कर्नाटक में बेलूर, हालेबीडू और सोमनाथपुरा के प्रसिद्ध होयसला मंदिरों को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व विरासत सूची में जोड़ा गया है. यह समावेशन भारत में 42वें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का प्रतीक है. इससे एक दिन पहले ही रवीन्द्रनाथ टैगोर के शांतिनिकेतन को भी इस लिस्ट में शामिल किया गया है.
'होयसला का पवित्र मंदिर समूह' 15 अप्रैल, 2014 से यूनेस्को की संभावित सूची में है. इन्हें साल 2022-2023 के लिए वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में नामांकित किया गया था. ये तीनों होयसल मंदिर पहले से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षित स्मारक हैं.
क्या है World Heritage Site बनने की प्रक्रिया
होयसला के पवित्र मंदिर समूहों के साथ अब भारत में 42 स्थल और स्मारक हैं जिन्हें UNESCO ने विश्व धरोहर या विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया है. इस सूची में शामिल होने के लिए किसी भी स्थल या स्मारक की मान्यता सार्वभौमिक होनी चाहिए. सबसे पहले कोई भी देश अपने स्थलों या स्मारकों की एक नामांकन सूची तैयार करता है और इस सूची का अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ जैसी संस्थाएं आकलन करके विश्व धरोहर समिति को सिफारिश करती हैं.
विश्व धरोहर समिति साल में एक बार बैठक करके इस नामांकित सूची पर निर्णय लेती है और फिर सभी मापदंडों के आधार पर विश्व धरोहर लिस्ट में स्थलों या स्मारकों को शामिल करती है. इसके चयन के लिए दस मापदंड तय किए गए हैं जिन्हें पूरा करने पर कोई भी स्थल या स्मारक वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स लिस्ट में शामिल होता है.
ये हैं UNESCO के मापदंड
1. किसी इंसान की रचनात्मक प्रतिभा की उत्कृष्ट कृति का प्रतिनिधित्व करने वाला स्मारक या स्थल
2. आर्किटेक्चर या टेक्नोलॉजी, स्मारक कला, टाउन-प्लानिंग या लैंडस्केप डिजाइन के विकास पर, समय के साथ या दुनिया के एक सांस्कृतिक क्षेत्र के भीतर, मानवीय मूल्यों के एक महत्वपूर्ण आदान-प्रदान को प्रदर्शित करने वाले स्मारक या स्थल
3. जीवित या लुप्त हो चुकी किसी सांस्कृतिक परंपरा या किसी सभ्यता के लिए अद्वितीय या कम से कम असाधारण गवाही देने वाला को स्थान या स्मारक
4. कोई स्थल या स्मारक, एक प्रकार की इमारत, वास्तुशिल्प या तकनीकी लैंडस्केप का एक उत्कृष्ट उदाहरण होना जो मानव इतिहास के महत्वपूर्ण चरणों को दर्शाता हो
5. पारंपरिक मानव बस्ती, भूमि-उपयोग, या समुद्री-उपयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण जो किसी संस्कृति (या संस्कृतियों) या पर्यावरण के साथ मानव संपर्क का प्रतिनिधि हो, और यह अचल परिवर्तन के प्रभाव केकारण कमजोर या असुरक्षित हो.
6. कोई स्थल जो महत्वपूर्ण घटनाओं या जीवित परंपराओं, विचारों, या विश्वासों, और सार्वभौमिक महत्व के कलात्मक और साहित्यिक कार्यों के साथ प्रत्यक्ष या मूर्त रूप से जुड़ा हो. (समिति का मानना है कि इस मानदंड का उपयोग अन्य मानदंडों के साथ किया संयोजन में किया जाना चाहिए)
7. उत्कृष्ट प्राकृतिक घटनाओं या असाधारण प्राकृतिक सौंदर्य और सौंदर्य महत्व के क्षेत्रों को शामिल करना
8. पृथ्वी के इतिहास के प्रमुख चरणों का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्कृष्ट उदाहरण, जिसमें जीवन का रिकॉर्ड, भू-आकृतियों के विकास में चल रही महत्वपूर्ण भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं, या महत्वपूर्ण भू-आकृति या भौतिक विशेषताएं शामिल हों.
9. स्थलीय, ताजे पानी, तटीय और समुद्री इकोसिस्टम और पौधों और जानवरों के समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण चल रही इकोलॉजिकल और बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला उत्कृष्ट उदाहरण.
10. विज्ञान या संरक्षण के दृष्टिकोण से उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य की खतरे वाली प्रजातियों के साथ जैविक विविधता के संरक्षण के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक आवास.
आसान शब्दों में कहें तो इतिहास, कला, संस्कृति, सभ्यता, विज्ञान, पर्यावरण, तकनीक या परंपरा आदि के लिहाज से कोई ऐसा स्थल या स्मारक जो प्राकृतिक या मानवनिर्मित उदाहरण है और इनका विश्व स्तर पर योगदान है तो ऐसे स्थलों या स्मारकों को विश्व धरोहर बनाने पर विचार किया जा सकता है.
क्या है इस लिस्ट में शामिल होने का फायदा
यूनेस्को के अनुसार, जब कोई देश विश्व धरोहर सम्मेलन का हस्ताक्षरकर्ता (सिग्नेचरी) बन जाता है और उसके स्थलों को विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाता है, तो इससे अक्सर उसके नागरिकों और सरकार दोनों के बीच विरासत संरक्षण के लिए मान्यता और प्रशंसा बढ़ जाती है. इसके अलावा, देश इन बहुमूल्य स्थलों की सुरक्षा के उद्देश्य से प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए विश्व धरोहर समिति से वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ मार्गदर्शन का फायदा उठा सकता है.
अगर कोई स्थल या स्मारक वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित होता है, तो सबसे बड़ा फायदा है टूरिज्म. क्योंकि यह जगह पर्यटन के लिहाज से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाती है. विश्व धरोहर बनने के बाद इस स्थल के बचाव और देखरेख की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. ऐसे में, देशों को अपनी धरोहरों की देख-रेख के लिए यूनेस्को से भी हर संभव मदद मिलती है. जब यूनेस्को की सूची में नाम शामिल होता है तो विदेशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ती है और इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होता है.
टूरिज्म बढ़ने से इन जगहों पर रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं. साथ ही, उस जगह से ताल्लुक रखने वाले लोगों के मन में गौरव की भावना पैदा होती है.