रूस-यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल तुर्की के खतरनाक Bayraktar TB2 ड्रोन की खासियत ने कई देशों को अपना कायल बना लिया. लिहाजा कई देशों ने इसकी खरीदारी में अपनी दिलचस्पी दिखाई, लेकिन तुर्की ने भारत को अपना Bayraktar TB2 ड्रोन बेचने से इनकार कर दिया. भारत पर पाकिस्तान को तवज्जो देते हुए तुर्की ने उससे ड्रोन की डील कर ली. हालांकि भारत ने सीधे तौर पर ये जता दिया है कि वो किसी का मोहताज नहीं है. वो दूसरे देशों के ड्रोन पर निर्भर नहीं रहने वाला है. और अब अपने स्वदेशी ड्रोन की तैयारी में भारत जुटा हुआ है. जिसे TAPAS-BH-201 ( Tactical Airborne Platform-Beyond Horizon-201) नाम दिया गया है.
तापस-बीएच-201 ड्रोन की खासियत
भारतीय ड्रोन तापस-बीएच-201 तुर्की के TB2 ड्रोन से ना सिर्फ लंबाई में बड़ा है, बल्कि स्पीड में भी तेज है. इसके साथ ही भारत का तापस ड्रोन तुर्की के ड्रोन से ज्यादा ऊंचाई पर आराम से कंट्रोल किया जा सकता है. दोनों की तुलना करें तो TAPAS-BH-201 ड्रोन 9.5 मीटर लंबा और 20.6 मीटर चौड़ा है. इसका वजन करीब 1800 किलो है और ये 130 से 180 एचपी पावर तक जनरेट कर सकता है. वहीं तापस की टॉप स्पीड की बात करें तो ये 224 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है. इसके साथ ही तापस 35 हजार फीट की ऊंचाई पर 24 घंटे तक टिक सकता है. जबकि इसकी रेंज करीब 1000 किलोमीटर की है.
तुर्की का TB2 ड्रोन
दूसरी ओर तुर्की के किलर Bayraktar TB2 Drone को कंट्रोल करने की रेंज 4 हजार किलोमीटर है. इसका 105 एचपी का इंजन है. टेक ऑफ के 27 घंटे बाद तक ये हवा में टिका रह सकता है. स्पीड की बात करें तो ये 130 किलोमीटर प्रति घंटा से लेकर 222 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकता है.
भारत का करारा जवाब
बता दें कि भारत के इस एडवांस तापस ड्रोन का इस्तेमाल सभी तरह के आर्म्ड मिशन और निगरानी के लिए किया जा सकेगा. तुर्की के ड्रोन डील को लेकर हिन्दुस्तान को ना और पाकिस्तान को हां करने का खास असर नहीं होने वाला है. हिन्दुस्तान ने तुर्की को साफ-साफ जता दिया है कि वो अपना खुद का ड्रोन बनाने में सक्षम है. सुरक्षा उपकरणों के मामले में वो पहले से मजबूत स्थिति में है और कई देशों के साथ मिलकर खुद को और भी ज्यादा मजबूत कर रहा है.
80 करोड़ से 900 करोड़ तक पहुंची ड्रोन इंडस्ट्री
भारत की बात करें तो पिछले कुछ सालों तक भारत ड्रोन निर्माण में ज्यादा आगे नहीं बढ़ रहा था. चीन से ही भारत के अधिकतर ड्रोन की सप्लाई हो रही थी. लेकिन पिछले 3 सालों में ही काफी फर्क देखने को मिला है. तीन सालों के अंदर भारत की ड्रोन इंडस्ट्री 80 करोड़ से 900 करोड़ तक पहुंच गई है.