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The Great Smog of London: लंदन में ग्रेट स्मॉग 1952 ने ली थीं 12000 जानें और फिर बना Clean Air Act, आज लंदन का AQI है 19, जानिए प्रदूषण से निपटने के लिए किए गए थे क्या बदलाव 

The Great Smog of London: शुरुआत में, ब्रिटिश सरकार ने इस संकट को स्वीकारने में सुस्ती दिखाई, लेकिन बाद में इसे मानव निर्मित आपदा घोषित कर दिया गया. 1956 में, स्वच्छ वायु अधिनियम (Clean Air Act) पारित किया गया. वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ये एक ऐतिहासिक कानून था.

London Great Smog London Great Smog
हाइलाइट्स
  • जहरीला होता गया स्मोग

  • सरकार ने की थी कार्रवाई 

5 दिसंबर 1952 की सुबह, लंदन वासियों के लिए भरी सर्दियों वाला दिन था... ब्रिटिश राजधानी में हफ्तों से हड्डी जमा देने वाली ठंड पड़ रही थी... हमेशा की तरह, शहर भर में लोगों ने कोयले की चिमनियों से आ रही जलती आग से घरों को गर्म रखा हुआ था. हालांकि, लंदनवासियों के लिए कोहरे वाला दिन कोई अलग बात नहीं थी, शहर अक्सर धुंध में ढका रहता था. लेकिन उस दिन और अगले पांच दिनों में जो हुआ वह किसी भी तरह साधारण नहीं था.  

दोपहर तक, कोहरा घना हो चुका था और ये कुछ-कुछ पीले-भूरे रंग में बदलता जा रहा था. हजारों चिमनियों, इंडस्ट्रियल प्लांट, और नई डीजल बसों से निकलने वाले कालिख और धुएं के साथ मिल गया था. जो एक साधारण कोहरे के रूप में शुरू हुआ था, वह तेजी से जहरीले स्मॉग में बदल गया. 

इस घटना को अब 1952 का ग्रेट स्मॉग के रूप में जाना जाता है. इसने लंदन को घुटनों पर ला दिया था, हजारों लोगों की जान ली और शहर को पर्यावरण को लेकर एक बड़ी बहस शुरू कर दी थी. 

जहरीला होता गया स्मोग
1952 का ग्रेट स्मॉग मौसम की अलग-अलग परिस्थितियों और इंसानों की अलग-अलग गतिविधियों के मिश्रण से हुआ था. दक्षिणी इंग्लैंड के ऊपर, एक हाई-प्रेशर वेदर सिस्टम बन गया था इसे टेम्परेचर इनवर्जन कहा जाता है. आमतौर पर गर्म हवा ऊपर उठती है, जिससे ठंडी हवा और कोयले के धुएं जैसे प्रदूषकों को वातावरण में फैलने का मौका मिलता है. लेकिन इस टेम्परेचर इनवर्जन की वजह से गर्म हवा की एक परत ठंडी हवा को जमीन के पास फंस गई, जिससे प्रदूषण सतह के करीब जमा हो गया. चूंकि कोहरे को उड़ाने के लिए हवा नहीं थी, यह सल्फर डाइऑक्साइड, कालिख और दूसरे जहरीले कणों जैसे हानिकारक चीजों के साथ मिल गया. इसने जहरीली धुंध का एक खतरनाक बादल बना दिया.

स्मॉग के बीच जीवन
पांच दिनों तक, ग्रेट स्मॉग ने शहर को एक गैस चैंबर बना दिया था. विजिबिलिटी भी एकदम जीरो हो गई थी, गाड़ी-बस कुछ भी नहीं चल पा रहे थे. थेम्स नदी पर नावें फंसी हुई थीं, फ्लाइट रद्द कर दी गईं, और यहां तक कि ट्रेनें भी रोक दी गईं. सड़कों पर, चालक अपने हेडलाइट्स जलाकर धीरे-धीरे आगे बढ़ते थे या कंडक्टरों के फ्लैशलाइट्स के सहारे रास्ता खोजते थे. पैदल चलने वालों की हालत भी बेहतर नहीं थी, कई लोग फिसलन भरे फुटपाथों पर गिर पड़े. 

स्मॉग केवल बाहर ही नहीं रुका था, यह घरों के अंदर भी घुस गया था. घरों और सार्वजनिक इमारतों पर गंदगी की परत चढ़ गई थी, और अंदर की हवा बाहर जितनी ही जहरीली हो गई थी. सिनेमा थिएटर बंद कर दिए गए क्योंकि धुंध के कारण स्क्रीन देखना असंभव था, और स्कूलों को बंद कर दिया गया ताकि बच्चे इस धुंध में रास्ता भटक न जाएं. यहां तक कि सामान्य गतिविधियां, जैसे चलना भी खतरनाक हो गया, क्योंकि लोगों के नहरों में गिरने या टकराने की घटनाएं सामने आ रही थीं. 

ग्रेट स्मॉग एक मौन हत्यारा साबित हुआ 
ग्रेट स्मॉग में कई लोगों की मौत हुई. यह 9 दिसंबर, 1952 को हटा, तब तक इसके विनाश का पैमाना काफी बढ़ चुका था. अस्पतालों में सांस के रोगियों से पीड़ित मरीजों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जिन लोगों को पहले से सांस से जुड़ी समस्याएं थीं, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और ज्यादा  स्मोकिंग करने वाले लोग विशेष रूप से ज्यादा प्रभावित हुए.  

शुरुआती रिपोर्टों में लगभग 4,000 मौत का जिक्र था, लेकिन बाद में पता चला कि ये संख्या 12,000 तक थी. हजारों लोगों को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा. ब्रोंकाइटिस और निमोनिया से होने वाली मौतें आसमान छू गईं, जबकि भारी संख्या में लोग सांस की बीमारी से पीड़ित हुए. 

सरकार ने की कार्रवाई 
शुरुआत में, ब्रिटिश सरकार ने इस संकट को स्वीकारने में सुस्ती दिखाई, लेकिन बाद में इसे मानव निर्मित आपदा घोषित कर दिया गया. 1956 में, स्वच्छ वायु अधिनियम (Clean Air Act) पारित किया गया. वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से ये एक ऐतिहासिक कानून था. इस कानून की वजह से शहरी क्षेत्रों में कोयले के जलने पर प्रतिबंध लगाया गया और गैस और बिजली जैसे साफ फ्यूल के उपयोग को बढ़ावा दिया गया. 

इसके अलावा, स्मोकिंग फ्री क्षेत्र बनाए गए, और इंडस्ट्रीज को घनी आबादी वाले क्षेत्रों से दूर ट्रांसफर किया गया. साथ ही, सरकार ने एयर क्वालिटी को ट्रैक करने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम में निवेश किया और भविष्य में स्मॉग की घटनाओं को रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी जारी की.

हालांकि बाद के सालों में स्मॉग की घटनाएं हुईं, लेकिन कोई भी घटना 1952 की आपदा जैसी नहीं थी. 

दिल्ली लंदन से क्या सीख सकता है?  
मौजूदा समय की बात करें, तो दिल्ली जैसे शहर वायु प्रदूषण संकट से जूझ रहे हैं, जो लंदन के ग्रेट स्मॉग की याद दिलाते हैं. हर सर्दी में, जहरीली धुंध राजधानी को घेर लेती है. इसका स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसमें सांस के मरीजों के बढ़ते मामले शामिल हैं. 

(फोटो-Unsplash)
(फोटो-Unsplash)

इससे निपटने के लिए जरूरी है कड़े कदम उठाए जाएं. एमिशन कंट्रोल को कड़ा करना, इंडस्ट्रीज को रेगुलेट करना, सोलर और नेचुरल गैस जैसी चीजों में निवेश करने से शायद स्थिति बेहतर हो सकती है. 

साथ ही, प्रदूषण के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करना और कारपूलिंग या सार्वजनिक परिवहन इस्तेमाल करना भी  इसमें शामिल है. 

साफ हवा की राह आसान नहीं है, लेकिन यह जरूरी है. जिसे जल्द से जल्द दिल्ली फिर से खुलकर सांस ले सके और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित कर सके.