जर्मनी के ब्रैंडनबर्ग राज्य में बोगनसी तालाब के पास एक आलिशान बंगला है. बरलिन से एक घंटे की दूरी पर मौजूद यह बंगला न सिर्फ एक नीले तालाब के किनारे है बल्कि खूबसूरत जंगलों से घिरा हुआ है. जर्मन सरकार इस बंगले को मुफ्त में देना चाहती है लेकिन इससे छुटकारा पाना उसके लिए सिरदर्द बना हुआ है. वजह? यह बंगला जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर के मंत्री योसेफ गबल्स (Joseph Goebbels) का है.
क्या है बंगले का इतिहास?
यह बंगला तत्कालीन जर्मन सरकार ने खास गबल्स के लिए बनवाया था. गबल्स हिटलर के अधीन तीसरे जर्मन राज्य (Third German Reich) के प्रचार मंत्री (Propaganda minister) थे. गबल्स को आम तौर पर जर्मन लोगों के सामने नाजी शासन की अच्छी छवि पेश करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. हिटलर की आत्महत्या के बाद गबल्स ने एक दिन के लिए जर्मनी के चांसलर के रूप में काम किया. लेकिन अगले दिन उन्होंने अपने छह बच्चों को जहर देकर पत्नी मैग्डा गबल्स के साथ आत्महत्या कर ली.
गबल्स की मौत के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने कुछ समय के लिए इस इमारत को एक स्कूल के तौर पर इस्तेमाल किया था. हालांकि दो सर्वसत्तावादी (Totalitarian) सरकारों के इस्तेमाल में आने के बाद 20 एकड़ का यह बंगला खाली पड़ा हुआ है. इस प्रॉपर्टी की देखरेख का खर्च सालाना 3.06 लाख डॉलर है.
सरकार के लिए इस बंगले की देखरेख बहुत महंगी तो है ही, यह प्रॉपर्टी देश के ज्यादातर रियल एस्टेट एजेंट्स की पहुंच से भी बाहर है. इसके बाद बंगले की फरोख्त के लिए जो अवसर बन रहे हैं, उनके आड़े इसका इतिहास आ रहा है.
बंगले को बेचने में क्या परेशानियां?
तमाम कोशिशों के बाद जर्मन सरकार ने इस बंगले को बेचने का विचार अपने मन से निकाल दिया है. अब बर्लिन यह बंगला मुफ्त में देने को भी तैयार है, लेकिन लेने वाले को सरकार की मंजूरी मिलना भी जरूरी है. इसी साल जर्मनी के वित्त मंत्री स्टेफन एवर्स ने कहा था कि अगर कोई यह बंगला नहीं लेता है तो वे इसे ध्वस्त कर देंगे. उनके इस बयान के बाद दुनियाभर के लोगों ने इस प्रॉपर्टी में अपनी रूचि दिखाई है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एवर्स ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया था कि त्वचा के एक डॉक्टर (Dermatologist) ने इस इमारत में एक स्किन-केयर सेंटर खोलना चाहा था. एवर्स के पास ऐसे कई ऑफर आए लेकन उनमें से कोई भी उन्हें उपयुक्त नहीं लगा. एक ऑफर जिसने एवर्स की चिंताएं बढ़ाईं, वह आया 'राइशबर्गर' (Reichburger) समूह से. यह एक धुर-दक्षिणपंथी समूह है. यह समूह जर्मन सरकार को उखाड़ फेंकना चाहता है. गबल्स के बंगले में इस समूह की रूचि का कारण समझना जर्मन सरकार के लिए मुश्किल नहीं था.
एवर्स कहते हैं, "इस जगह का इतिहास ही वो कारण है कि बर्लिन सरकार इस प्रॉपर्टी को निजी हाथों में नहीं देना चाहती. यह रिस्क है कि इस इमारत का गलत इस्तेमाल हो सकता है." इस प्रॉपर्टी की देखरेख जर्मन सरकार के लिए मुश्किल है लेकिन बीते कुछ सालों में नाज़ी विचारधारा के उद्भव के कारण जर्मनी के सामने अपने इतिहास को संभालकर रखना भी जरूरी है. ताकि उसे दोहराने से रोका जा सके.