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US President Election: प्राइमरी से लेकर नेशनल कन्वेंशन तक... अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझिए

US President Election 2024: अमेरिका में साल 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होना है. इसके लिए रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से माइक पेंस ने उम्मीदवारी का दावा पेश किया है. माइक उपराष्ट्रपति पद पर काम कर चुके हैं और डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक रहे हैं.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लिए माइक पेंस ने रिपब्लिकन उम्मीदवारी का दावा ठोंका अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के लिए माइक पेंस ने रिपब्लिकन उम्मीदवारी का दावा ठोंका

साल 2024 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है. इसको लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. पूर्व उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी का दावा पेश किया और कागजी कार्रवाई पूरी की. माइस पेंस रिपब्लिकन पार्टी में उम्मीदवारी के लिए डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती देंगे. माइक आयोवा में एक वीडियो और किकऑफ कार्यक्रम के साथ रिपब्लिकन पार्टी से औपचारिक तौर पर नॉमिनेशन दाखिल करेंगे. चलिए आपको अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया आपको बताते हैं.

संविधान में राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र-
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर होता है. इसके लिए संविधान के आर्टिकल 2 के सेक्शन 1 में प्रावधान है. अगर कोई अमेरिका में राष्ट्रपति बनना चाहता है तो उसे 3 शर्तों को पूरा करना ही पड़ता है. चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति अमेरिका में पैदा होना चाहिए. उसकी उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए और चुनाल लड़ने वाला शख्स कम से कम 14 साल अमेरिका में रहा होना चाहिए.

पार्टियां कैसे चुनती हैं राष्ट्रपति उम्मीदवार-
अमेरिका सियासी पार्टियों की कमी नहीं है. लेकिन दो मुख्या पार्टियां डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी है. इसके अलावा कई राजनीतिक दल हैं. लेकिन उनका प्रभाव नहीं के बराबर है. इसलिए राष्ट्रपति का चुनाव डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन के बीच ही होता है. राष्ट्रपति चुनाव के लिए दोनों पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवार उतारती हैं. पार्टी में इन उम्मीदवारों को चुनने की प्रक्रिया भी लंबी और जटिल होती है. चलिए आपको बताते हैं कि डेमेक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी कैसे अपने राष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन करते हैं.

प्राइमरी और कॉकस-
राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टियां अपना उम्मीदवार चुनने के लिए दो तरीके अपनाती हैं. उम्मीदवार चुनने का पहला तरीका प्राइमरी और दूसरा तरीका कॉकस है.

प्राइमरी सिस्टम से चुनाव-
प्राइमरी चुनाव राज्य सरकारों के अंतर्गत कराए जाते हैं. ये खुले और बंद तरीके से होते हैं. इसका मतलब है कि अगर राज्य सरकार चाहती है कि खुले रूप से चुनाव हो तो पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ आम जनता भी वोट कर सकती है. जबकि बंद रूप से चुनाव होता है तो इसमें सिर्फ पार्टी कार्यकर्ता ही उम्मीदवार को चुनते हैं. प्राइमरी सिस्टम से राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का तरीका ज्यादातर राज्यों में अपनाया जाता है.

कॉकस सिस्टम से चुनाव-
कॉकस सिस्टम में राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चुनाव पार्टी ही कराती है. इसमें पार्टी कार्यकर्ता एक जगह इकट्ठा होते हैं और अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा करते हैं. जो शख्स पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनना चाहता है तो वो अपनी बात कहता है. समर्थक उसे सुनते हैं. उसके बाद अपनी राय बनाते हैं. उस सभा में मौजूद सभी कार्यकर्ता हाथ खड़ा करके अपने उम्मीदवार को समर्थन देते हैं. हालांकि ये तरीका बहुत ही कम राज्यों में अपनाया जाता है.

नेशनल कन्वेंशन में होता है उम्मीदवार का ऐलान-
प्राइमरी और कॉकस के जरिए दोनों पार्टियां अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार चुन लेती हैं. लेकिन इसका ऐलान नेशनल कन्वेंशन में होता है. डेमोक्रेट्स का नेशनल कन्वेंशन जुलाई में होता है, जबकि रिपब्लिकन का नेशनल कन्वेंशन अगस्त में होता है. इस कन्वेंशन में राष्ट्रपति उम्मीदवार अपनी उम्मीदवारी स्वीकार करता है. इस नेशनल कन्वेंशन में ही राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का ऐलान करता है. उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार कोई भी हो सकता है, जिसे राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनता है. नेशनल कन्वेंशन के बाद राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है.

कब शुरू होती है राष्ट्रपति चुनाव की प्रकिया-
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव हर चौथे साल में नवंबर के पहले मंगलवार को होता है. इस दिन ही वोटिंग होती है. लेकिन चुनाव की प्रक्रिया अक्टूबर महीने में ही शुरू हो जाती है. अमेरिका में चुनाव आयोग जैसी कोई संस्था नहीं है. अमेरिका में वाशिंगटन डीसी का नेशनल आर्काइव कार्यालय ही राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को प्रमाणित करता है. अकार्विस्ट हर प्रांत के गवर्नर को चिट्ठी भेजता है और इलेक्टोरल कॉलेज के लिए इलेक्टर्स चुनने की प्रक्रिया बताई जाती है.

इलेक्टोरल कॉलेज से होता है राष्ट्रपति का चुनाव-
अमेरिका में अप्रत्यक्ष तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव होता है. जनता सीधे राष्ट्रपति को नहीं चुनती है. अमेरिकी वोटर्स स्थानीय लेवल पर एक इलेक्टर का चुनाव करती है. देशभर से 538 इलेक्टर चुने जाते हैं. इस ग्रुप को इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है. इस ग्रुप में जिसको ज्यादा समर्थन मिलता है, वो राष्ट्रपति बनता है. अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के लिए 270 इलेक्टर्स के समर्थन की जरूरत होती है.
प्रांतों की राजधानियों में इलेक्टरोल कॉलेज के इलेक्टर्स जुटते हैं और औपचारिक तौर पर राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनने के लिए वोट डालते हैं. ये वोटिंग दिंसबर के दूसरे बुधवार के बाद पहले सोमवार को होती है. हर प्रांत में इलेक्टर्स 6 वोट का सर्टिफिकेट तैयार करते हैं. इसमें से दो सर्टिफिकेट सीनेट प्रमुख और अकार्विस्ट को रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाता है. जबकि 4 सर्टिफिकेट को राज्यों के अधिकारियों को भेजा जाता है.

कांग्रेस में होती है वोटों की काउंटिंग-
अमेरिकी संसद कांग्रेस के दोनों सदनों सीनेट और प्रतिनिधिसभा की संयुक्त बैठक बुलाई जाती है. इसमें इलेक्टरोल ग्रुप के वोटों की गिनती होती है और विजयी उम्मीदवार का ऐलान होता है. सीनेट का अध्यक्ष विजयी राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम का औपचारिक ऐलान करता है.

इलेक्टोरल कॉलेज से नहीं मिलता बहुमत तो क्या होगा-
अगर इलेक्टोरल कॉलेज से किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता है तो राष्ट्रपति का चुनाव के लिए प्रतिनिधि सभा की बैठक बुलाने की नियम है. एक बार ऐसा ही हुआ था. साल 1824 में इलेक्टोरल कॉलेज से राष्ट्रपति का चुनाव नहीं हो पाया था तो प्रतिनिधि सभा की बैठक बुलाई गई और जॉन क्विंसी एडम्स राष्ट्रपति चुने गए थे.

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