scorecardresearch

Right to Disconnect Law: वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए ऑस्ट्रेलिया की पहल, Office Hours के बाद इग्नोर कर सकते हैं काम से जुड़े मैसेज या कॉल

Australia Right to Disconnect Law: ऑस्ट्रेलिया (Australia) में वर्क लाइफ बैलेंस करने को लेकर सरकार राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ (Right to Disconnect Law) लाई है. इस कानून के तहत कर्मचारी काम के बाद ऑफिस के मेल, मैसेज और कॉल को नजरंदाज कर सकते हैं.

Australia Right to Disconnect Law (Photo Credit: Getty Images) Australia Right to Disconnect Law (Photo Credit: Getty Images)

Australia Right to Disconnect Law: क्या ऑफिस में काम करने के बाद भी आपको एक्स्ट्रा वर्क के लिए कहा जाता है? छुट्टी के दिन भी आपको काम के लिए कहा जाता है. ऐसे वर्क कल्चर को खत्म करने के लिए ऑस्ट्रेलिया में एक नई पहल की गई है. वर्क लाइफ बैलेंस करने के लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ (Australia Right to Disconnect Law) लाई है.

ऑस्ट्रेलिया सरकार (Australia Government) के राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ (Right to Disconnect Law) के तहत ऑफिस के बाद कर्मचारी बॉस के मेल और कॉल को इग्नोर कर सकते हैं. ऑस्ट्रेलिया में राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ सोमवार से लागू हो गया है. ऑस्ट्रेलिया में ये कानून काम और पर्सनल लाइफ को अलग-अलग बनाए रखने के लिए बनाया गया है. 

अब कर्मचारी अपने काम के घंटे के बाद बॉस को नो बोल सकते हैं. इसके लिए कर्मचारी के बॉस उसको कुछ नहीं कह सकते हैं. इस कानून के बाद ऑस्ट्रेलिया में अगर कोई कंपनी इसको लागू नहीं करती है तो उन पर जुर्माना लगेगा. साथ ही अगर कोई सीनियर कर्मचारी इसके लिए अपने जूनियर को कुछ कहता है तो उस पर भी फाइन लगेगा.

सम्बंधित ख़बरें

क्यों जरूरत पड़ी?
इस बारे में एक रिपोर्ट में जारी की गई है. स्विनबर्ग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (Swinburne University of Technology) के एसोसिएट प्रोफेसर जॉन हॉपकिंस ने बताया- डिजिटल टेक्नोलॉजी से पहले ऐसा वर्क कल्चर नहीं हुआ करता था. लोग ऑफिस में अपनी शिफ्ट खत्म होने के बाद घर चले जाते थे. इसके बाद अगले दिन तक उनसे काम को लेकर कोई बात नहीं होती थी.

एसोसिएट प्रोफेसर जॉन हॉपकिंस ने कहा कि आज के डिजिटल समय में ऑफिस में काम के बाद भी कर्मचारी काम के लिए एसएमएस, ईमेल और फोन कॉल पर जुड़े रहते हैं. यहां तक कि छुट्टी के दिन भी लोगों को काम करना पड़ता है.

लगातार काम में लगे रहने से ऐसा लगता है कि इससे काम ज्यादा और बेहतर हो रहा है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि ऐसे वर्क कल्चर का बुरा असर भी पड़ता है. लगातार काम करने से थकान तो होती ही है. साथ ही कर्मचारियों की क्रिएटविटी में कमी और जॉब करने में संतुष्टि भी नहीं मिलती है.

281 घंटे ओवरटाइम
वर्क कल्चर को लेकर पिछले साल आस्ट्रेलिया के एक इंस्टीट्यूट ने एक सर्वे किया है. इस सर्वे में पता चला कि ऑस्ट्रेलिया में लोग औसतन 281 घंटे ओवरटाइम कर रहे हैं. 

इस ओवरटाइम का लोगों को कोई पैसा भी नहीं दिया गया. ऑस्ट्रेलिया के लोगों के ओवरटाइम का कुल भुगतान 130 बिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर होता है.

माइंडटॉक के सीनियर साइकोलॉजिस्ट ने बताया कि आस्ट्रेलिया में काम के घंटों के बाद ऑफिस की फोन कॉल को अनदेखा करने का कानून वर्क और लाइफ में बैलेंस बनाने को लेकर एक अच्छा बदलाव है. डिजिटल टूल और रिमोट वर्किंग ने प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ लाइन की धुंधला कर दिया है.

सेहत पर असर
ऐसे वर्क कल्चर से काम पर्सनल टाइम पर हावी होता है. कर्माचारियों में अगले काम और ईमेल की चिंता का लेवल बढ़ जाता है. इससे सेहत पर भी असर पड़ता है. 

जर्नल ऑफ ऑक्यूपेशनल हेल्थ साइकोलॉजी में पब्लिश में एक स्टडी में पता चलता है कि जब कर्मचारियों के पास डिस्कनेट और रिचार्ज करने का टाइम नहीं होता है तो बर्नआउट होने का भी  खतरा बढ़ जाता है.

क्या है ये कानून?
ऑस्ट्रेलिया में लागू राइट टू डिस्कनेक्ट कानून काम के घंटों के कर्मचारियों से काम को लेकर बात करने के लिए पूरी तरह से बैन नहीं लगाता है. ये कानून उन लोगों को सुरक्षा देता है जो काम के बाद ऑफिस के काम को लेकर किसी मैसेज और जवाब नहीं देना चाहते हैं.

काम के बाद कर्मचारियों से बात करने को लेकर दोनों पक्षों के बातचीत होगी. इससे ये तय किया जाएगा कि काम को लेकर बात कब कर सकते हैं. यदि कोई सीनियर बार-बार कर्मचारी को सही समय पर कॉल नहीं करता है तो उसकी शिकायत फेयर वर्क कमीशन से की जा सकती है.

ऑस्ट्रेलिया में इस कानून के लागू होने के बाद कर्मचारी काम के घंटे के बाद काम से संबंधित कॉल और मेल का जवाब नहीं देना चाहते हैं तो उसके लिए उनके सीनियर कुछ नहीं कह सकते हैं. इस कानून को ना मानने पर कंपनी या व्यक्ति पर जुर्माना लगाया जाएगा.

इन देशों में भी है ये नियम
वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर आस्ट्रेलिया से पहले भी कई देशों में राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ है. फ्रांस में साल 2017 में राइट टू डिस्कनेक्ट लॉ लागू हुआ था. इसके अलावा  इटली, स्पेन, कनाडा, बेल्जियम, चिली, जर्मनी, लग्जमबर्ग और अर्जेंटीना समेत कई देशों में ये नियम लागू है.