स्पेन में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरडिसिप्लिनरी फिजिक्स एंड कॉम्प्लेक्स सिस्टम्स के शोधकर्ताओं की एक छोटी टीम ने इसे "World Wide Waste Web" प्रणाली की शुरुआत की है. जिसका उपयोग दुनिया भर में खतरनाक कचरे की आवाजाही को ट्रैक करने के लिए किया जा रहा है.
नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित अपने पेपर में, इन रिसर्चर्स ने वेस्ट वेब को बनाने के बारे में उल्लेख किया है. साथ ही, इस सिस्टम के जरिए उन्होंने दुनियाभर में खतरनाक कचरे के व्यापार बारे में बताया है.
क्या है कचरा व्यापार
शोधकर्ताओं ने नोट किया है कि दुनियाभर में हर साल लगभग 7 से 10 अरब मीट्रिक टन कचरा पैदा होता है. इसमें से लगभग 300 से 500 मीट्रिक टन खतरनाक कचरा है. इतनी बड़ी मात्रा में कचरे को संभालने के लिए Waste Business यानि कचरे के व्यापार की शुरुआत हुई.
जैसा कि हम सब जानते हैं कि कुछ देश अपना कुछ कचरा दूसरे देशों में भेजते हैं. और जो देश यह कचरा अपने यहां लेते हैं उन्हें इसके लिए भुगतान किया जाता है. इस व्यापार का उद्देश्य है कि किसी एक का कचरा दूसरे के लिए संसाधन हो सकता है. इसलिए देशों के बीच कचरे का व्यापार होता है. कई बार कचरे को प्रोसेस करने पर कीमती चीजें मिलती हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक्स में सोना.
28 देश हैं खतरे में
बताया जा रहा है कि शोधकर्ताओं ने इस बिजनेस की स्टडी की और Waste Web सिस्टम बनाया. उन्होंने 2001 से 2019 तक के दुनिया भर के देशों से एकत्र किए गए डेटा का उपयोग करके यह सिस्टम बनाया है. उन्होंने पाया कि बेसल कन्वेंशन समझौतों का पालन करने वाले देशों ने 1.4 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक खतरनाक कचरे की जानकारी दी है.
आपको बता दें कि बहुत सी इंडस्ट्रियल यूनिट्स से ज्यादा मात्रा में हानिकारक केमिकल, मेटल, रेडियोएक्टिव वेस्ट निकलता है जो खतरनाक है. वेस्ट वेब मॉडल का उपयोग करके, उन देशों की पहचान की जा सकती है जो इस खतरनाक कचरे का आयात और निर्यात करते हैं. रिसर्चर्स ने पाया कि दुनिया में 28 देश ऐसे हैं जो इस खतरनाक कचरे के कारण जोखिम में हैं.
जरूरी है जागरूकता
इन देशों ने इस खतरनाक कचरे का सही से निस्तारण नहीं किया है और गलत तरह से इसे डंप किया गया है. इन डंपिंग साइट्स के पास रहने वाले लोगों को त्वचा संबंधित परेशानियां होने की संभावना है. साथ ही, इससे पर्यावरण का लगातार हनन हो रहा है. इसलिए इस बारे में जागरूकता फैलाना बहुत जरूरी है.
रिसर्चर्स का दावा है कि उनके मॉडल को आने वाले समय में ग्लोबल लेवल पर कचरे की समस्या से निपटने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.