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Titanic एक ऐसा जहाज...जिसका पहला सफर हो गया था आखिरी, क्या हुआ था और क्यों समुद्र में डूब गया, यहां जानिए सबकुछ

Titanic Ship 10 April 1912: टाइटैनिक को कभी न डूबने वाला जहाज कहा जाता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ. अपनी पहली ही यात्रा पर जहाज समुद्र में डूब गया. इस हादसे में सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. 

Titanic Ship (photo twitter) Titanic Ship (photo twitter)
हाइलाइट्स
  • 10 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक सफर पर निकला था, चार दिनों के बाद आइसबर्ग से टकराकर डूब गया था

  • 15 सौ से अधिक लोगों की हुई थी मौत, 706 को किसी तरह से बचाया गया था

10th April in History: टाइटैनिक जहाज जब बनकर तैयार हुआ तो इसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई. इस पर दुनिया की तमाम सुविधाओं का ध्यान रखा गया था. हर किसी की इस पर सवार होकर यात्रा करने की इच्छा थी. इस जहाज से पहली यात्रा के लिए कई लोगों ने टिकट खरीदे थे तो कई को टिकट नहीं मिलने पर मायूस होना पड़ा था. आइए जानते हैं यात्रा के दौरान क्या हुआ था.

मनहूस यात्रा

ब्रिटेन के साउथैम्पटन से न्यूयॉर्क सिटी के लिए अपनी मनहूस यात्रा पर 10 अप्रैल 1912 को टाइटैनिक सफर पर निकला था और चार दिनों के बाद 14 अप्रैल 1912 की आधी रात एक आइसबर्ग से टकराकर यह जहाज उत्तरी अटलांटिक महासागर में डूब गया था. हादसे में 1500 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. 706 लोगों को किसी तरह से बचाया गया था. 

तैरते हुए शहर की दी गई थी उपाधि 

ब्रिटिश शिपिंग कंपनी व्हाइट स्टार लाइन को तीन ओलंपिक क्लास जहाज बनाने का जिम्मा सौंपा गया था. टाइटैनिक का निर्माण कार्य 31 मार्च 1909 को शुरू हुआ. उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट में स्थित हारलैंड एंड वूल्फ शिपयार्ड में इस जहाज को तैयार किया गया. टाइटैनिक को तैयार करने में उस समय 7.5 मिलियन डॉलर का खर्च आया था. 

जहाज को देखने के लिए हजारों लोग हुए थे एकत्र

31 मई 1911 को इस विशालकाय जहाज को लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया. इसे देखने के लिए 10 हजार लोग इकट्ठा हुए. टाइटैनिक को उस समय एक तैरते हुए शहर की उपाधि दी गई थी. इस जहाज की लंबाई देखकर उस समय लोग हैरान हो उठे थे. इसमें हर सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा गया था. टाइटैनिक एक रॉयल मेल शिप भी था, इसलिए जहाज पर तीन हजार बैग मेल्स भी थे. टाइटैनिक पर बनी फिल्म को कई पुरस्कार मिल चुका है.

ऊंचाई 17 मंजिला इमारत के बराबर थी

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, टाइटैनिक जहाज इंपीरियल स्टेट बिल्डिंग जितना ऊंचा था. यानी कि इसकी ऊंचाई करीब 17 मंजिला इमारत के बराबर थी. इस जहाज की लंबाई फुटबॉल के तीन मैदानों के बराबर थी, जहाज में रोज 800 टन कोयले की खपत होती थी. टाइटैनिक में लगी सीटी की आवाज को 11 मील की दूरी तक सुना जा सकता था. टाइटैनिक शिप में यात्रियों और क्रू मेंबर्स के खाने का अच्छा-खासा इंतज़ाम था. जहाज पर खाने के लिए 86,000 पाउंड मीट, 40,000 अंडे, 40 टन आलू, 3,500 पाउंड प्याज, 36,000 सेब और 1,000 पावरोटी के पैकेट के साथ कई तरह के खाने का सामान मौजूद था.
 
इस तरह से डूब गया टाइटैनिक

यात्रा के चार दिनों के बाद 14 अप्रैल को रात 11.40 बजे इसकी टक्कर एक आइसबर्ग (बर्फ का टुकड़ा) से हो गई. टक्कर के बाद शिप का अलार्म तो बजा, लेकिन जब तक इंजन को घुमाकर जहाज को रास्ते से हटाया जाता तब तक टक्कर हो चुकी थी. जब यह हादसा हुआ था तब टाइटैनिक जहाज 41 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा था. टक्कर के तुरंत बाद टाइटैनिक में तेजी से पानी भरने लगा और करीब तीन घंटे बाद जहाज का अगला हिस्सा समुद्र में डूब गया. इसका पिछला हिस्सा ऊपर उठ गया. इसके बाद जहाज के दो टुकड़े हुए और करीब दो घंटे में ये पूरी तरह से समुद्र में डूब गया. टाइटैनिक शिप के कैप्टन स्मिथ इस यात्रा के बाद रिटायरमेंट लेने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन ये सफर ही उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हो गया. इसके बाद समुद्री जहाजों की सुरक्षा के लिए रडार जैसे उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया जाने लगा.