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IAF के लिए 4 सेंटीमीटर कम रह गई थी हाइट, अब अमेरिका में कमर्शियल पायलट लाइसेंस हासिल कर रचा इतिहास

वडोदरा की वरिजा शाह अमेरिका में पायलट लाइसेंस हासिल करने वाली पहली गुजराती लड़की हैं. IAF में शामिल होने का सपना टूटने के बाद वरिजा ने अमेरिका का रुख किया था.

Varija Shah (Photo: LinkedIn) Varija Shah (Photo: LinkedIn)

आजकल बच्चों का कोई सपना पूरा न हो तो वे बड़ी जल्दी हार मान लेते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसी बेटी की कहानी जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए सात समुंदर नाप लिए. यह कहानी है गुजरात में वडोदरी की रहने वाली वरिजा शाह की. वरिजा हमेशा से भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए हेलीकॉप्टर उड़ाने का सपना देखती थी, लेकिन हाइट में 4 सेमी कम होने के कारण वह सेलेक्ट न हो सकीं. 

इस सपने के टूटने के बाद वरिजा निराश जरूर हुईं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. 23 वर्षीय वरिजा ने मेहनत की और अब अमेरिका के आसमान में ऊंची उड़ान भर रही हैं. उन्होंने अमेरिका के प्रमुख हेलीकॉप्टर फ्लाइंग स्कूलों में से एक में दाखिला लिया और वहां उन्हें पायलट का लाइसेंस मिल गया. अब वह उन चुनिंदा गुजराती लड़कियों में से एक हैं, जिन्होंने अमेरिका में रोटर-विंग क्राफ्ट का प्रशिक्षण लिया और इसे उड़ाया है.  

16 साल की उम्र में मिला था स्टूडेंट लाइसेंस 
वरिजा हमेशा से हेलीकॉप्टर उड़ाना चाहती थीं लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि अमेरिका में ऐसा होगा. गुजरात में 16 साल की उम्र में स्टूडेंट पायलट लाइसेंस हासिल करने वाली सबसे कम उम्र के लोगों में से एक थीं. उन्होंने वडोदरा में गुजरात फ्लाइंग क्लब में प्रशिक्षण के दौरान सेसना 152 उड़ाया था. वह राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) में शामिल हो गईं और एनसीसी 'सी' सर्टिफिकेट हासिल किया था. 

इसके बाद उन्होंने एनसीसी डायरेक्ट एंट्री मोड के जरिए भारतीय वायुसेना में शामिल होने के लिए सेवा चयन बोर्ड (SSB) इंटरव्यू की तैयारी शुरू कर दी. वह साल 2021 में एसएसबी साक्षात्कार के लिए गईं, लेकिन मेडिकल टेस्ट के दौरान, उन्हें बताया गया कि वह एलिजिबल हाइट से चार सेमी कम हैं. और फ्लाइंग ब्रांच के लिए उनका सेलेक्शन न हो सका.  

मां के साथ से पूरा किया सपना
वरिजा की मां पूर्वी ने उन्हें अमेरिका में उड़ान भरने के लिए प्रेरित किया. वरिजा ने पोर्टलैंड में हिल्सबोरो हेली अकादमी में आवेदन किया और वह अगस्त 2022 में अमेरिका पहुंची. उनका कहना है कि वहां पर ट्रेनिंग मुश्किल थी क्योंकि पायलट का लाइसेंस प्राप्त करने के लिए हर किसी को उनके सख्त मानदंडों के अनुसार परीक्षा पास करनी होती थी और उड़ान भी भरनी होती थी. 

उन्होंने अमेरिका को प्राथमिकता दी क्योंकि वह हेलीकॉप्टर उड़ाना चाहती थी. उनके संस्थान में बहुत कम महिलाएं थीं क्योंकि बहुत सी महिलाएं हेलीकॉप्टर पायलट बनना नहीं चुनती हैं. उन्हें बताया गया कि वह पहली भारतीय महिला थी जिसे पिछले कुछ सालों में उस संस्थान से फ्लाइंग लाइसेंस मिला था. कई घंटों की उड़ान सहित 15 महीने की ट्रेनिंग के बाद, उन्हें नवंबर 2023 में अपना लाइसेंस मिला.

अब वरिजा एक कमर्शियल रोटरक्राफ्ट पायलट बनना चाहती हैं और वह अमेरिका में ही ऐसा करने का प्लान कर रही हैं.