जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज (Climate Change) को लेकर COP-27 की बैठक इस बार मिस्त्र में 6 से 18 नवंबर तक आयोजित है. इस सम्मेलन में 120 से अधिक विश्व नेता आने वाले हैं. भारत की ओर से इसका प्रतिनिधित्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव कर रहे हैं. UNFCCC एक वैश्विक समझौता है, जिसपर अब तक 197 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं. इसका उद्देश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है.
क्या है COP
COP का पूरा नाम 'कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज' है. भारत भी इसका सदस्य है. COP का पहला सम्मेलन मार्च, 1995 को बर्लिन में आयोजित किया गया था, इसके बाद से यह लगातार जारी है. इस बार 27वां COP होने वाला है. संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन में जलवायु परिवर्तन से जुड़े सभी मुद्दों पर चर्चा होती है. इसका उद्देश्य जलवायु आपदा की ओर ध्यान दिलाना और जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है.
क्या है भारत का मुद्दा
भारत के लिए क्लाइमेट फाइनेंस अहम मुद्दा रहा है. 21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. भारत का उदेश्य वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को नियंत्रित करना है. इस सम्मेलन में शामिल होने से पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा 'भारत विकासशील देशों के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की मांग विकसित देशों से करेगा. ताकि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सके.' सार्वजनिक और निजी फाइनेंस को अलग करने को लेकर भारत स्पष्टीकरण मांगेगा, चाहे वह अनुदान हो, ऋण हो, या सब्सिडी. सार्वजनिक और निजी वित्त को अलग किया जाना चाहिए. यह हमारा समग्र दृष्टिकोण है. जलवायु वित्त की परिभाषा पर और अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है.'
कौन हो सकता है COP27 में शामिल
विभिन्न पार्टियों के प्रतिनिधि
मीडिया के मेंबर्स
पर्यवेक्षक संगठनों के प्रतिनिधि