बताया था. साथ ही बंदियाल ने जजों के फैसलों की आलोचना करने के बजाय पाकिस्तानी मेनस्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया की जजों पर हमला करने के लिए आलोचना की थी.
मुशर्रफ ने लगाया था आपातकाल
परवेज मुशर्रफ ने साल 3 नवंबर 2007 में पाकिस्तान में इमरजेंसी लगा दिया था. लेकिन उनके ऊपर ये मामला दिसंबर 2013 में दर्ज़ हुआ था. इस वक्त नवाज़ शरीफ़ सत्ता में थे. वही नवाज़ शरीफ, जिनसे सत्ता छीनकर मुशर्रफ पावर में आए थे. कोर्ट में मामला लंबा चला. और इस बीच मार्च 2016 में मुशर्रफ इलाज़ करवाने इस वादे के साथ देश छोड़कर चले गए कि वो वतन लौटकर आएंगे.