scorecardresearch

Spy Balloon: क्या होता है स्पाई बैलून, जिसका विश्वयुद्ध में हुआ था इस्तेमाल, जानें चीन के जासूसी गुब्बारे पर अमेरिका क्यों नहीं कर रहा हमला ?

चीन का जासूसी गुब्बारा इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. माना जा रहा है कि चीन इन गुब्बारों के जरिए अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्र से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है.

अमेरिका में दिखा संदिग्ध गुब्बारा  (फोटो ट्विटर) अमेरिका में दिखा संदिग्ध गुब्बारा (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • ये गुब्बारे बेहद हल्के होते हैं, अंदर हीलियम गैस होती है भरी

  • किसी क्षेत्र का लंबे समय तक कर सकते हैं अध्ययन

यूएस, कनाडा और लैटिन अमेरिका के एयरस्पेस पर चीन के संदिग्ध जासूसी गुब्बारे दिखाई देने के बाद हड़कंप मचा हुआ है. अमेरिका की ताकतवर फौज भी इसको मार नहीं पा रही. डर है कि इस गुब्बारे में बायो वीपन हो सकता है. जो पल में तबाही मचा देगा. हालांकि चीन इसे मौसम की जानकारी लेने वाला आम गुब्बारा बता रहा है.

चीन यात्रा को टालने का किया फैसला 
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अगले हफ्ते के लिए तय अपनी चीन यात्रा को टालने का फैसला किया है. ब्लिंकन की तरह से यह कदम अमेरिकी राज्य मोंटाना के आसमान पर चीनी जासूसी गुब्बारे के दिखने के बाद आया है. अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन की ओर से खुलासा किया गया था कि चीन का एक जासूसी गुब्बारा (स्पाई बैलून) कनाडा के बाद अमेरिका के आसमान में उड़ान भर रहा है. इतना ही नहीं शनिवार को सामने आया कि चीन का एक और जासूसी गुब्बारा लैटिन अमेरिका के ऊपर मौजूद है. माना जा रहा है कि चीन इन गुब्बारों के जरिए अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्र से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है.

दूसरे विश्व युद्ध से इस्तेमाल
ऐसे जासूसी गुब्बारों का इस्तेमाल कोई नया नहीं है. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान 1794 में ऑस्ट्रियन और डच सैनिकों के खिलाफ फ्लेरस की लड़ाई में जासूसी गुब्बारों का पहली बार इस्तेमाल किया गया था. उनका उपयोग 1860 के दशक में अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान भी किया गया था. शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत संघ द्वारा ऐसे गुब्बारों का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था. जापानी सेना ने इन गुब्बारों के जरिए अमेरिकी क्षेत्र पर बमबारी की कोशिश की थी. विश्व युद्ध के अंत के ठीक बाद अमेरिकी सेना ने ही सबसे पहले इनका जासूसी के लिए इस्तेमाल शुरू किया था. 

जासूसी गुब्बारे क्या हैं?
ये गुब्बारे बेहद हल्के होते हैं. इनके अंदर हीलियम गैस भरी होती है. इसमें अत्याधुनिक कैमरे लगे होते हैं. साथ ही कुछ अन्य जासूसी उपकरण. इन्हें जमीन से लॉन्च किया जा सकता है और हवा में ऊपर भेजा जाता है. जहां ये 60,000 फीट (18,000 मीटर) और 150,000 फीट (45,000 मीटर) के बीच की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं. एक बार हवा में पहुंचने के बाद काफी हद तक हवा के ऊपर डिपेंड होते हैं. इसके एयर पॉकेट्स स्टीयरिंग के रूप में कार्य कर सकते हैं. जासूसी गुब्बारों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे किसी क्षेत्र का लंबे समय तक अध्ययन कर सकते हैं. जमीन से इनकी निगरानी करना मुश्किल है. 

अमेरिका क्यों बौखलाया?
चीन का जासूसी गुब्बारा मोंटाना की मिसाइल फील्ड्स के ऊपर से गुजर रहा था. इसी क्षेत्र में अमेरिका के कुछ अहम हथियार भी रखे हैं. हालांकि, अमेरिका का कहना है कि इस क्षेत्र से जुटाई जानकारी चीन के लिए सीमित कीमत की है. लेकिन किसी भी देश की तरफ से इस तरह की घुसपैठ बर्दाश्त नहीं की जा सकती. हालांकि अमेरिका ने जासूसी गुब्बारे को न मारने का फैसला किया है. पेंटागन का कहना है कि गुब्बारे का आकार करीब तीन बसों के बराबर है. इसके अंदर काफी जासूसी उपकरण और पेलोड हो सकता है. चूंकि इसे मार गिराने पर गुब्बारे का मलबा अमेरिकी शहर पर ही गिर सकता है, इसलिए इसे अमेरिकी हवाई क्षेत्र से निकालना ही सेना की पहली प्राथमिकता है. इसके अलावा इस गुब्बारे के इतनी ऊंचाई पर उड़ने की वजह से यह फिलहाल एयर ट्रैफिक के लिए खतरा नहीं है.

भारतीय सीमा पर दिखा था गुब्बारा
कुछ दिनों पहले भारत के पोर्ट ब्लेयर में भी ऐसा ही बैलून देखा गया था. हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी. लेकिन माना जा रहा था कि वो भी चीन का ही जासूसी गुब्बारा था. अमेरिका और भारत दोनों से ही चीन के रिश्ते खराब हैं. हाल ही में अरुणाचल में चीनी सेना ने घुसपैठ की कोशिश की थी, इसके बाद सेना से झड़प भी हुई. अमेरिका ने भारत का पक्ष लेते हुए चीन को लताड़ लगाई थी.