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पराए देश में मिला अपनों का साथ, स्वीडन ने पेश किया बेहतरीन उदाहरण

भारतीय दूतावास से सुरेश कुमार ने उस हॉस्पिटल के पास रहने वाले एक भारतीय, इंद्रनील सिन्हा को फोन कर डॉ मकवाना से मिलने को कहा. इंद्रनील उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुंचे ताकि डॉ मकवाना को दूसरे देश में एक हमवतन देखकर थोड़ी राहत मिले. इसके बाद इंद्रनील ने उनकी काफी मदद की.

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हाइलाइट्स
  • पुलिस ने निभाया फ़र्ज़

  • भारतीय दूतावास ने मदद के लिए एक भारतीय को भेजा 

  • गुजरातियों ने की पूरी मदद 

  • ऐसी मदद की नहीं की थी उम्मीद

अगर आपको किसी अनजान देश में छोड़ दिया जाए, तो आप कैसा महसूस करेंगें. स्वाभाविक है कि आप घबरा जाएंगें. और अगर आपके साथ कोई मरीज़ हो तो आपकी परेशानी और बढ़ जाएगी. कुछ ऐसा ही हुआ एक डेंटिस्ट डॉ जयसुख मकवाना के साथ. फ्लाइट में सफर कर रहे राजकोट के डेंटिस्ट डॉ जयसुख मकवाना की सांसें तब रूक गई जब उन्हें पता चला कि उनकी बीवी को ‘ब्रेन स्ट्रोक’ आया है. डॉ जयसुख मकवाना और उनकी पत्नी एयर इंडिया के विमान से अपने बेटे की शादी में शामिल होने अमेरिका जा रहे थे. तभी अचानक उनकी 63 वर्षीय पत्नी, उषा के हाथ-पांव ने काम करना बंद कर दिया और वो हिलने में असमर्थ हो गईं. विमान में मौजूद एक न्यूरोलॉजिस्ट ने बताया कि उन्हें ‘ब्रेन स्ट्रोक’ आया है. उस वक़्त प्लेन नॉर्वे सागर की ओर बढ़ रहा था. लेकिन मेडिकल इमरजेंसी को देखते हुए प्लेन को स्टॉकहोम में लैंड कराया गया.

पुलिस ने निभाया फ़र्ज़ 

उनके लिए ये शहर और यहां के लोग बिल्कुल नए थे. वे इससे पहले कभी स्वीडन नहीं आए थे. वो चिंता में थे कि इस नए शहर में वो कैसे मैनेज कर पाएंगे. लेकिन भारतीय दूतावास और स्वीडन के हेल्पिंग नेचर ने उनकी सारी चिंताएं दूर कर दीं. स्टॉकहोम में लैंड करते ही मरीज को वहां पहले से ही खड़े एक एम्बुलेंस में डाला गया. जबकि डॉ मकवाना को इमरजेंसी वीज़ा के लिए डेडिकेटेड टर्मिनल पर ले जाया गया. एयर इंडिया ने उनका सामान तुरंत डिलीवर करा दिया और पुलिस ने उन्हें एक होटल तक छोड़ दिया.

भारतीय दूतावास ने मदद के लिए एक भारतीय को भेजा 

जिस अस्पताल में उनकी पत्नी को भर्ती किया गया, उस अस्पताल ने उनसे न तो कुछ पूछा और न ही किसी तरह की मांग की. तब तक भारतीय दूतावास से सुरेश कुमार ने उस हॉस्पिटल के पास रहने वाले एक भारतीय, इंद्रनील सिन्हा को फोन कर डॉ मकवाना से मिलने को कहा. इंद्रनील उनसे मिलने हॉस्पिटल पहुंचे ताकि डॉ मकवाना को दूसरे देश में एक हमवतन देखकर थोड़ी राहत मिले. इसके बाद इंद्रनील ने उनकी काफी मदद की. इंद्रनील ने इस संबंध में अपने गुजराती दोस्तों को बताया और धीरे-धीरे यह बात पूरे गुजराती समुदाय में फैल गई. 

गुजरातियों ने की पूरी मदद 

13 नवंबर को उषा जी को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. साथ ही स्टॉकहोम में रहने वाले एक गुजराती, कौशिक पटेल डॉ जयसुख को होटल से अपने घर ले आए. वे डॉ मकवाना को रोज सुबह हॉस्पिटल छोड़ते और शाम को लेने आ जाते थे. वहीं एक दूसरा परिवार रोज उनके लिए घर का बना शाकाहारी खाना लेकर आता था. किसी ने सिम देकर मदद की तो कोई उनके लिए चार्जर लेकर आया. किसी ने तो स्टॉकहोम के 3 डिग्री सेल्सियस तापमान से बचने के लिए स्वेटर देकर उनकी मदद की.

ऐसी मदद की नहीं की थी उम्मीद

डॉ मकवाना के बेटे की शादी 20 नवंबर को अमेरिका में होने वाली है. अब तक यह तय नहीं है कि वो शादी में पहुंच पाएंगें कि नहीं, लेकिन एक दूसरे देश में मिली ऐसी मदद से उनका दिल गदगद हो गया है. उन्होंने कहा कि हॉस्पिटल कर्मचारियों, पुलिस, दूतावास अधिकारियों और वहां रहने वाले भारतीयों के व्यवहार से वो काफी खुश हैं और इन लोगों ने इस मुश्किल समय में उनका पूरा साथ दिया. उन्होंने ऐसी मदद की उम्मीद नहीं की थी.