हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर में 'फ्री ट्रेड' के मकसद से शुरू हुए क्वॉड का सबसे बड़ा उदेश्य अब चीन को अपनी मनमानी करने से रोकना है. जो 'साउथ चाइना सी' में भी विस्तारवादी नीति के जरिए लगातार अपना दावा ठोंक रहा है. चीन अपनी मनमानी के ही जरिए भारत समेत दूसरे देशों पर अपनी बढ़त बनाने पर जुटा है. इस कवायद में क्वॉड देशों के बीच का तालमेल ही उसे सबसे बड़ी रुकावट लग रही है. चीन ये मान बैठा है कि अमेरिका के नेतृत्व में क्वॉड के दूसरे सदस्य देश उसके हितों को नुकसान पहुंचाने का काम कर रहे हैं. भारत का क्वॉड संगठन से जुड़े होने की वजह से चीन ज्यादा चिढ़ा हुआ है. चीन को लगता है कि अगर भारत का अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे महाशक्तियों से गठबंधन मजबूत होता है. तो उसकी विस्तारवादी सोच के आघात पहुंचेगा.
दक्षिण कोरिया भी चाहता है QUAD में इंट्री-
दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक-योल एशिया प्रशांत में चीन के बढ़ते दखल को सीमित करने के लिए क्वॉड का हिस्सा बनने की ख्वाहिश जाहिर कर चुके हैं. चीन से अपने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिए उन पर लगातार दबाव है. ऐसे में दक्षिण कोरिया के नए राष्ट्रपति यून सुक-योल का भी जोर क्वॉड के साथ आने का है. दक्षिण कोरिया भी चीन का पड़ोसी देश है. यही वजह है कि अमेरिका के करीबी साउथ कोरिया के क्वॉड से जुड़ने की चर्चा भी चीन को चिंता में डाल रही है.
'प्लान चतुर्भुज'
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए यह मीटिंग काफी अहम साबित होने वाली है. चारों राष्ट्रों के हित हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. हिंद-प्रशांत में शांति और स्थिरता के लिए यह चारों राष्ट्र (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) 'प्लान चतुर्भुज' के तहत चीन की घेराबंदी करने की तैयारी में हैं जो कि चारों दिशाओं से चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाएंगे.
विस्तारवाद पर लगेगा विराम?-
सिर्फ दक्षिण कोरिया ही नहीं, बल्कि चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान कई और देश भी QUAD को एक महत्वपूर्ण मंच के तौर पर देखने लगे हैं. यही वजह है कि पूरी दुनिया की नजरें क्वॉड देशों की होने वाली बैठक पर है. इसी मीटिंग में बेलगाम होते चीन पर चर्चा होगी. इस दौरान रणनीति भी बनेगी कि चीन के बढ़ते खतरे से कैसे निपटा जाए. सभी चाहते हैं कि चीन पर लगाम लगाई जाए. लेकिन ज्यादातर पश्चिमी देशों की मुश्किल ये है कि वो चीन से इतनी दूरी पर हैं कि वो सीधा चीन पर असर नहीं डाल सकते. इसलिए उन्हें भारत का साथ चाहिए. क्वॉड का सदस्य होने और मजबूत होती इकॉनमी की वजह से भारत को दबा पाना चीन के लिए आसान नहीं है. ऐसे में अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया के साथ उसकी बढ़ती नजदीकी चीन के लिए चिंता का सबब बन गई है. और इसीलिए चीन बौखलाया हुआ है. दावा कर रहा है कि क्वॉड समिट कामयाब नहीं होगी. चीन क्वॉड को एशियाई नाटो बता रहा है.
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