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Shri Lanka संकट के लिए ठहराया जा रहा Rajapaksa परिवार को जिम्मेदार, जानिए एक-एक किरदार की कहानी

Shri Lanka Crisis: श्रीलंका की आर्थिक हालत बदतर हो गई है. जनता सड़क पर आ गई है और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति फरार हैं. प्रधानमंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और श्रीलंका इस हालात के लिए एक परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहा है. श्रीलंका की सियासत पर इस परिवार का कब्जा है.

महिंद्रा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे महिंद्रा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे
हाइलाइट्स
  • महिंद्रा राजपक्षे साल 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति रहे

  • गोटबाया राजपक्षे 2019 से अब तक राष्ट्रपति

श्रीलंका में वित्तीय संकट बेकाबू हो गया है. जनता ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को जान बचाकर भागना पड़ा है. उधर, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों ने उनके घर को जला दिया है. सेना को कमान संभालनी पड़ी है. श्रीलंका में हालात बद से बदतर हो गए हैं. कब क्या हो जाएगा. कोई नहीं जानता.

कैसे बर्बाद हुआ श्रीलंका-
अचानक श्रीलंका बर्बाद नहीं हुआ. धीरे-धीरे ये देश बर्बादी की गड्ढे में डूबता चला गया. और वहां की जनता इसके लिए सिर्फ और सिर्फ एक परिवार को जिम्मेदार मानती है. वो परिवार है राजपक्षे परिवार. इन आरोपों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. क्योंकि श्रीलंका के अर्थतंत्र पर इस परिवार का ही कब्जा है. श्रीलंका के बजट का 70 फीसदी इस परिवार के कब्जे में है. एक तरह से सियासत से लेकर अर्थव्यवस्था पर इस परिवार का कब्जा है. आरोप ये भी है कि इस परिवार ने खूब पैसा बनाया और देश को बर्बाद होने से लिए छोड़ दिया. राजपक्षे परिवार पर 42 हजार करोड़ रुपए गबन का आरोप है.
राजपक्षे परिवार के एक-एक किरदार एक से बढ़कर एक हैं.- सियासत के साथ अर्थव्यवस्था पर भी इनकी मजबूत पकड़ है. चलिए बताते हैं कि राजपक्षे परिवार में कौन-कौन है, जो श्रीलंका की सियासत में सक्रिय भूमिका में है और सत्ता में भागीदार है.

महिंद्रा राजपक्षे-
महिंद्रा राजपक्षे इस परिवार के सबसे ताकतवर शख्स हैं. ये श्रीलंका के प्रधानमंत्री थे. लेकिन जब देश की हालत खराब हुई तो इन्होंने 10 मई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. 76 साल के महिंद्रा राजपक्षे परिवार के मुखिया हैं. महिंद्रा राजपक्षे साल 2005 से 2015 तक देश के राष्ट्रपति रहे हैं. इससे पहले वो 2004 में श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी रहे हैं. महिंद्रा राजपक्षे के राष्ट्रपति कार्यकाल में एलटीटीई का खात्म कर दिया गया. महिंद्रा के इस कदम ने उनको खूब पॉपुलर बनाया. श्रीलंका में उन्होंने अपनी राष्ट्रवादी छवि पेश की. लेकिन जल्द ही उनकी अगुवाई में देश आर्थिक रूप से कमजोर करने लगे. श्रीलंका की बर्बादी का सबसे बड़ा सूत्रधार इनको ही माना जा रहा है. इनके राष्ट्रपति कार्यकाल में चीन से इनकी खूब बनी और इन्होंने विकास के नाम पर 7 अरब डॉलर उधार ले लिए. यही पैसा श्रीलंका के लिए मुसीबत बन गया.

गोटबाया राजपक्षे-
गोटबाया महिंद्रा राजपक्षे के छोटे भाई हैं. गोटबाया साल 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति बने. गोटबाया ने सेना में भी काम किया है. इसके अलावा वो रक्षा मंत्रालय में सेक्रेटरी भी रहे हैं. गोटाबाया ने 26 साल चले गृह युद्ध के दौरान एक कामयाब सैन्य अधिकारी के रूप में काम किया था. महिंद्रा राजपक्षे के राष्ट्रपति कार्यकाल में एलटीटीई को खत्म किया गया तो गोटबाया गोटबाया डिफेंस सेक्रेटरी थे. एलटीटीआई को जड़ से उखाड़ फेंकने का श्रेय इनको ही जाता है. गोटबाया ने अपने शासन में कई ऐसी पॉलिसी लाई. जिससे श्रीलंका वर्तमान संकट में फँसा है.

बासिल राजपक्षे-
राजपक्षे परिवार के तीसरे सदस्य बासिल राजपक्षे 71 साल के हैं. महिंद्रा राजपक्षे के शासन में बासिल वित्त मंत्री थे. इस दौरान बासिल ने खूब करप्शन किया. इनको मिस्टर 10 परसेंट भी कहा जाने लगा था. बासिल पर सरकारी खजाने में बड़ी हेराफेरी का आरोप लगा था. जब इनके बड़े भाई गोटबाया राष्ट्रपति बने तो इनपर लगे सभी केस खत्म कर दिए.

चामल राजपक्षे-
चामल राजपक्षे महिंद्रा राजपक्षे के बड़े भाई हैं. इस परिवार सबसे कम बदनाम चामल राजपक्षे हैं. लेकिन इनपर भी करप्शन के आरोप लग चुके हैं. चामल शिपिंग एंड एविएशन मिनिस्टर रह चुके हैं. इस्तीफा देने से पहले चामल सिंचाई विभाग संभाल रहे थे. चामल श्रीलंका की पहली महिला प्रधानमंत्री सिरिमावो भंडारनायके के बॉडीगार्ड रह चुके हैं.

नामल राजपक्षे-
नामल राजपक्षे महिंद्रा राजपक्षे के बड़े बेटे हैं. ये अभी 35 साल के हैं. साल 2010 में सिर्फ 24 साल की उम्र में सांसद बन गए थे. अभी ये खेल और युवा मंत्रालय संभाल रहे थे. लेकिन जब श्रीलंका आर्थिक संकट में फंसा तो इनको इस्तीफा देना पड़ा. नामल पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे हैं.

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