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Pope Francis Funeral: पोप फ्रांसिस की वसीयत… वेटिकन नहीं, बल्कि एक अलग चर्च में होना चाहते थे दफन, जानें क्यों?

ज्यादातर पोप वेटिकन के St. Peter’s Basilica की ग्रोटो में दफनाए जाते हैं. लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस परंपरा को तोड़ने का फैसला लिया है. वे चाहते हैं कि उन्हें Santa Maria Maggiore में दफनाया जाए वो भी सादगी के साथ, सिर्फ एक ताबूत में, जिसमें होगा उनके जीवन और पोप बनने की जानकारी वाला एक दस्तावेज और उनके वर्षों के प्रतीक रूप में कुछ सिक्के.

Pope Francis Pope Francis

पोप फ्रांसिस जिन्होंने दुनिया को करुणा, प्रेम और मानवता का पाठ पढ़ाया अब अपने जीवन के अंतिम अध्याय में प्रवेश कर चुके हैं. लेकिन उनकी अंतिम इच्छा ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है.क्या वाकई पोप को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा? जी हां, आपने सही पढ़ा! पोप फ्रांसिस, जिन्होंने दुनिया के 100 से ज्यादा देशों की यात्रा की, हर बार रोम लौटकर एक ही जगह गए Basilica of Santa Maria Maggiore, रोम का एक प्राचीन चर्च, जिसे Blessed Virgin Mary को समर्पित किया गया है.

2015 में ही उन्होंने इच्छा जताई थी कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें इसी चर्च में दफनाया जाए. यह चर्च 5वीं सदी में बना था, और आखिरी बार यहां 17वीं सदी में किसी पोप को दफनाया गया था Pope Clement IX को.

तो सवाल उठता है क्यों?
क्यों उन्होंने वेटिकन को छोड़ एक सादगीपूर्ण, आध्यात्मिक जगह चुनी? दरअसल, पोप फ्रांसिस का Mary के प्रति विशेष लगाव था. उन्होंने अपनी हर अंतरराष्ट्रीय यात्रा के बाद Santa Maria Maggiore में जाकर प्रार्थना की, ध्यान लगाया. यह उनका अध्यात्मिक ठिकाना था. अब वे मरने के बाद भी इसी साए में रहना चाहते हैं.

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अंतिम संस्कार कैसे होगा?

1. शरीर को तैयार करना 
पोप की मृत्यु की पुष्टि डॉक्टर करते हैं. इसके बाद उनकी अंतिम यात्रा शुरू होती है. उनके प्राइवेट चैपल में शरीर को श्रद्धांजलि दी जाती है. इस प्रक्रिया की अगुवाई करते हैं Camerlengo जो कि पोप के चीफ ऑफ स्टाफ होते हैं.

क्या आपको पता है? ऐतिहासिक कथाओं के अनुसार, पोप के मरने की पुष्टि एक विशेष रिवाज से होती थी एक चांदी की हथौड़ी से माथे पर तीन बार थपथपाकर. हालांकि, इसका कोई ठोस दस्तावेजी प्रमाण नहीं है, लेकिन इस परंपरा की कहानी आज भी रोम की गलियों में फुसफुसाई जाती है.

2. पोप की अंगूठी की 'तोड़फोड़'
हर पोप के पास होती है एक अनोखी अंगूठी Fisherman’s Ring. इस पर एक मछुआरे की आकृति बनी होती है, जो सेंट पीटर के प्रतीक हैं. यह अंगूठी पोप के दस्तावेजों को वैध ठहराने के लिए इस्तेमाल होती है.

लेकिन मृत्यु के बाद इसपर क्रॉस बना दिया जाता है. यह संकेत होता है कि अब कोई भी व्यक्ति उस अंगूठी का इस्तेमाल नहीं कर सकता.

3. दर्शन और अंतिम विदाई
इसके बाद पोप के शरीर को सफेद कपड़ों और लाल वस्त्रों में सजाया जाएगा, और एक साधारण लकड़ी के ताबूत में रखा जाएगा. फिर इसे St. Peter’s Basilica ले जाया जाएगा, जहां लोग उन्हें श्रद्धांजलि देंगे.

पहली बार होगा यह बदलाव
जहां पहले पोप की बॉडी ऊंचे मंच (catafalque) पर रखी जाती थी, अब इसे साधारण ताबूत में खुला रखा जाएगा ताकि लोग उन्हें एक सादे, विनम्र पादरी के रूप में याद रखें, न कि किसी शासक की तरह.

अब आता है सबसे चौंकाने वाला मोड़- दफन की जगह.
ज्यादातर पोप वेटिकन के St. Peter’s Basilica की ग्रोटो में दफनाए जाते हैं. लेकिन पोप फ्रांसिस ने इस परंपरा को तोड़ने का फैसला लिया है. वे चाहते हैं कि उन्हें Santa Maria Maggiore में दफनाया जाए वो भी सादगी के साथ, सिर्फ एक ताबूत में, जिसमें होगा उनके जीवन और पोप बनने की जानकारी वाला एक दस्तावेज और उनके वर्षों के प्रतीक रूप में कुछ सिक्के.

ऐसा क्यों? क्योंकि पोप फ्रांसिस हमेशा से ‘शाही ठाठ’ से दूर, एक साधारण पादरी की तरह जीना चाहते थे. उनका मानना था कि पोप होने का मतलब राजशाही नहीं, बल्कि सेवा और प्रेम है.

अब आगे क्या?
पोप के अंतिम संस्कार के बाद शुरू होगा Novendialis, यानी 9 दिनों तक चलने वाली विशेष प्रार्थनाएं. यह परंपरा रोमन संस्कृति से प्रेरित है, जहां मृत्यु के बाद नौवें दिन मृत आत्मा को अंतिम श्रद्धांजलि दी जाती थी.

कौन देंगे अंतिम श्रद्धांजलि?
पिछले पॉप्स की परंपरा रही है कि अंतिम प्रवचन किसी वरिष्ठ कार्डिनल द्वारा किया जाता है. पोप बेनेडिक्ट के अंतिम संस्कार में फ्रांसिस ने स्वयं प्रवचन दिया था.

अब जब बारी उनकी खुद की है, तो यह दायित्व संभवतः Cardinal Giovanni Battista Re के पास होगा, हालांकि वे 91 साल के हो चुके हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह परंपरा जारी रह पाएगी.