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BIMSTEC Summit में प्रधानमंत्री मोदी ने लिया हिस्सा, कही ये बड़ी बातें, जानें क्या है बिम्सटेक और भारत के लिए क्यों है खास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज पांचवें बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में शामिल हुए. यह शिखर सम्मेलन वर्चुअली आयोजित हुआ. सम्मेलन की मेजबानी संगठन के वर्तमान अध्यक्ष श्रीलंका ने की. फिलहाल इस संगठन में सात सदस्य देश है.

BIMSTC Flag (Photo: bimstec.org) BIMSTC Flag (Photo: bimstec.org)
हाइलाइट्स
  • BIMSTEC शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने लिया हिस्सा

  • 7 देश हैं इस संगठन के सदस्य

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज BIMSTEC (बिम्सटेक) शिखर सम्मेलन में भाग लिया. यह 5वां सम्मेलन था और इसकी मेजबानी श्रीलंका  ने की. पीएम मोदी ने वर्चुअली इस सम्मेलन में भाग लिया. इस कोलंबो शिखर सम्मेलन का विषय "बिम्सटेक-एक क्षमतावान क्षेत्र, समृद्ध अर्थव्यवस्था, और स्वस्थ लोग" था.

मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि अब क्षेत्रीय सहयोग एक बड़ी प्राथमिकता बन गया है. यूरोप में चल रहे रूस-यूक्रेन संकट ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता पर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं. उन्होंने बिम्सटेक सेंटर फॉर वेदर को सक्रिय केंद्र बनाने पर जोर दिया और कहा कि इसके लिए भारत 30 लाख डॉलर खर्च करने को तैयार है. 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि अब बंगाल की खाड़ी को संपर्क, समृद्धि और सुरक्षा का सेतू बनाने का समय आ गया है. उन्होंने सभी बिम्सटेक देशों को साथ में आकर 1997 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक नए उत्साह से काम करने के लिए खुद को समर्पित करने को कहा. 

क्या है BIMSTEC:

BIMSTEC का पूरा नाम बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फार मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-आपरेशन है. जिसका मतलब है 'बंगाल की खाड़ी की वर्तमान बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल.'

BIMSTEC बंगाल की खाड़ी के पास स्थित देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है. इसमें बंगाल की खाड़ी के आसपास के सात सदस्य राज्य शामिल हैं. बिम्सटेक में दक्षिण एशिया के पांच सदस्य- बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल व श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के दो सदस्य- म्यांमार और थाईलैंड शामिल हैं.

यह संगठन दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच एक अनूठी कड़ी का गठन करता है. इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों को आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देना और सामान्य हितों के पक्ष पर काम करना है. 

कैसे हुई शुरूआत:

बात अगर BIMSTEC की स्थापना और विकास की करें तो भारत के प्रयास पर जून 1997 में ‘BIST-EC’ (बिस्ट-ईसी) समूह (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) की स्थापना बैंकॉक में हुई थी. बाद में, दिसंबर 1997 में म्यांमार इसमें शामिल हुआ. जिसके बाद इसका नाम ‘BIMST-EC’ कर दिया गया. 

फिर फरवरी 2004 में नेपाल और भूटान इसमें शामिल हुए और तब संगठन का नाम बदलकर बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन कर दिया गया. इसका मुख्यालय बांग्लादेश की राजधानी ढाका में है.

इन सेक्टर्स में हो रहा है काम:

BIMSTEC संगठन 15 सेक्टर्स में सहयोग का काम कर रहा है- व्यापार, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, मत्स्य पालन, कृषि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, आतंकवाद निरोध, पर्यावरण, संस्कृति, लोगों का लोगों से सम्पर्क, जलवायु परिवर्तन. 

BIMSTEC के सिद्धांत:

  • समान संप्रभुता
  • क्षेत्रीय अखंडता
  • राजनीतिक स्वतंत्रता
  • आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करना
  • शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व
  • पारस्परिक लाभ
  • सदस्य देशों के बीच अन्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग को प्रतिस्थापित करने के बजाय अन्य विकल्प प्रदान करना

भारत के लिए खास है BIMSTEC:

BIMSTEC में भारत की अहम् भूमिका है. यह भारत की तीन प्रमुख नीतियों को बढ़ने का अवसर देता है: जिसमें नेबरहुड फर्स्ट (सीमा के पास स्थित देशों को प्रधानता), एक्ट ईस्ट (भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है) और इंडो पैसिफिक शामिल है. इसके जरिए भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने का एक नया मंच मिल रहा है. 

हालांकि, अभी भी इस संगठन ने अपनी पूरी संभावना को हासिल नहीं किया है. और सभी देश चाहते हैं कि इस मामले में भारत अगुवाई करे. यह क्षेत्र अपनी विविधता के लिये जाना जाता है. इसलिए सभी सदस्य राष्ट्रों को आपस में तालमेल बनाने और उपलब्ध संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में काम करने की आवश्यकता है.