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World War II: 7 करोड़ मौत, बेरोजगारी, भूखमरी... 84 साल पहले आज के दिन ही शुरू हुए दूसरे विश्व युद्ध ने दुनिया को दिए ये जख्म

Second World War: 31 अगस्त 1939 को जर्मनी की सेना ने पोलैंड पर हमला कर दिया. इसके साथ ही दूसरे विश्व युद्ध का आगाज हुआ. इसके बाद धीरे-धीरे दुनिया के कई देश इसमें शामिल होते गए. दूसरे विश्व युद्ध में एक तरफ मित्र राष्ट्रों की सेनाएं थीं तो दूसरी तरफ धुरी राष्ट्र थे. दूसरे विश्व युद्ध का अंत 2 सितंबर 1945 को हुआ.

दूसरे विश्व युद्ध की एक सितंबर 1939 को हुई थी दूसरे विश्व युद्ध की एक सितंबर 1939 को हुई थी

दुनिया में सबसे बड़ी तबाही दूसरे विश्व युद्ध में हुई थी. इतिहास की सबसे बड़े खून-खराबे की शुरुआत आज यानी 31 अगस्त को साल 1939 में हुई थी. इस दिन ही जर्मनी की सेना ने पोलैंड पर हमला बोला था. इसके बाद में एक-एक करके कई देश इस युद्ध में शामिल होते गए और दुनिया में सबसे बड़ी तबाही हुई थी. इस युद्ध में ही दुनिया में पहली और आखिरी बार परमाण बम का इस्तेमाल हुआ था. जिसके बाद विश्व युद्ध का अंत हुआ था.

कैसे हुई दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत-
जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने पोलैंड को निशाना बनाने के लिए एक चाल चली थी. जर्मन सेना के कुछ सैनिक पोलैंड के यूनिफॉर्म पहनकर ग्लाइवित्स रेडियो स्टेशन पर कब्जा कर लिया था. इस स्टेशन से जर्मनी के खिलाफ संदेश दिया गया था. इसके बाद शुरू हुआ वो भयानक युद्ध, जिसे आज भी अगर कोई सुनता है तो उसकी रूह कांप जाती है. अपने खिलाफ संदेश के बाद जर्मनी की सेना ने पोलैंड पर चढ़ाई कर दी. लेकिन इस युद्ध में पोलैंड को ब्रिटेन और फ्रांस का साथ मिला. दोनों ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया.

दुनिया में हो गए थे दो गुट-
जर्मनी और पोलैंड के बीच शुरू हुए युद्ध में दुनिया दो हिस्सों में बंट गई थी. एक गुट को मित्र देश और दूसरे गुट को धुरी देश. मित्र राष्ट्र के मुख्य देश अमेरिका, यूएसएसआर, फ्रांस और ब्रिटेन थे. जबकि धुरी राष्ट्र में इटली, जर्मनी और जापान समेत कई राष्ट्र शामिल थे. मित्र देशों के प्रमुख नेता रूस के जोसेफ स्टालिन, अमेरिका के फ्रैंकलिन रूजवेल्ट और ब्रिटेन के विंस्टन चर्चिल थे, जबकि धुरी राष्ट्र के प्रमुख लीडर जर्मनी के एडोल्फ हिटलर, इटली के बेनिटो मुसोलिनी और जापान के हिरोरितो थे.

कैसे हुआ था दूसरे वर्ल्ड वॉर का अंत-
एक सितंबर 1939 को शुरू हुए दूसरे विश्व युद्ध का अंत 2 सितंबर 1945 को हुआ था. धुरी राष्ट्र के दो फैसलों की वजह से दूसरे विश्व युद्ध का अंत हुआ. 22 जून 1941 को जर्मनी ने 30 लाख सैनिकों के साथ यूएसएसआर पर हमला कर दिया था. जर्मन सेना मॉस्को के नजदीक पहुंच गए थे. लेकिन सर्दी ने जर्मन सेना का मनोबल तोड़ दिया. 2 साल में 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई. आखिरकार जर्मन कमांडर फ्रेडरिक पॉलस ने रूस की सेना के सामने सरेंडर कर दिया. ये सरेंडर जर्मनी की हार का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. उधर, 7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमाल बोल दिया था. इसके बाद अमेरिका ने जापान और धुरी राष्ट्र के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया. 9 जुलाई 1943 को मित्र सेनाओं ने सिसिली पर हमला कर दिया. कुछ हफ्तों में इटली के तानाशाह मुसोलिनी का तख्तापलट हो गया. इसके बाद धुरी राष्ट्रों की फिलीपींस, रोमानिया, हंगरी, बाल्कन में हार मिली. 30 अप्रैल 1945 को हिटलर अपनी पत्नी के साथ खुदकुशी कर लेता है. इसके बाद जर्मनी की हार का ऐलान होता है.
जर्मनी और इटली की हार के बाद भी जापान हार मानने को तैयार नहीं था. अमेरिका और ब्रिटेन जपान को सरेंडर पर जोर दे रहे थे. इसके बाद अमेरिका ने वो कर दिया, जिसे इंसानी इतिहास की सबसे बड़ी तबाही हुई. 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिरा दिया. इशके बाद 3 दिन बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया. इससे हुई तबाही ने जापान को सरेंडर के लिए मजबूर कर दिया. जापान के राजा हिरोहितो ने सरेंडर कर दिया और विश्व युद्ध का अंत हो गया.

किसको कितना हुआ था नुकसान-
दूसरे विश्व युद्ध में मित्र देशों के 6.1 करोड़ लोगों की मौत हुई थी. इसमें 1.6 करोड़ सैनिक और 4.5 करोड़ आम नागरिक थे. जबकि युद्ध में धुरी राष्ट्र के 80 लाख सैनिक मारे गए थे और 40 लाख आम लोगों की मौत हुई थी. इस युद्ध के बाद जर्मनी से नाजीवाद, इटली से फासीबाद और जापान से राजशाही का अंत हो गया.

दूसरे विश्व युद्ध का क्या हुआ असर-
दूसरे विश्व युद्ध के अंत के बाद दुनिया में न्यूक्लियर एज की शुरुआत हुई. अमेरिका और यूएसएसआर के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हुई. दुनिया के सबसे बड़े संगठन लीग ऑफ नेशंस को भंग कर दिया गया. इसकी जगह यूनाइटेड नेशंस की स्थापना की गई. दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया की आर्थिक हालत खराब थी. जिसकी वजह से दुनिया के नक्शे पर कई नए देशों का जन्म हुआ. एशिया और अफ्रीका के जिन देशों को अपनिवेश बनाया गया था, वो धीरे-धीरे आजाद होने लगे.

विश्व युद्ध के बाद महंगाई और बेरोजगारी चरम पर-
दूसरे विश्व युद्ध में ग्लोबल सप्लाई श्रृंखला ठप हो गई थी. जब युद्ध खत्म हुआ तो सामानों की मांग बढ़ने लगी. लेकिन इसकी आपूर्ति कम थी. महंगाई तेजी से बढ़ी. दूसरे विश्व युद्ध के पहले ही जर्मनी में बेरोजगारी चरम पर थी. 1930 से 1933 के बीच जर्मनी में बेरोजगारी 20 लाख से बढ़कर 60 लाख हो गई थी. दूसरे विश्व युद्ध में हंगरी की 40 फीसदी तक की संपत्ति खत्म हो गई थी. उस वक्त हर 15 घंटे में हंगरी में महंगाई बढ़ती थी. इस दौरान ही यूनाइटेड नेशंस मॉनिटरी एंड फाइनेंशियल कॉन्फ्रेंस की स्थापना की गई. जिसका मकसद दुनिया को विश्व युद्ध और आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों की मदद करना था.

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