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PM Modi Egypt Visit: यूएस के बाद मिस्र की यात्रा पर पीएम मोदी, 11वीं सदी के Al-Hakim Mosque जाएंगे, जानें इसका इंडिया से कनेक्शन

पीएम मोदी 25 जून 2023 को मिस्र की राजधानी काहिरा स्थित अल-हकीम मस्जिद का दौरा करेंगे. इस मस्जिद का भारत से खास लगाव है. आइए इस मस्जिद के बारे में जानते हैं. 

अल-हकीम मस्जिद का पीएम मोदी करेंगे दौरा (फोटो ट्विटर) अल-हकीम मस्जिद का पीएम मोदी करेंगे दौरा (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • मिस्र के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी को दिया था आने के लिए निमंत्रण 

  • 25 जून 2023 को अल-हकीम मस्जिद का करेंगे दौरा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी ऐतिहासिक अमेरिकी राजकीय यात्रा समाप्त करने के बाद मिस्र के लिए रवाना हो गए हैं. वह 24 से 25 जून 2023 तक मिस्र की यात्रा पर रहेंगे. इस दौरान पीएम मोदी मिस्र की राजधानी काहिरा में 11वीं सदी की अल-हकीम मस्जिद का दौरा भी करेंगे. आइए जानते हैं इस मस्जिद की खासियत और क्या है इसका इंडिया से कनेक्शन?

पीएम मोदी आधा घंटा बिताएंगे मस्जिद में 
प्रधानमंत्री मोदी 25 जून 2023 को अल-हकीम मस्जिद में लगभग आधा घंटा बिताएंगे.यह काहिरा में एक ऐतिहासिक और प्रमुख मस्जिद है जिसका नाम 16वें फातिमिद खलीफा अल-हकीम द्वि-अम्र अल्लाह (985-1021) के नाम पर रखा गया है. इस मस्जिद को अल-अनवर के नाम से भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है प्रबुद्ध शैली. मस्जिद का निर्माण मूल रूप से अल-हकीम द्वि-अम्र अल्लाह के पिता खलीफा अल-अजीज बिल्लाह ने 10वीं शताब्दी के अंत में कराया था, बाद में साल 1013 में अल-हकीम ने इसके निर्माण को पूरा किया था. यह मस्जिद इस्लामिक काहिरा के केंद्र में, अल-मुइज स्ट्रीट के पूर्व की ओर, बाब अल-फुतुह (फातिमिद काहिरा के उत्तरी शहर के द्वारों में से एक) के ठीक दक्षिण में स्थित है.

13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में है  मस्जिद
अल-हकीम मस्जिद काहिरा में फातिमिद वास्तुकला और इतिहास का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है. आयताकार मस्जिद 13,560 वर्ग मीटर के क्षेत्र में है, जिसमें से 5000 वर्ग मीटर के केंद्र में बड़ा आंगन या साहन है. शेष क्षेत्र को मस्जिद के प्रत्येक तरफ चार कवर हॉल में विभाजित किया गया है, जिसमें बेत अल सलात या अभयारण्य क्षेत्र और किबला दीवार की ओर प्रार्थना कक्ष है, जो 4,000 वर्ग मीटर में सबसे बड़ा है और इसमें पांच खंड शामिल हैं. 

दो विशिष्ट मीनारें हैं
मस्जिद के उत्तर और पश्चिम कोनों पर दो विशिष्ट मीनारें हैं, जिन्हें 1010 में स्वयं अल-हकीम ने उनके चारों ओर एक चौकोर मुख्य भाग जोड़कर संशोधित किया था. इस मस्जिद में 11 दरवाजे हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण मुख्य द्वार पर स्थित केंद्रीय दरवाजा है, जो पत्थर से बना है. गेट में एक प्रमुख बरामदा है जिसके सिरे पर ट्यूनीशिया की महदिया मस्जिद के समान नक्काशीदार आले और वर्ग हैं.

बोहरा समुदाय का मुख्य निवास है भारत
छह वर्षों तक चले पुनरुद्धार कार्य के बाद इस शिया मस्जिद अल-हाकीम को इसी वर्ष फरवरी में दोबारा खोला गया था. इस मस्जिद का पुनरुद्धार करवाने में बोहरा समुदाय का योगदान रहा. बोहरा समुदाय का मुख्य निवास भारत है. मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने इस भारतीय मुस्लिम समुदाय से खासे प्रभावित हैं. दाऊदी-बोहरा समुदाय का मिस्र से और और पीएम मोदी का खास कनेक्शन है. इसी वर्ष फरवरी में पीएम ने मुंबई में इस समुदाय के शैक्षणिक संस्थान अल जामिया-तुस-सैफियाह अरब अकादमी के नए कैंपस का उद्घाटन किया था. उससे पहले भी 2018 में वो इंदौर में बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 

भारत दाऊदी बोहरा समुदाय के सबसे बड़ा केंद्र
दाऊदी बोहरा समुदाय के मिस्र से संबंधों की है तो इस समुदाय का भारत में प्रवेश ही मिस्र से माना जाता है. कहा जाता है कि मिस्र से दाऊदी बोहरा समुदाय का एक जत्था 11वीं शताब्दी में भारत आया था. आज भारत दाऊदी बोहरा समुदाय के सबसे बड़ा केंद्र है. दुनियाभर में इस समुदाय की करीब 10 लाख आबादी है जिसका सबसे बड़े हिस्सा भारत में है. गुजरात के सूरत में मस्जिद-ए-मोअज्जम दाउदी बोहरा समुदाय की सबसे बड़ी मस्जिद है. दाऊदी बोहरा समुदाय में शिक्षा पर काफी जोर रहता है और वह मुस्लिमों में सबसे अमीर भी होते हैं. दाऊदी बोहरा समुदाय ने ही मिस्र में अल-अजहर यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी. इसे आज भी दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में गिना जाता है.