भारत ने कुछ दिन पहले कतर में अधिकारियों के साथ गुरु ग्रंथ साहिब के दो स्वरूपों या प्रतियों की जब्ती का मुद्दा उठाया था. इसके कुछ दिनों बाद, इन प्रतियों को बुधवार को दोहा में भारतीय दूतावास को वापस कर दिया गया. इस मामल के बारे में बात करें तो कतरी अधिकारियों ने स्थानीय कानूनों और नियमों के अनुसार, उनकी मंजूरी के बिना एक धार्मिक प्रतिष्ठान संचालित करने के आरोपी दो व्यक्तियों से सिखों की पवित्र पुस्तक के दो स्वरूप जब्त कर लिए थे. दिसंबर 2023 में हुई यह घटना हाल ही में सामने आई, जिससे सिख नेताओं में खलबली का माहौल था.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में उनकी वापसी की घोषणा करते हुए बुधवार को कहा, “कतर के अधिकारियों ने आज बिना मंजूरी के एक धार्मिक प्रतिष्ठान चलाने से संबंधित मामले में एक भारतीय नागरिक से लिए गए श्री गुरु ग्रंथ साहिब (दो सरूप) दोहा में हमारे दूतावास को सौंप दिए हैं. हम इसके लिए कतर सरकार को धन्यवाद देते हैं.”
भारतीय नागरिक करें स्थानीय कानूनों का पालन
विदेश मंत्रालय ने कतर या अन्य देशों में रहने वाले सभी भारतीय नागरिकों से "सभी मामलों में स्थानीय कानूनों और नियमों का ईमानदारी से पालन करने" की भी अपील की. भारत ने पहले ही कतर पक्ष के साथ इस मामले को उठाया है और दूतावास ने दोहा में सिख समुदाय को इस संबंध में अपडेटेड किया था. भारतीय दूतावास ने स्थानीय कानूनों और नियमों के दायरे में हर संभव मदद दी. उनमें से एक को कतरी अधिकारियों ने लौटा दिया और यह आश्वासन दिया गया कि दूसरे स्वरूप को भी सम्मान के साथ रखा जाएगा.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने ने स्वरूपों को उनके मूल स्थान पर फिर से स्थापित करने का आह्वान किया और संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य इस्लामी देशों में अनुमति के समान कतर में गुरुद्वारों की स्थापना की अपील की. कतर में सिखों को समर्पित गुरुद्वारों में अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है.