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शोधकर्ताओं का कमाल! मृत पक्षियों को ड्रोन की तरह कर रहे इस्तेमाल...इंसानों की जासूसी में आएंगे काम

शोधकर्ताओं ने विशेष टेक्नीक डेवलेप की हैजिसके तहत वो टैक्सिडर्मिड मृत पक्षियों को ड्रोन में बदलने का काम कर रहे हैं. इसका उपयोग जासूसी करने के लिए किया जाएगा.

कुछ साल पहले, पीटर मैकइंडो ने एक व्यंग्यात्मक थ्योरी दी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि 'पक्षी असली नहीं होते हैं.' इस बात को बहुत प्रमुखता मिली और उनके लाखों अनुयायी हुए. वायरल सिद्धांत मानता है कि पक्षी वास्तव में अमेरिकी नागरिकों की जासूसी करने के लिए संयुक्त राज्य सरकार द्वारा संचालित ड्रोन हैं.

न्यू साइंटिस्ट ने बताया कि अब ऐसा लगता है कि मजाक जल्द ही एक वास्तविकता में बदल सकता है क्योंकि वैज्ञानिकों ने टैक्सिडर्मिड मृत पक्षियों को ड्रोन में बदलने का एक तरीका खोज लिया है जिसका इस्तेमाल जासूसी उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स साइटेक फोरम में पेश किए गए उनके पेपर के अनुसार, पक्षियों की तरह दिखने वाले ड्रोन को डिजाइन करने वाले शोधकर्ताओं ने कहा कि वे एक दिन वन्य जीवन को "निर्बाध और प्राकृतिक" देखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं या सेना द्वारा लोगों की जासूसी करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. 

इंसानों पर रखेंगे नजर
अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने पक्षियों के कुछ सामान्य रूप और गतियों को और अधिक बारीकी से बनाने के लिए टैक्सिडेरमी पक्षी भागों और कृत्रिम फड़फड़ाने वाले ड्रोन तंत्र को जोड़ा. प्रोजेक्ट पर काम कर रहे एक इंजीनियर के मुताबिक, ये ड्रोन मूल रूप से रिमोट से चलने वाले मिनी एयरक्राफ्ट हैं, जिनका इस्तेमाल दूर से ही इंसानों और जानवरों पर नजर रखने के लिए किया जा सकता है.

शेयर किया वीडियो
उन्होंने पक्षियों की तरह दिखने वाले ड्रोन का उपयोग करके दो फ्लाइट टेस्ट भी किए, जिसमें एक वास्तविक तीतर जैसा दिखने वाला पक्षी भी शामिल था. न्यू साइंटिस्ट ने अपने यूट्यूब अकाउंट पर ट्रायल रन का एक वीडियो भी शेयर किया है.न्यू मैक्सिको टेक में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के एक सहयोगी प्रोफेसर डॉ मुस्तफा हसनालियन ने कहा, "ड्रोन के निर्माण के लिए कृत्रिम सामग्री का उपयोग करने के बजाय, हम मृत पक्षियों का उपयोग कर सकते हैं और उन्हें ड्रोन के रूप में री- इंजीनियर कर सकते हैं." उन्होंने कहा,"कभी-कभी प्रकृति को देखने से हमें विभिन्न प्रकार की इंजीनियरिंग प्रणालियों के विकास और अनुकूलन के लिए सर्वोत्तम उत्तर मिलता है."

हालांकि, रिसर्च का मुख्य फोकस यह पता लगाना है कि फ्लैपी ड्रोन कैसे विशेषज्ञों को वन्यजीवों का अध्ययन करने में मदद कर सकते हैं, और वनों की कटाई और शिकारियों को ट्रैक करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.अभी तक, मृत पक्षी ड्रोन केवल एक प्रोटोटाइप हैं. वैज्ञानिकों ने अध्ययन में कहा, "एक अंतिम सुधार पैरों को जोड़ना होगा ताकि ड्रोन अधिक बैटरी का उपयोग किए बिना बैठ सके और निगरानी कर सके."