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Pakistan New Government: पाकिस्तान में PML(N)-PPP की सरकार, 25 फरवरी को PM चुने जाएंगे Shehbaz Sharif, India के लिए क्या है इसका मतलब

Pakistan New PM: शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) देश में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सरकार की अगुवाई करेंगे. उनको 25 फरवरी को संसद में प्रधानमंत्री चुना जाएगा. उसके बाद राष्ट्रपति और सीनेट के चेयरमैन का चुनाव होगा. शहबाज शरीफ की सरकार को अवामी नेशनल पार्टी (ANP) और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (BNP) जैसे छोटे दलों का भी समर्थन होगा.

Shahbaz Sharif Shahbaz Sharif

पाकिस्तान में सरकार बनाने को लेकर नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) और बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP में सहमति बन गई है. पूर्व प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अगुवाई में सरकार का गठन किया जाएगा. संसद में 25 फरवरी को प्रधानमंत्री का चुनाव होगा. हालांकि पीपीपी ने कहा है कि उनका समर्थन सशर्त होगा और मामलों के आधार पर इसकी समीक्षा की जाएगी.

पीपीपी की क्या है मांग-
पीपीपी कैबिनेट में कोई भी पद नहीं लेगी. लेकिन प्रधानमंत्री पद के लिए शहबाज शरीफ का समर्थन करेगी. शहबाज शरीफ पहले भी प्रधानमंत्री रह चुके हैं. वो नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीपीपी राष्ट्रपति का पद, संसद के ऊपरी सदन के अध्यक्ष और 4 राज्यों में से 2 राज्यों में राज्यपाल का पद चाहती है.

क्या कहते हैं आंकड़े-
342 सीट वाले नेशनल असेंबली में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PMLN) के पास 79 सीट और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के पास 54 सीटें हैं. जबकि सरकार बनाने के लिए 172 सीट की जरूरत है. इस गठबंधन को अवामी नेशनल पार्टी (ANP) और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (BNP) जैसे छोटे दलों का भी समर्थन है. इमरान खान के समर्थित 93 उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत दर्ज की है. लेकिन सरकार बनाने केलिए नंबर गेम में ये काफी नहीं है. इमरान खान की पार्टी ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है.

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गठबंधन के सामने चुनौतियां-
PML(N) और PPP में सरकार बनाने को लेकर सहमति हो गई है. लेकिन पीपीपी का समर्थन सशर्त है, जो मामलों के आधार पर फैसले की समीक्षा करेगा. पीपीपी का ये रवैया सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है. फिलहाल पाकिस्तान को वित्तीय संकट से बाहर निकालने के लिए सरकार के कड़े फैसलों की जरूरत है. लेकिन सरकार को हर फैसले के लिए पीपीपी की तरफ देखना होगा. इतना ही नहीं, सरकार के सामने जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन वाले विपक्षी गुट की भी चुनौती है. इस तरह से देखा जाए तो पाकिस्तान की सरकार में स्थिरता का अभाव रहेगा और हमेशा सरकार पर संकट के बादल मंडराते रहेंगे.

मार्च में पाकिस्तान के साथ आईएमएफ का करार खत्म हो रहा है. गठबंधन की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती IMF के सख्त शर्तों पर सहमत होना होगा. इसके साथ ही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) जैसे घाटे में चल रही राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का निजीकरण भी एक बड़ी चुनौती है. इस मसले पर दोनों पार्टियों का राय अलग-अलग है. पीएमएलएन निजीकरण का समर्थन करती है, जबकि पीपीपी इसका विरोध करती है. ऐसे में इस मसले पर सहमति बनाना बड़ी चुनौती होगी.

25 फरवरी को पीएम का चुनाव-
शहबाज शरीफ की अगुवाई में पीएमएलएन और पीपीपी गठबंधन की सरकार बनेगी. 25 फरवरी को संसद में प्रधानमंत्री का चुनाव होगा. उसके बाद राष्ट्रपति और सीनेट के अध्यक्ष का चुनाव होगा. उधर, इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है और चुनाव नतीजों को खारिज कर दिया है. पीटीआई ने विरोधी दलों पर जनादेश चुराने का आरोप लगाया है. ऐसे बड़े जनाधार वाले सियासी दल के विरोध के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी.

भारत के लिए क्या है इसका मतलब-
भारत और पाकिस्तान के संबंध पिछले कुछ सालों से काफी खराब हैं. लेकिन चुना प्रचार के दौरान पूर्व पीएम नवाज शरीफ कई बार भारत से संबंधों को सुधारने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि जब आपके पड़ोसी आपसे नाराज हैं तो आप ग्लोबल दर्जा कैसे पा सकते हैं? उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को भारत और अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को ठीक करना होगा. उन्होंने चीन और ईरान के साथ संबंधों को और मजबूत करने की बात कही थी.

डॉन की एक रिपोर्ट के मुताबिक नवाज शरीफ ने अपने प्रधानमंत्री काल में दो भारतीय प्रधानमंत्रियों के पाकिस्तान दौरे की भी याद दिलाई. जिसमें साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी और साल 2015 में नरेंद्र मोदी की यात्रा शामिल है. नवाज शरीफ ने इन दौरों को याद करते हुए सवाल किया कि क्या उनसे पहले कोई आया था? इतना ही नहीं, नवाज शरीफ ने काउंटिंग के दौरान भी कहा था कि अल्लाह ने चाहा तो हमारे पड़ोसियों के साथ संबंध बेहतर होंगे.

भारत से रिश्ते बेहतर बनाने को लेकर नवाज शरीफ भले ही कुछ भी कहें, लेकिन ये सच है कि भारत को लेकर कोई भी रणनीति पाकिस्तानी सेना ही तय करती है. अब देखना होगा कि पाकिस्तान की नई सरकार भारत के साथ कैसे संबंध रखती है.

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