जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है, दुनिया भर के देश खुद को इसकी चुनौतियों से जूझते हुए पा रहे हैं. इनमें से, शहरों में आ रही बाढ़ (urban flooding) के खतरे से लोग बार-बार जूझ रहे हैं. इसने चीन से लेकर संयुक्त अरब अमीरात तक के क्षेत्रों को प्रभावित किया है. हालांकि, इन संकटों के बीच, 'स्पंज सिटी' (Sponge Cities) की स्ट्रेटेजी अपनाई जा रही है. इसकी मदद से बारिश के पानी को मैनेज किया जा सकता है.
स्पंज शहरों का कॉन्सेप्ट कहां से आया?
EuroNews के मुताबिक, स्पंज सिटी पानी के प्रबंधन के लिए एक प्रकृति-आधारित प्लान है. इसके तहत शहरों को बड़े स्पंज की तरह डिजाइन किया जाता है. इन शहरों को "स्पंज शहर" कहा है. बता दें, स्पंज शहर वो शहरी क्षेत्र होते हैं जहां पेड़ों, झीलों और पार्कों जैसी प्राकृतिक जगहों की भरमार होती है. इन्हें बारिश का पानी सोखने के लिए डिजाइन किया जाता है. ये जलवायु समस्याओं से लड़ने का एक तरह का प्राकृतिक तरीका है. यानी इसमें प्रकृति की मदद से बारिश को मैनेज किया जाता है.
स्पंज शहर क्यों मायने रखते हैं?
जलवायु परिवर्तन के साथ, भारी बारिश की वजह से बाढ़ आती है. कई शहर बाढ़ का सबसे भयानक रूप देख चुके हैं. कई लाख लोग इससे हर साल प्रभावित होते हैं. 2016 में नैरोबी में आई बाढ़ और 2021 में न्यूयॉर्क में तूफान एल्सा ने कई लोगों को तबाह कर दिया था. स्पंज सिटी मिट्टी और हरियाली में पानी जमा करके शुष्क समय के दौरान भी मदद करती हैं. ये स्पंज सिटी इंसानों के बनाए बड़े-बड़े समाधानों की तुलना में सस्ती और ज्यादा प्रभावी हैं.
चीन से हुई थी शुरुआत
स्पंज शहरों की स्थापना 2000 के दशक की शुरुआत में चीन में हुई. इसे बनाने वाले प्रोफेसर कोंगजियान यू थे. जल प्रबंधन के वैश्विक मॉडल से प्रेरित होकर उन्होंने पूरे चीन में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इन्हें लॉन्च किय था.
एम्स्टर्डम की 'नीली-हरी' छतों से लेकर लॉस एंजिल्स की हरी-भरी जगहों तक, दुनियाभर के शहर स्पंज सिटी के कॉन्सेप्ट को अपना रहे हैं. प्रोफेसर कोंगजियान यू के लिए, बाढ़ के खिलाफ लड़ाई बेहद व्यक्तिगत थी. वे खुद एक विनाशकारी बाढ़ का सामना कर चुके थे. उनका व्यक्तिगत अनुभव ही इस स्पंज सिटी को बनाने की प्रेरणा बना.