
US Visa: अमेरिका (America) के जब से दोबारा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) बने हैं, तब से लेकर अब तक वह कई अहम आदेश जारी कर चुके हैं. ट्रंप यूएस (US) में अवैध तरीके से आए भारत, पाकिस्तान, मैक्सिको, ब्राजील, चीन समेत कई देशों के सैकड़ों अप्रवासियों को अपने देश से निकाल चुके हैं. अभी कई को निकालने की प्रक्रिया चल रही है. अवैध प्रवासियों में अधिकतर लोग गरीब तबके से हैं. इसी बीच ट्रंप एक ऐसी स्कीम लेकर आए हैं, जो भारत सहित किसी भी देश के व्यक्ति को अमेरिकी नागरिकता देगी. बस इसके लिए बहुत सारे रुपए खर्च करने होंगे.
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने गोल्ड कार्ड (Gold Card) नाम से एक नए वीजा (Visa) प्रोग्राम को शुरू करने का ऐलान किया है. इसे आप 5 मिलियन डॉलर यानी 50 लाख डॉलर या भारतीय करेंसी में करीब 44 करोड़ रुपए में खरीद सकते हैं. ट्रंप ने गोल्ड कार्ड वीजा प्रोग्राम को अमेरिकी नागरिकता (US Citizenship) का रास्ता बताया है. यदि ट्रंप का ये प्लान लागू हो जाता है तो लंबे वक्त से ग्रीन कार्ड की कतार में खड़े भारतीय प्रोफेशनल्स की परेशानी और बढ़ जाएगी.
EB-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेगा गोल्ड कार्ड
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को गोल्ड कार्ड योजना का ऐलान करते हुए कहा कि 5 मिलियन डॉलर की फीस देकर अप्रवासी अमेरिकी में रहने का परमिट हासिल कर सकते हैं. यह प्लान मौजूदा 35 साल पुराने EB-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेगा. ट्रंप का ये प्लान अप्रैल तक लागू होने की संभावना है. शुरुआत में लगभग 10 मिलियन गोल्ड कार्ड वीजा जारी किए जा सकते हैं. ट्रंप ने कहा कि गोल्ड कार्ड को खरीदकर अमीर लोग हमारे देश में आएंगे, वे बहुत सारा पैसा खर्च करेंगे, बहुत सारा टैक्स देंगे और बहुत से अमेरिकी लोगों को रोजगार देंगे.
ट्रंप ने दावा किया कि यह प्रोग्राम बहुत सफल होगा और इससे राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है. आपको मालूम हो कि वर्तमान में अमेरिकी नागरिकता के लिए EB-5 वीजा प्रोग्राम सबसे आसान रास्ता है. इसके लिए दूसरे देशों के लोगों को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.75 करोड़ रुपए) देने होते हैं. कॉमर्शियल सेक्रेटरी हॉर्वड लुटनिक ने बताया कि कहा कि गोल्ड कार्ड वीजा प्रोग्राम से यूएस में निवेश बढ़ेगा. EB-5 वीजा से जुड़ी धोखाधड़ी रुकेगी और नौकरशाही पर लगाम लगेगी.
EB-5 वीजा और गोल्ड कार्ड में अंतर
अमेरिका ने EB-5 वीजा की शुरुआत साल 1990 में की थी. इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करना था. इसके लिए 1 मिलियन डॉलर चुकाने होते हैं, जिससे करीब 10 नौकरियां पैदा हों. EB-5 वीजा लेने वाला व्यक्ति किसी रोजगार देने वाले नियोक्ता से नहीं बंधा होता है. वह यूएस में कहीं भी रहकर काम या पढ़ाई कर सकता है. इस वीजा को लेकर अमेरिका का स्थायी नागरिक बना जा सकता है. 5-7 साल में ग्रीन कार्ड मिल जाता है. अब गोल्ड कार्ड वीजा के लिए 5 मिलियन डॉलर का निवेश करना होगा. इस वीजा को वही अमीर अप्रवासी ले पाएंगे जो इतने डॉलर निवेश करने में सक्षम होंगे. नए वीजा कार्ड की भारी कीमत इसे मिडिल क्लास निवेशकों की पहुंच से बाहर कर देगी.
भारतीयों पर क्या पड़ेगा प्रभाव
डोनाल्ड ट्रंप ने गोल्ड कार्ड को जारी करते हुए कहा कि इससे ग्रीन कार्ड मिल जाएगा. उन लोगों को अमेरिका की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ होगा, जो हमारे देश को मजबूत करने के लिए निवेश करना चाहते हैं. आपको मालूम हो कि ग्रीन कार्ड किसी को अमेरिका में अनिश्चित काल तक यानी स्थायी रूप से रहने और काम करने का अधिकार देता है. इसका मतलब है कि यह कार्ड उन लोगों के लिए होता है, जो अमेरिकी नागरिक नहीं हैं. गोल्ड कार्ड के लिए 5 मिलियन डॉलर की जरूरत पड़ेगी. इतनी रकम मीडिल क्लास के भारतीय अमेरिका में रहने के लिए देने में सझम नहीं होंगे.
सिर्फ भारत के बहुत अमीर और बड़े कारोबारी ही अमेरिकी निवास पाने के लिए इस गोल्ड कार्ड वीजा को ले सकते हैं. इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ने की संभावना है, जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे इंतजार के दौर से गुजर रहे हैं. EB-5 को खत्म करने से लंबे ग्रीन कार्ड बैकलॉग में फंसे स्किल्ड भारतीय प्रोफेशनल्स को भी नुकसान हो सकता है. ईबी-5 के तहत अप्लाई करने वाले लोन ले सकते थे या पैसा जुटा सकते थे, जबकि गोल्ड कार्ड वीजा के लिए पूरा भुगतान नकद करना होगा. इससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाएगा. H-1B वीजा वाले भारतीय भी गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं. बस इसके लिए उन्हें 5 मिलियन डॉलर का भुगतान करना होगा.