पाकिस्तान में हिन्दुओं को लेकर कुछ खास और अच्छा इतिहास नहीं रहा है. अक्सर हमने पाकिस्तान में हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों, धर्मपरिवर्तन के बारे में सुना होगा. हालांकि पहली बार ऐसा हुआ है कि पाकिस्तान में एक हिन्दू पुलिस अफसर बना है. इस पुलिस अधिकारी का नाम राजेंद्र मेघवार है. राजेंद्र ने फैसलाबाद के गुलबर्ग में सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) का पद हासिल किया है. हालांकि पाकिस्तान में बहुत कम ही ऐसे हिंदू हैं, जो सेना, पुलिस से लेकर अदालत तक में बड़े पदों तक पहुंचे हैं. चलिए आपको उन हिंदुओं के बारे में बताते हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में बड़ी सफलता हासिल की है.
पुलिस अफसर राजेन्द्र मेघवार-
पाकिस्तान में राजेन्द्र मेघवार ने पाकिस्तान पुलिस सेवा (PSP) में शामिल होने वाले पहले हिंदू हैं. वो एक साधारण परिवार से आते हैं. वो सिंध प्रांत के ग्रामीण और आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र बादिन के रहने वाले हैं. मेघवार ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से ये मुकाम हासिल किया है. पाकिस्तान टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजेंद्र ने कहा कि पुलिस बल में काम करके उन्हें अपने समुदाय विशेष तौर पर अल्पसंख्यकों के लिए महत्वपूर्ण योगदान देने का मौका मिलेगा. उन्होंने कहा कि पुलिस में रहकर हम सीधे लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जो हम दूसरे विभागों में नहीं कर सकते.
रूपमती ने भी पास की CSS परीक्षा-
सीएसएस (CSS) पास करने के बाद मेघवार को पाकिस्तान पुलिस सेवा (पीएसपी) के फैसलाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया है. आपको बता दें कि सिर्फ राजेन्द्र मेघवार ही नहीं हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में हिन्दुओं का सिर गर्व से ऊंचा किया है. उनके अलावा पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की रूपमती ने भी सीएसएस परीक्षा पास की है. रहीम यार खान की रहने वाली रूपमती विदेश मंत्रालय में काम करना चाहती हैं.
सिंध की पहली महिला पुलिस अफसर-
पुष्पा कोहली पहली हिंदू महिला हैं, जिन्होंने पाकिस्तान में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर का पद मिला था. पुष्पा कोहली सिंध प्रांत के मीरपुरखास जिले के समारो कस्बे की रहने वाली हैं. इनकी ये उपलब्धि सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय और महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है. पुष्पा इस बात का जीता-जागता सबूत हैं कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल हासिल कर सकता है.
पुष्पा कोहली ने साल 2019 में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर पद के लिए परीक्षा दी थी. उसके बाद उनका चयन हुआ था. पुष्पा अनुसूचित जाति के आती हैं. उनके पिता किराने की दुकान चलाते हैं और मां जनसंख्या कल्याण विभाग में परिवार नियोजन अधिकारी हैं.
पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला लोकसेवक-
डॉक्टर सना रामचंद गुलवानी पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला लोकसेवक हैं. सना ने सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज (CSS) परीक्षा पास कर यह उपलब्धि हासिल की. डॉक्टर सना रामचंद गुलवानी सेंट्रल सुपीरियर सर्विसेज परीक्षा साल 2020 में पास करने के बाद पाकिस्तान प्रशासनिक सेवा (पीएएस) में शामिल हुईं थीं. गुलवानी ने पहले प्रयास में ही परीक्षा पास की थी. सना के माता-पिता चाहते थे कि वो डॉक्टर बने. सना सिंध प्रांत के शिकारपुर की रहने वाली हैं.
लेफ्टिनेंट कर्नल बनने वाले पहले हिंदू अफसर-
मेजर अनिल कुमार और मेजर डॉ कैलाश कुमार को लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर प्रमोट किया गया है. पाकिस्तान आर्मी प्रमोशन बोर्ड ने इनके प्रमोशन को इजाजत दी थी.
मेजर डॉ कैलाश कुमार सिंध प्रांत के थारपारकर जिले से हैं. वो साल 2019 में पाकिस्तान में मेजर बनने वाले पहले हिंदू अधिकारी थे. कैलाश कुमार ने लियाकत यूनिवर्सिटी से MBBS किया है. उनका जन्म साल 1981 में हुआ और साल 2008 में कैप्टन के तौर पर सेना में भर्ती हुए थे.
मेजर अनिल कुमार कैलाश कुमार के छोटे भाई हैं. उन्होंने साल 2007 में सेना ज्वाइन किया था. बाद में उनको लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर प्रमोट किया गया.
पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला जज-
पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला जज सुमन पवन बोदानी हैं. सुमन कम्बर शाहदकोट की रहने वाली हैं और अपने शहर में जज के तौर पर नियु्क्त हुईं. उन्होंने हैदराबाद से एलएलबी की डिग्री ली है. इसके बाद उन्होंने कराची के सैयद जुल्फिकार अली भुट्टो साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट से लॉ में मास्टर्स की डिग्री हासिल की. उनके पिता का नाम पवन कुमार बोदान है. पवन बोदान आई स्पेशलिस्ट हैं. उनका भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर और बहन चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं.
पाकिस्तान के पहले हिंदू चीफ जस्टिस-
पाकिस्तान के पहले हिंदू चीफ जस्टिस राणा भगवानदास थे. उनको साल 2007 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बनाया गया था. वो चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठने वाले पहले और इकलौते हिंदू जज थे. भगवानदास सिर्फ 4 महीने के लिए इस पद पर थे. जस्टिस भगवानदास ने साल 2007 में जनरल मुशर्रफ के संवैधानिक आदेश के तहत शपथ लेने से इनकार कर दिया था.
(ये स्टोरी यामिनी सिंह ने लिखी है. यामिनी GNTTV.COM पर बतौर इंटर्न काम करती हैं.)
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