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Pakistan: जुल्फिकार अली भुट्टो के कभी खासमखास थे जनरल जिया उल हक, फिर मौका मिलते ही छीन ली थी प्रधानमंत्री की कुर्सी

जुल्फिकार अली भुट्टो को पाकिस्तान के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक माना जाता था, लेकिन साल 1977 में पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल जिया उल हक के नेतृत्व में सेना ने तख्तापलट कर दिया था. इसके बाद तीन सितंबर 1977 को जुल्फिकार को गिरफ्तार कर लिया गया था. 

Zulfikar Ali Bhutto and General Zia Ul Haq (photo twitter) Zulfikar Ali Bhutto and General Zia Ul Haq (photo twitter)
हाइलाइट्स
  • 5 जुलाई 1977 के दिन सेना ने किया था तख्तापलट

  • जनरल जिया उल हक ने संभाल ली थी देश की कमान

पाकिस्तान में सेना ने कई बार तख्तापलट कर देश पर अपना कब्जा जमाया है. आज हम बात कर है पाक के सबसे ताकतवर नेता कि जिन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था. जी हां, 5 जुलाई 1977 के दिन जनरल मोहम्मद जिया उल हक के नेतृत्व में पाकिस्तान की सेना ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो से सत्ता छीन ली थी. जिया को खुद प्रधानमंत्री भुट्टो ने सेना प्रमुख के पद पर पदोन्नत किया था. वह कभी उनका खासमखास था लेकिन समय के साथ दोनों के रिश्ते में खटास आ गई थी.

भनक तक नहीं लगने दी थी
जनरल मोहम्मद जिया उल हक ने बहुत ही चतुराई से तख्तापलट किया था और सत्ता पर कब्जा जमा लिया था. इसकी भनक प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को नहीं लगी थी. वह कई दिनों से इसकी फिराक में था. ऑपरेशन फेयर प्ले जनरल जिया उल हक की ओर से प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए किए गए सैन्य तख्तापलट का कोड नाम था. तख्तापलट के दौरान हिंसा देखने को तो नहीं मिली लेकिन भुट्टो की सत्तारूढ़ वामपंथी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और दक्षिणपंथी पाकिस्तान नेशनल अलायंस के बीच राजनीतिक संघर्ष जरूर देखने को मिला. इसी गठबंधन ने भुट्टो पर 1977 के चुनाव में धांधली करने के आरोप लगाए थे.

चुनावी धांधली और भ्रष्टाचार के लगे थे आरोप
तख्तापलट के बाद, भुट्टो की सरकार पर चुनावी धांधली और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया, जिसके परिणामस्वरूप राजनीतिक उथल-पुथल और नागरिक अशांति हुई. जब भुट्टो सरकार पर 1977 के आम चुनावों में धांधली का आरोप लगाया गया तो पूरे देश में व्यापक विरोध और प्रदर्शन हुए. जनरल जिया उल-हक ने कहा था कि देश अराजकता में डूब गया था, इसलिए उन्होंने मार्शल लॉ घोषित कर दिया और संविधान को निलंबित कर दिया और निर्वाचित विधानसभाओं को भंग कर दिया. इसके बाद भुट्टो को एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की कथित हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया. इस मुकदमे की राजनीति से प्रेरित होने और उचित प्रक्रिया की कमी के कारण व्यापक रूप से आलोचना की गई, जिसके कारण व्यापक विरोध प्रदर्शन और अंतरराष्ट्रीय निंदा हुई. भुट्टो का मुकदमा मार्च 1978 में समाप्त हुआ और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई.  

आखिरी समय रावलपिंडी जेल में गुजारे
18 मार्च 1978 को जुल्फिकार अली भुट्टो की जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला आया और लाहौर हाईकोर्ट ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई. जुल्फिकार अली भुट्टो ने अपनी जिंदगी के आखिरी समय रावलपिंडी जेल में गुजारे. यही से उन्होंने फैसले के खिलाफ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट में अपील भी की, लेकिन अदालत ने उनकी अपील ठुकरा दी. तीन अप्रैल 1979 की रात दो बजकर चार मिनट पर जुल्फिकार अली भुट्टो को रावलपिंडी जेल में ही फांसी पर लटका दिया गया.

11 साल तक तानाशाह रहे जिया
जनरल जिया उल हक का जन्‍म और पढ़ाई दोनों ही भारत में हुई थी. उनका जन्‍म 12 अगस्‍त 1924 को पंजाब के जालंधर में हुआ था जबकि पढ़ाई दिल्‍ली के सेंट स्‍टीफंस कॉलेज में हुई थी. देश के बंटवारे के बाद वह पाकिस्‍तान चले गए. तख्तापलट के बाद जिया ने 90 दिनों के भीतर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने का वादा किया था. वहीं चुनाव का आयोजन 1985 के बाद के आम चुनाव तक नहीं हुआ. जिया उल हक 11 साल तक तानाशाह बने सत्ता में बैठे रहे. बाद में एक विमान हादसे में उसकी मौत हो गई. जिया उल हक की मौत के बाद पाकिस्तान में नागरिक शासन में परिवर्तन के बाद संसदीय लोकतंत्र की वापसी हुई. तख्तापलट के बाद से पाकिस्तान में कई बदलाव देखे गए. पाकिस्तान में इस्लामीकरण बढ़ता गया. अफगानिस्तान में सोवियत के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान ने अफगान मुजाहिद्दीन (अमेरिका और सऊदी अरब द्वारा फंडिड) में भी भागीदारी की.

क्या होता है तख्तापलट
तख्तापलट किसी भी देश में आने वाली वो स्थिति है जब सेना, अर्द्धसैनिक बल या फिर विपक्षी पार्टी वर्तमान सरकार को हटाकर खुद सत्ता पर काबिज हो जाती है. मिलिट्री कूप एक खास तरह का तख्तापलट होता है, जब सेना सरकार पर काबिज हो जाती है. मिलिट्री कूप यानी सैन्‍य तख्‍तापलट में सेना, सरकार को हटाकर सिर्फ एक दिखावटी असैन्‍य सरकार को स्‍थापित कर देती है. तख्तापलट शब्‍द का प्रयोग 19वीं सदी से चलन में आया है. उस समय लैटिन अमेरिका, स्‍पेन और पुर्तगाल में तख्‍तापलट की कई घटनाएं हुई थीं.