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Cango में भारत के 2 जवान शहीद, जानिए UN Peacekeeping Mission में अब तक क्या रही है भारत की भूमिका

UN शांति मिशन के तहत भारत ने अब तक 49 शांति अभियानों में हिस्सा लिया है. इन शांति अभियानों में अब तक 175 भारतीय जवानों ने शहादत दी है. आज भी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए भारत के 5 हजार सैनिक और पुलिस जवान तैनात हैं.

कांगो में भारत के दो जवान शहीद (Photo/Twitter) कांगो में भारत के दो जवान शहीद (Photo/Twitter)
हाइलाइट्स
  • कांगो में भारत के दो जवान शहीद

  • भारत के 5 हजार जवान शांति अभियानों में तैनात

अफ्रीकी देश कांगो में यूएन शांति मिशन के तहत तैनात दो भारतीय जवान शहीद हो गए. विद्रोहियों ने यूएन शांति सेना के कैंप में घुस गए और फायरिंग की. जिसमें दो भारतीय और मोरक्को का एक जवान शहीद हो गए. ये घटना यूगांडा के बॉर्डर के पास शहर में हुई. कांगो में कई गुटों के बीच काफी समय से गृह युद्ध चल रहा है. इसी को लेकर यूएन पीसकीपिंग फोर्स तैनात की गई है.

कांगो में दो भारतीय जवान शहीद-
भारत के दो जवान हेड कांस्टेबल शिशुपाल सिंह और हेड कांस्टेबल सांवला राम विश्नोई शहीद हो गए. दोनों बीएसएफ के जवान थे और कांगो में तैनात थे. यूएन पीसकीपिंग फोर्स के तहत काम करते हुए अब तक 175 भारतीय जवानों ने जान गंवाई है. संयुक्त राष्ट्र के दूसरे सहयोगी देशों के मुकाबले भारत के जवानों ने दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए ज्यादा शहादत दी है.

दुनिया में UN शांति मिशन-
साल 1948 से अब तक संयुक्त राष्ट्र शांति सेना ने 71 फील्ड मिशन चलाए हैं. फिलहाल यूएनडीपीओ की तरफ से दुनिया में 13 शांति अभियान चलाए जा रहे हैं. जिसमें 81820 कर्मचारी तैनात हैं. ये संख्या साल 1999 के मुकाबले 9 गुना है. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में 119 देशों के जवान तैनात हैं. इस वक्त 72930 सैनिक और मिलिट्री ऑब्जर्वर तैनात हैं. इसके अलावा 8890 पुलिसकर्मी भी तैनात हैं.

शांति मिशन में भारत की भूमिका-
संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भारत का लंबा इतिहास है. इन .अभियानों में दुनिया के बाकी देशों से ज्यादा भारत का योगदान है. साल 1948 से अब तक भारत ने UN के 49 शांति अभियानों में हिस्सा लिया और 2 लाख 53 हजार भारतीय सैनिकों ने अपनी सेवाएं दी हैं. फिलहाल भारत के 5 हजार सैनिक और पुलिस शांति अभियानों में तैनात हैं. इस वक्त भारत इन अभियानों में सैन्य सहयोग देने वाला पांचवां सबसे बड़ा देश है. भारतीय जवान कांगो, लेबनान, दक्षिण सूडान, गोलान हाइट्स, सीरिया, साइप्रस, वेस्टर्न सहारा जैसी जगहों पर तैनात हैं.
यूएन शांति अभियानों में भारत की शुरुआत साल 1950 में कोरिया में तैनाती से हुई थी. इस दौरान भारत ने कोरिया में युद्धबंदियों के मसले पर मध्यस्थता की थी. जिसके बाद कोरिया युद्ध खत्म हुआ था. 5 देशों के कमीशन की अध्यक्षता भारत ने की थी. इसके संयुक्त राष्ट्र ने भारतीय सेना को मध्य पूर्व, साइप्रस और कांगो में शांति मिशनों का जिम्मा सौंपा. इसके अलावा भारत ने वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में पर्यवेक्षक की भूमिका निभाई.

UN शांति सेना में भारतीय महिलाओं की भूमिका-
साल 2007 में भारत दुनिया का पहला देश बना. जिसने ऑल वुमन टीम को शांति मिशन के लिए लाइबेरिया भेजा था. इंडिया फोर्स ने 24 घंटे की ड्यूटी की. राजधानी मोनरोविया में रात में भी गश्त की. इतना ही नहीं, लाइबेरिया में पुलिस फोर्स की क्षमता को बेहतर करने में मदद की. 

मेडिकल क्षेत्र में भारत की भागीदारी-
शांति अभियानों के तहत भारतीय दल चिकित्सा शिविर भी आयोजित करते हैं. चिकित्सा सेवा उन समुदायों को दी जाती है, जहां भारतीय सेना शांति सेना के तौर पर काम करती है. इसके अलावा पशु चिकित्सा और इंजीनियरिंग सेवाएं भी दी जाती हैं. दक्षिण सूडान में यूएन शांति मिशन के तहत काम करते हुए भारतीय जवानों ने पशुपालकों की मदद की. इस युद्धग्रस्त इलाकों में कुपोषण और बीमारी की वजह से ज्यादातर पशुओं की मौत हो रही थी. जिसके बाद भारतीय डॉक्टरों ने उनकी मदद की. इसके अलावा दक्षिण सूडान में भारतीय दल ने कमर्शियल ट्रेनिंग और सड़कों की मरम्मत का भी काम किया. सितंबर 2020 में भारत ने कांगो के गोमा और दक्षिण सूडान के जुबा में 15 डॉक्टरों की दो टीमें तैनात की. गोमा में जनवरी 2005 से भारत अस्पताल चला रहा है. जिसमें 18 विशेषज्ञों समेत 90 इंडियंस हैं.
शांति सेना में भारत ने 17 फोर्स कमांडर, 2 मिलिट्री एडवाइजर, एक डिप्टी मिलिट्री एडवाइजर टू यूएन सेक्रेट्री जनरल, 2 डिविजन कमांडर, एक फीमेल पुलिस एडवाइजर और 8 डिप्टी फोर्स कमांडर तैनात हैं. भारत पहला देश है, जिसने यौन शोषण और दुर्व्यहार को लेकर ट्रस्ट फंड में योगदान किया. ये ट्रस्ट साल 2016 में स्थापित किया गया था.

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