ब्रिटेन जाना भारतीयों के लिए और मुश्किल होने जा रहा है. वीजा को लेकर ऋषि सुनक सरकार ने कुछ बड़े बदलाव किए हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने देश में कौन आ सकता है, इसे लेकर फैसला किया है. इसके पीछे का मकसद ब्रिटेन आने वाले लोगों की संख्या को कम करना है. इसकी मदद से हर साल लगभग सैकड़ों हजारों लोगों का आना-जाना कम करने का लक्ष्य रखा गया है. इस फैसले से लगभग 300,000 लोग प्रभावित होने वाले हैं. यानि अब इन लोगों को ब्रिटेन में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. ऋषि सुनक का कहना है कि ये नए नियम काफी अलग हैं और इसकी वजह से अप्रवासियों (immigrants) के लिए चीजें काफी बदल जाएंगी.
वर्क वीजा को लेकर हुए बदलाव
अगर आप यूके में काम करना चाहते हैं, तो आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है. अप्रवासियों या फॉरेन वर्कर्स को वर्क वीजा लेने के लिए ज्यादा पैसे कमाने की जरूरत होने वाली है. इसके अलावा, यूके में रहने के लिए परिवार के सदस्यों को अपने साथ लाना भी मुश्किल हो जाएगा. इसका विशेष रूप से विदेशी स्वास्थ्य कर्मियों पर असर पड़ेगा, जो अब अपने परिवारों को वीजा पर नहीं ला सकते हैं.
न्यूनतम कमाने होंगे इतने पैसे
दूसरे देशों से यूके आने वाले लोगों को अब ज्यादा पैसे (66% की वृद्धि) कमाने होंगे. नियमों के मुताबिक, अगर आप ब्रिटेन के लिए विदेशी हैं तो आपकी न्यूनतम सैलरी लिमिट £38,700 होनी चाहिए. पहले ये सीमा £26,200 थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है. हालांकि, इसमें विशेष रूप से, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यकर्ताओं को छूट दी जाएगी.
क्यों लिया गया ये फैसला?
पीएम ऋषि सुनक ब्रिटेन में आने वाले लोगों की संख्या में कमी लाना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वे इन बदलावों को लेकर काम कर रहे हैं. सरकार बाहर से आ रहे लोगों को कम करना चाहती है.
गौरतलब है कि पिछले साल, 745,000 के रिकॉर्ड के साथ बहुत सारे लोग यूके आए थे. ब्रिटेन के गृह सचिव, जेम्स क्लेवरली का कहना है कि वे आने वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए कड़ी कार्रवाई कर रहे हैं.
छात्रों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
बता दें, छात्रों को अपने परिवार को लाने से रोकने के लिए पहले से ही नियम मौजूद हैं. जनवरी से शुरू होकर, अधिकांश फॉरेन ग्रदुएट छात्रों को अपने परिवारों को यूके में लाने की अनुमति नहीं होगी. हालांकि, इन बदलावों की विपक्ष के नेताओं द्वारा आलोचना हो रही है. उनका कहना है कि इन नियमों से ब्रिटेन को कोई मदद नहीं मिलेगी बल्कि इससे प्राइवेट बिजनेस और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चीजें मुश्किल हो जाएंगी. ये क्षेत्र पहले से ही वर्कर्स की कमी झेल रहे हैं.