इजरायल और हमास के बीच चल रहा युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. इसका असर ग्लोबल ट्रेड भी पड़ा है. अब एक बार फिर से ग्लोबल ट्रेड खतरे में है. हाल के सप्ताहों में, यमन स्थित हुतियों ने गाजा पर इजरायल की चल रही बमबारी के जवाब में, लाल सागर और स्वेज नहर से गुजर रहे कमर्शियल शिपिंग जहाजों पर हमला कर दिया है. यमन से शुरू हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों से टैंकरों और मालवाहक जहाजों को निशाना बनाया गया है. इसकी वजह से लाल सागर वाला व्यापार मार्ग लगभग ठप हो गया है.
लाल सागर इतना जरूरी क्यों है?
पंप पर पेट्रोल की कीमत से लेकर नए इलेक्ट्रॉनिक नए डिवाइस की उपलब्धता तक सब कुछ जिबूती (Djibouti) और यमन के बीच इस केवल 20 मील चौड़ी पानी की नहर पर निर्भर करती है. ये जहाज भी इसी जलमार्ग में हैं, जिनपर हूती गोलीबारी कर रहे हैं. इस पूरे पैच को बाब-अल-मंडेब कहा जाता है, जो दुनिया में सबसे सघन शिपिंग चैनल का हिस्सा है.
150 साल पहल खुला था ये
ये नजर 150 साल से भी ज्यादा समय पहले खुली थी, जिसने वैश्विक व्यापार में क्रांति ला दी थी. ये अमेरिका और यूरोप तथा मध्य पूर्व और एशिया के बीच एक शॉर्टकट बन गया था. वैश्विक व्यापार का लगभग 12% लाल सागर से होकर गुजरता है, जिसमें 30% वैश्विक कंटेनर ट्रैफिक भी शामिल है. अरबों डॉलर का व्यापारिक सामान और आपूर्ति हर साल लाल सागर से होकर गुजरती है. इसका मतलब है कि वहां अगर देरी होती है तो दुनिया भर का ग्लोबल ट्रेड प्रभावित हो सकता है.
हूती क्या कर रहे हैं?
द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, शुरुआत में यह कहा जा रहा था कि केवल इजरायल जाने वाले जहाजों को ही निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन ऐसा नहीं है. दूसरे देशों में जाने वाले जहाजों को भी निशाना बनाया जा रहा है, जिससे व्यापार के लिए खतरा बढ़ गया है.
अमेरिका ने किया जवाबी हमला
जवाब में, फ्रांसीसी, ब्रिटिश और अमेरिकी नौसेना के जहाजों ने उनके कुछ ड्रोन और मिसाइलों को मार गिराया है. इतना ही नहीं सोमवार को अमेरिका ने घोषणा की कि उसने उन देशों के साथ एक गठबंधन बनाया जो दक्षिणी लाल सागर में जहाजों की सुरक्षा के लिए गश्त करने पर सहमत हुए हैं.
हालांकि, मोहम्मद अल-बुखैती नाम के हूती सदस्य ने अल जजीरा को बताया है कि उनका समूह अमेरिका द्वारा गठित किसी भी गठबंधन का सामना करने के लिए तैयार है.
कई कंपनी नहीं कर रही है लाल सागर का उपयोग
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह में मार्सक, हापाग लॉयड और एमएससी सहित प्रमुख शिपिंग कंपनियों ने लाल सागर का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया है. थिंकटैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार, बाजार हिस्सेदारी के हिसाब से दस सबसे बड़ी शिपिंग कंपनियों में से सात ने लाल सागर में शिपिंग निलंबित कर दी है.
इतना ही नहीं कुछ जहाजों को अफ्रीका के दक्षिणी सिरे पर केप ऑफ गुड होप के आसपास भेजा जा रहा है, जिससे यात्रा का समय दो सप्ताह तक बढ़ रहा है.
उपभोक्ताओं पर क्या असर होगा?
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर जहाजों पर हमले जारी रहे और तेल कंपनियां लाल सागर के माध्यम से शिपमेंट रोकती रहीं, तो तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. ऐसे में शिपिंग कंपनियों के पास केवल 2 ही ऑप्शन हैं. पहला, लाल सागर के माध्यम से यात्रा करने के जोखिम का सामना करें या अपने जहाजों को दूसरे मार्गों की तरह मोड़ दें.