रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध का आज 12वां दिन है. इस जंग में यूक्रेन अकेले ही रूस की सेना से मुकाबला कर रहा है. हांलाकि यूक्रेन को इस जंग में अमेरिका से मदद की उम्मीदें थी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. रूसी हमले के बाद अमेरिका ने रूस पर कई तरह के आर्थिक प्रतिंबध तो लगाए, लेकिन सही मायनों में अमेरिका यूक्रेन के लिए कुछ नहीं कर पाया . यूक्रेन- रूस की इस लड़ाई में अमेरिका का नाम बार -बार आ रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि युद्ध से पहले तक अमेरिका लगातार रूस को यूक्रेन पर हमले को लेकर गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी देता रहा, लेकिन जब जंग शुरू हुई तब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने साफ कर दिया कि अमेरिकी सेना यूक्रेन में रूसी सेना के साथ नहीं टकराएगी. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर दुनिया की सबसे बड़ी ताकत होने के बाद अमेरिका ने यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ जंग में अपने हाथ आगे क्यों नहीं किए.
अमेरिका को सता रहा तीसरे विश्व युद्ध का डर
अमेरिका साफ कर चुका है कि वह इस युद्ध में यूक्रेन की मदद नहीं करेगा. इसके पीछे तीसरे विश्व युद्ध का डर बताया जा रहा है. क्योंकि रूस और अमेरिकी सेना एक-दूसरे से भिड़ते हैं तो विश्वयुद्ध होना तय है. इस सिलसिले में अमेरिका का ऐसा मानना है कि अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद करने के लिए आगे बढ़ता है तो और भी कई देश यूक्रेन की मदद करने अमेरिका के साथ आएंगे, और तीसरा विश्व युद्ध होगा.
रूस के पास सबसे बड़ी परमाणु ताकत
अमेरिका और पश्चिमी देशों को रूस लगातार परमाणु युद्ध की धमकी दे रहा है. रूस के पास दुनिया में सबसे ज्यादा परमाणु बम है. आंकड़ों के मुताबिक रूस के पास 6255 परमाणु बम (Nuclear bomb) हैं, जबकि अमेरिका के पास 5550 परमाणु बम हैं. पश्चिमी देशों में ब्रिटेन की बात करें तो उसके पास सिर्फ 225 परमाणु बम हैं. वहीं फ्रांस के पास 290 परमाणु बम हैं. रूस के पास SARMAT RS 28 इंटर कॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल है जिसे SATAN 2 भी कहा जाता SATAN 2 को मोबाइल व्हीकल के जरिए छोड़ा जाता है. बता दें कि इस मिसाइल में 550 किलोटन के 16 एटम बम फिट होते हैं. इस मिसाइल की ऑपरेशनल रेंज 11,200 मील है यानी 17920 किलोमीटर . इसका मतलब दुनिया की हर बड़ी सिटी को टारगेट कर सकती है. ये मिसाइल तीस मिनट में मॉस्को से वॉशिंगटन पहुंच सकती है.
कूटनीतिक वजहें
यूक्रेन के लिए अमेरिका के सेना नहीं भेजने के पीछे कूटनीतिक वजहें भी है. अमेरिका रूस के साथ तेल व्यापार करता है. अगर अमेरिका यूक्रेन की मदद करता है तो जाहिर है कि रूस के साथ व्यापार संबध खराब होंगे. इसके अलावा कोरोना महामारी के बाद यूक्रेन अभी भी कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. ऐसे में अगर अमेरिका अपनी सेना भेजता है तो अमेरिका की आर्थिक नीती पर इसका असर पड़ेगा.
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी वायुसेना रूस के पास
दुनियाभर में हवाई ताकत के मामले में रूस का अमेरिका के बाद दूसरी सबसे बड़ी ताकत है. रूस के पास कुल 4173 विमान हैं, जिनमें 772 लड़ाकू, 739 अटैक, 445 ट्रांसपोर्ट, 552 ट्रेनर, 132 स्पेशल मिशन, 20 टैंकर, 1543 हेलीकॉप्टर और 544 अटैक हेलीकॉप्टर शामिल हैं.
रॉकेट इंजन के लिए अमेरिका रूस पर निर्भर
अमेरिका ने रूस पर कड़े कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों के जवाब में अमेरिका पर भी कड़ा प्रहार किया है. रूस ने अमेरिका को रॉकेट इंजन देने का फैसला कर चुका है. रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस (Roscomos) ने खुद इसकी जानकारी दी है. इतना ही नहीं इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में भी रूसी इंजन लगे हैं. ऐसे में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के सामने उसे रूस के बिना संचालित करना संभव नहीं है. ब्रिटेन समेत कई पश्चिमी देश अपनी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजने के लिए रूस पर निर्भर हैं.