Titanic Ship Wreckage: एक विशालकाय जहाज लगभग 2200 लोगों को लेकर अपनी पहली समुद्र यात्रा पर निकला. लगभग चार दिन तक समन्दर में जहाज घूमता रहा. फिर एक बड़ा-सा हादसा हुआ और जहाज समुन्दर की गहराई में चला गया. ये कहानी है टाइटैनिक जहाज की.
टाइटैनिक जहाज अपने समय का सबसे बड़ा जहाज था. टाइटैनिक जहाज (Titanic Ship) 269 मीटर लंबा, चौड़ाई 28 मीटर और 53 मीटर ऊंचा था. समुद्र में डूबने के बाद टाइटैनिक जहाज को तलाशने की काफी कोशिश की गई.
आखिरकार सितंबर 1985 में समुन्दर की गहराई में टाइटैनिक जहाज का मलबा (Titanic Ship Wreckage) मिला. टाइटैनिक जहाज के मलबा समुद्र के सबसे बड़े आकर्षण में से एक है. आइए जानते हैं टाइटैनिक जहाज का मलबा कैसे मिला और टाइटैनिक मलबे में क्या-क्या है?
टाइटैनिक नहीं है असली नाम
टाइटैनिक जहाज को आयललैंड की हार्लैंड एंड वूल्फ कंपनी ने बनाया था. टाइटैनिक शिप का पूरा नाम आरएमएस टाइटैनिक था. टाइटैनिक शिप में तीन इंजन थे. इस जहाज को बनाने में उस समय 15 लाख पाउंड का खर्च आया था. टाइटैनिक जहाज को बनने में लगभग 3 साल लगे थे.
टाइटैनिक जहाज में 3300 लोग ही सवार हो सकते थे. अपनी पहली यात्रा में 2200 लोग जहाज पर सवार हुए थे. इसमें से 1300 लोग यात्री थे और 900 चालक जहाज के क्रू मेंबर थे. टाइटैनिक जहाज की टिकट काफी महंगी थी. टाइटैनिक के फर्स्ट क्लास की टिकट का दाम 30 पाउंड था. इसके अलावा सेकेंड क्लास की टिकट 13 पाउंड और थर्ड क्लास की टिकट 7 पाउंड की थी.
कब मिला टाइटैनिक का मलबा?
कई दशकों तक टाइटैनिक जहाज समन्दर का एक बड़ा रहस्य बना रहा. टाइटैनिक जहाज को खोजने के कई प्रयास किए गए लेकिन जहाज नहीं मिला. टाइटैनिक जहाज को खोजने का अभियान अमेरिका और फ्रांस ने मिलकर चलाया था. इसकी अगुवाई डॉ. रॉबर्ट बैलार्ड (Robert Ballard Titanic) ने की थी.
पहले साल 1977 में टाइटैनिक जहाज के मलबे को खोजने का अभियान चलाया गया लेकिन उसमें सफलता नहीं. इसके बाद रॉबर्ट ने 1985 में फिर से टाइटैनिक को खोजने की कोशिश की. इस कोशिश में टाइटैनिक मिल गया.आखिरकार टाइटैनिक जहाज का मलबा सितंबर 1985 में मिला.
टाइटैनिक जहाज का मलबा अटलांटिक महासागर में 12,500 फीटे नीचे है. टाइटैनिक का मलबा सेंट जॉन्स के साउथ में 700 किमी. दूर मिला.
क्या है टाइटैनिक के मलबे में?
टाइटैनिक शिप के मलबे की पहली फोटो आर्गो सबमरीन ने ली थी. टाइटैनिक जहाज के दो टुकड़े समुद्र में हैं. दोनों टुकड़े एक-दूसरे से लगभग 800 मीटर दूर हैं. जहाज के आसपास काफी मलबा पड़ा हुआ है.
टाइटैनिक के मलबे में मगरमच्छ के चमड़े का बैग है. इसके अलावा बेहद शानदार परफ्यूम की शीशियां हैं. टाइटैनिक को खोजने वालों को मलबे में शैंपेन की एक बोतल भी मिली थी. इसके अलावा टाइटैनिक जहाज के मलबे में हीरों का आलीशन का झूमर भी पड़ा हुआ था.
कहां डूबा टाइटैनिक?
टाइटैनिक जहाज 10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड के साउथम्पटन से चला था. वहीं इससे कुछ महीने पहले ग्रीनलैंड में एक ग्लेशियर का टुकड़ा अलग होकर समुद्र में बहने लगा. टाइटैनिक जहाज चार दिन तक अपने सफर पर चलता रहा.
टाइटैनिक जहाज में सभी लोग यात्रा का मजा ले रहे थे. फिर 14 अप्रैल 1912 की वो भयानक रात आई. अटलांटिक महासागर में रात के समय टाइटैनिक जहाज ग्लेशियर के टुकड़े से टकरा गया. ग्लेशियर से टकराने के बाद टाइटैनिक जहाज समुद्र में डूबने लगा.
हादसे से एक दिन पहले इस जहाज उसी जगह से गुजरा था. जहाज ने वायरलैस के जरिए ग्लेशियर के बारे में बताया था लेकिन टाइटैनिक जहाज तक वो मैसेज पहुंचा ही नहीं.
हादसे के लगभग 4 घंटे के भीतर टाइटैनिक जहाज समुद्र में डूब गया. इस हादसे में 1517 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 706 लोग इस हादसे में अपनी जान बचा सके.
समुद्र की कब्रगाह
टाइटैनिक का मलबा समन्दर में जिस जगह पर पड़ा है उसे समुद्र की कब्रगाह भी कहा जाता है. टाइटैनिक जहाज का मलबा समुद्र में काफी नीचे है. इस वजह से वहां पहुंचना काफी खतरनाक माना जाता है.
साल 2023 में पांच लोग पनडुब्बी से टाइटैनिक का मलबा देखने गए थे. सभी लोग समुद्र में लापता हो गए थे. बाद में सभी लोगों की मौत की पुष्टि की गई. टाइनटैनिक का मलबा दुनिया का सबसे फेमस मलबा है.