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दो देशों की आपसी लड़ाई का नतीजा! भुखमरी, गरीबी और 20 साल में 10 लाख से ज्यादा मौतें!

यमन में 2011 की क्रांति के बाद अली अब्दुल्ला सालेह को हटा दिया गया था ,बाद में इनकी हत्या भी कर दी गई थी. 2011 में इस विद्रोह के वक्त यमन की जीडीपी 2.47 लाख करोड़ रुपए थी जो 2021 में महज 2 लाख करोड़ रूपए ही बची है. मौजूदा विवाद आज भी बना हुा है और आए दिन हूती विद्रोहियों के मारे जाने खी खबरें आती रहता हैं.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
हाइलाइट्स
  • रूस- यूक्रेन के बीच जारी तनाव बढ़ता जा रहा है

  • इससे पहले अलग-अलग देशों ने कई लड़ाइया लड़ी हैं

  • जिसके नतीजे काफी बुरे रहे हैं.

रूस-यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. दुनिया इसे तीसरे विश्व युद्ध का नाम दे रही है. हालांक‍ि बीते दो दशक में दुनिया ने कई लड़ाइयां लड़ी हैं. इसमें अफगानिस्तान, यमन, सीरिया ऐसे देश हैं जिन्हें युद्ध में सिर्फ तबाही मिली. इन युद्धों में 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए. ऐसे में जाहिर है रूस -यूक्रेन के बीच हो रही लड़ाई के नतीजे भी बुरे ही होने वाले हैं. आईये जानते हैं उन देशों के बारे में जो आज भी आंतरिक लड़ाई लड़ रहे हैं और आज वहां पर हालात बद से बदतर हैं. 

तालिबान राज और अफगानिस्तान

पूरे 20 साल के युद्ध के बाद अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से लौटना पड़ा. आज तालिबान के शासन में अफगानिस्तान (Afghanistan) की हालत बद से बदतर हो गई है. बढ़ती तंगहाली से लोग परेशान हो चुके हैं. हालात इतने खराब हैं कि लोग परिवार चलाने के लिए अपनी किडनी तक बेचने को मजबूर हो गए हैं. 

बता दें कि 2001 में जीडीपी करीब 19 हजार करोड़ रूपए थी. वहीं 2001 में अफगानिस्तान की प्रति व्यक्ति आय 200 डॉलर थी जो 2021 में तालिबानी राज के बाद एक साल के भीतर 20 अरब डॉलर से घटकर 16 अरब डॉलर हो गई, जो 20 फीसदी कम है. ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के हैं.  

तालिबानियों ने अफगानिस्तान की महिलाओं को काम करने की आजादी नहीं देने का फैसला किया और इसके साथ ही 1 अरब डॉलर या देश के सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत तक का तत्काल आर्थिक नुकसान हुआ और ये लगातार बढ़ता जा रहा है. 

इराक में भी हालात नाजुक 

अमेरिका ने इराक से 2003 में सद्दाम की सत्ता का खात्मा किया. लेकिन वहां आज भी आंतरिक युद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है. सद्दाम की सत्ता के खात्मे की लड़ाई के बाद आज इराक की अर्थव्यवस्था कर्ज में डूबी हुई है. वहीं इस जंग में एक लाख से ज्यादा इराकी मारे गए हैं. 

सीरिया जंग में भयानक गरीबी का सामना कर रहे लोग

सीरिया और अमेरिका की लड़ाई 2011 में शुरू हुई और अब तक जारी है. हाल ही में सीरिया की बशर अल-असद सरकार ने अपने ही लोगों पर रासायनिक हमले किए लेकिन सीरिया की सरकार का दावा है कि ये हमले अमेरिका ने ब्रिटेन, फ्रांस जैसे सहयोगियों के साथ हवाई हमले किए हैं. इस बीच सीरिया के करीबी दोस्‍त रूस ने यह धमकी दी है कि पश्चिमी ताकतों के इस हमले के बाद दुनिया में तीसरे विश्‍व युद्ध का खतरा बढ़ गया है. सीरिया की आंतरिक लड़ाई शिया-सुन्‍नी झगड़े के रूप में भी  देखी जाती है. आए दिन सीरिया में जारी इस जंग में लोगों के मारे जाने की खबरें आती रहती हैं. आज इस देश में करीब 60 फीसदी लोग भयानक गरीबी का सामना कर रहे हैं. 2011 में जहां सीरिया की जीडीपी 4.84 लाख करोड़ रूपए थी. तो वहीं 2021 में घटकर 2.05 ही बची है. 

यमन में भुखमरी का दौर

यमन भी गृहयुद्ध में उलझा हुआ है. इस उलझन के साथ यमन अब अकाल और महामारी का सामना भी कर रहा है.  दरअसल यमन में जारी गृहयुद्ध की असली वजह हूती विद्रोहियों को बताया जाता है.  हूती शिया मुसलमान हैं, जिन्हें ईरान का समर्थन हासिल है. यमन के बाक़ी हिस्सों में ज्यादातर सुन्नी मुसलमानों हैं और हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ बमबारी करने का नेतृत्व सऊदी अरब ने शुरू किया था.  ऐसे में यहां पर दो तरह की लड़ाई जारी है पहली सांप्रदायिक और दूसरी क्षेत्रीय. 

यमन में 2011 की क्रांति के बाद अली अब्दुल्ला सालेह को हटा दिया गया था ,बाद में इनकी हत्या भी कर दी गई थी.  2011 में इस विद्रोह के वक्त यमन की जीडीपी 2.47 लाख करोड़ रुपए थी जो 2021 में महज 2 लाख करोड़ रूपए ही बची है. मौजूदा विवाद आज भी बना हुा है और आए दिन हूती विद्रोहियों के मारे जाने की खबरें आती रहती हैं. 

ऐसे में जाहिर है कि युद्ध किसी मसले का हल नहीं है. लेकिन फिर भी जंग होती हैं. ये जंग लोगों, समाजों और देशों के बीच होती ही रहती है. अलग -अलग देश अपनी आन बान और शान की खातिर लड़ाइयां लड़ते हैं.  यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध इसी का नतीजा है. ऊपर दिए गए अलग- अलग देशों के युद्ध के नतीजे इस बात का गवाह हैं कि युद्ध विनाश की भयावह तस्वीर पेश करते हैं.