रूस ने यूक्रेन के खिलाफ जंग छेड़ दी है. सोमवार को राष्ट्रपति पुतिन ने अपने देश की न्यूक्लिर फाॅर्स को अलर्ट रहने के लिए कह दिया है. आज यूक्रेन सैन्य शक्ति के हिसाब से बैकफुट पर आ गया है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि रूस उक्रेन से हथियारों और अपनी सैन्य शक्ति के मामले में काफी आगे है. हालांकि, हमेशा से ऐसा नहीं था.
एक समय में यूक्रेन दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु शक्ति था. जी हां, यूक्रेन के संसद सदस्य एलेक्सी गोंचारेंको ने गुरुवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यूक्रेन ने मास्को और वाशिंगटन की गारंटी पर अपनी परमाणु शक्ति त्याग दी थी, आज वह उनके वजह से खाली हो गया है.
1994 में तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शक्ति वाला देश यूक्रेन
एलेक्सी गोंचारेंको ने गुरुवार को कहा, "यूक्रेन मानव इतिहास में अकेला ऐसा राष्ट्र है जिसने अपनी न्यूक्लियर पावर (परमाणु शक्ति) छोड़ दी थी, 1994 में ये तीसरा सबसे बड़ा परमाणु शक्ति वाला देश था. यूक्रेन ने अपनी इस शक्ति को यूएस, यूके और रूसी संघ की गारंटी पर छोड़ा था. ये गारंटी अब कहां हैं? अब हम बमबारी झेल रहे हैं और मारे जा रहे हैं.”
अमेरिका, ब्रिटेन और रूस से मिली थी सुरक्षा की गारंटी
दरअसल, 1991 में सोवियत संघ के पतन से इस कहानी की शुरुआत होती है. सोवियत संघ से जब टूटा तो कई देश अलग हो गए. रूस के उस वक़्त उस सबसे जयादा परमाणु हथियार थे इसलिए उसे इसका उत्तराधिकारी माना गया. लेकिन, कुछ साल बाद, यूक्रेन ने बुडापेस्ट मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किए , जिसकी शर्तें थीं कि कीव अमेरिका, ब्रिटेन और रूस से सुरक्षा गारंटी के बदले में पूरी तरह से अपने परमाणु हथियार छोड़ देगा.
क्या है बुडापेस्ट मेमोरेंडम?
आपको बता दें, बुडापेस्ट मेमोरेंडम ऑफ सिक्योरिटी एश्योरेंस यूक्रेन, रूस, यूके और यू.एस. के बीच एक राजनीतिक समझौता है, जिस पर 1994 में हस्ताक्षर किए गए थे.
इसके अनुसार, यूक्रेन के परमाणु हथियार छोड़ने के बाद, हस्ताक्षरकर्ता रूस, यू.एस. और यू.के. यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता और मौजूदा सीमाओं का सम्मान करेंगे. इसके साथ यूक्रेन से यह भी वादा किया गया कि उसकी क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखा जाएगा और हस्ताक्षरकर्ता यूक्रेन के खिलाफ अपने फायदे के लिए आर्थिक दबाव का इस्तेमाल नहीं करेंगे.
यूक्रेन के पास थे बेहतरीन न्यूक्लियर हथियार
यूएस की आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, यूएसएसआर पतन से पहले यूक्रेन के पास 1,900 स्ट्रेटेजिक वॉरहेड, 176 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, 44 स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स थे. इनमें SS-19, 25 TU-95 MS और 19 Tu-160 जैसे बॉम्बर्स, इसके साथ 20 Tu-22M और 60 पुराने Tu-22 बॉम्बर्स थे जो मीडियम रेंज एयरक्राफ्ट में आते हैं.
जल्दबाजी में लिया गया था फैसला
हालांकि, साल 1993 में अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी में इंटरनेशनल रिलेशन के प्रोफेसर जॉन मेयर्सहाइमर ने एक आर्टिकल लिखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि परमाणु हथियारों को छोड़ने का फैसला काफी जल्दबाजी में लिया गया है और बिना परमाणु हथियार के यूक्रेन, रूस के आक्रामक रुख का शिकार बन सकता है.
आज ठीक ऐसा ही हो रहा है. रूस यूक्रेन पर लगातार हमला बोल रहा है. फाइटर जेट और टैंकर से न जाने कितने लोगों की जानें जा चुकी हैं, और आगे भी कितनों की जानें जायेंगीं. तबाहियों और रोते-बिलखते लोगों की तस्वीरों के बीच अमेरिका समेत कई देश समर्थन देने की बात कर रहे हैं. लेकिन, ये युद्ध कब तक चलेगा यह कोई नहीं जानता.