
पूरी दुनिया में UAE अपने सख्त कानूनों के लिए प्रख्यात है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर यहां काफी सख्त कानून हैं. अब इसी कानून के चलते उत्तर प्रदेश की एक महिला को दुबई में फांसी की सजा सुनाई गई है. उत्तर प्रदेश के उन्नाव की रहने वाली शहजादी, की चर्चा दुबई में चारों ओर हो रही है.. शहजादी प्रवासी कामगार के रूप में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में काम कर रही थी. उसपर एक शिशु की हत्या का आरोप लगा है, और उसे अबू धाबी की कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. हालांकि, इस मामले में हाल ही में एक नई मोड़ आया है, क्योंकि भारतीय दूतावास ने समीक्षा याचिका दायर की है.
क्या है शहजादी का मामला?
शहजादी अबू धाबी के एक दंपति के घर में उनके शिशु की देखभाल के लिए नियुक्त थी. शिशु की अचानक मौत हो जाने के बाद, उस दंपति ने शहजादी पर बच्चे की हत्या का आरोप लगाया. इस आरोप के बाद शहजादी को गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई.
शाहजादी के पिता शब्बीर खान ने अपनी बेटी की निर्दोषता की बात कहते हुए भारतीय अधिकारियों और सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उनका दावा है कि शहजादी को झूठे आरोप में फंसाया गया है.
शाहजादी की दुबई यात्रा और वहां की घटनाएं
शाहजादी के पिता ने बताया कि उनकी बेटी का जीवन पहले ही काफी संघर्षपूर्ण था. बचपन में उसके चेहरे पर गंभीर जलने के निशान पड़ गए थे. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान, वह ‘रोटी बैंक ऑफ बांदा’ के साथ काम कर रही थी. इसी दौरान उनकी दोस्ती आगरा के एक व्यक्ति उजैर से फेसबुक पर हुई.
नवंबर 2021 में उजैर ने उसे दुबई भेजा, यह दावा करते हुए कि वह वहां इलाज के लिए जा रही है. दुबई पहुंचने के बाद, शहजादी उजैर के रिश्तेदारों के संपर्क में आई. इनमें उजैर के चाचा फैज, उसकी पत्नी नाजिया और सास अंजुम सहरां बेगम भी शामिल थी.
शब्बीर के अनुसार, नाजिया के बेटे की चार महीने 21 दिन की उम्र में मृत्यु हो गई, और इसके लिए शहजादी को जिम्मेदार ठहराया गया. उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया.
UAE का वदीमा कानून
शहजादी का मामला जिस कानून के तहत दर्ज हुआ है, उसे समझने के लिए हमें UAE के ‘वदीमा कानून’ (Wadeema's Law) को समझना होगा. 2012 में एक घटना ने UAE के कानून में बड़ा बदलाव किया गया था. वदीमा नाम की एक बच्ची को उसके पिता ने प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी. इस दर्दनाक घटना के बाद UAE की सरकार ने बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने का निर्णय लिया. 2016 में Wadeema’s Law लागू किया गया, जो UAE के बाल संरक्षण कानून के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम था.
इस कानून के अनुच्छेद 35 में बच्चों की देखभाल से जुड़े कर्तव्यों के बारे में साफ कहा गया है. इस अनुच्छेद के तहत किसी भी अभिभावक, संरक्षक, या देखभालकर्ता की जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को हर प्रकार की उपेक्षा, हिंसा या खतरे से बचाए. अगर कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन नहीं करता है और बच्चे की सुरक्षा में लापरवाही बरतता है, तो उसे कड़ी सजा का सामना करना पड़ सकता है.
सजा के प्रावधान-
स्कूल बस में बच्चों की सुरक्षा के नियम
इतना ही नहीं यूएई में बच्चों को स्कूल बस में यात्रा के दौरान सुरक्षित रखने के लिए भी नियम बनाए गए हैं. बच्चों की यात्रा के दौरान उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना बस ड्राइवर और स्कूल प्रशासन की साझा जिम्मेदारी है. साथ ही किसी भी बच्चे को वाहन में अकेला छोड़ देना गंभीर अपराध माना जाता है. इस प्रकार की लापरवाही के कारण अगर किसी बच्चे की जान को खतरा होता है, तो दोषी व्यक्ति पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है.
इतना ही नहीं, वदीमा कानून के तहत बच्चों के माता-पिता या संरक्षकों को बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होती है. स्कूलों और शिक्षण संस्थानों पर भी यह जिम्मेदारी डाली गई है कि वे बच्चों की सुरक्षा के लिए उचित उपाय करें. स्कूल बसों की नियमित जांच और बस ड्राइवर की ट्रेनिंग इसी प्रक्रिया का हिस्सा हैं.
स्पेशन चाइल्ड सेफ्टी यूनिट्स
इस कानून के तहत बाल सुरक्षा इकाइयों (Special Child Safety Units) भी बनाई गई हैं. ये यूनिट्स किसी भी शिकायत या घटना पर तुरंत कार्रवाई कर सकती हैं. इन यूनिट्स को न्यायिक शक्तियां भी प्रदान की गई हैं, ताकि वे आवश्यकतानुसार तत्काल हस्तक्षेप कर सकें.
इस कानून का मुख्य उद्देश्य हर बच्चे को एक सुरक्षित, स्थिर और खुशहाल जीवन देना है. 2016 में इस कानून को लागू करते समय, यूएई के प्रधानमंत्री और दुबई के शासक हिज हाइनेस शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा था कि "हर बच्चे को बिना किसी भेदभाव के सुरक्षा और स्थायी देखभाल का अधिकार है."
बच्चों की सुरक्षा एक साझा जिम्मेदारी
वदीमा कानून यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों की सुरक्षा में कोई भी लापरवाही बर्दाश्त न की जाए. चाहे घर हो, स्कूल, या स्कूल बस, हर स्तर पर बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के लिए कड़े नियम लागू किए गए हैं. अगर इन नियमों का उल्लंघन होता है, तो संबंधित व्यक्ति को कड़ी सजा भुगतनी होगी.
यह कानून सिर्फ एक नियम नहीं है, बल्कि एक ऐसा संरचनात्मक ढांचा है जो बच्चों को सुरक्षित भविष्य देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ऐसे में यह जरूरी है कि हर व्यक्ति इन नियमों का पालन करे और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे.
शहजादी के मामले में, उसे वदीमा कानून के तहत दोषी ठहराया गया है. हालांकि, उसके परिवार का दावा है कि उसे झूठे आरोप में फंसाया गया है. परिवार का कहना है कि यह मामला बाल संरक्षण कानून के दायरे में लाकर उनकी बेटी को फंसाने की साजिश है.
अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि भारतीय सरकार और UAE की कोर्ट इस मामले को कैसे संभालती है. शहजादी के परिवार को उम्मीद है कि समीक्षा याचिका के माध्यम से उन्हें न्याय मिलेगा और उनकी बेटी की जान बचाई जा सकेगी.