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Pakistan Crisis: किसी देश के दिवालिया होने का क्या है पैमाना, जानिए डिफॉल्टर होने पर उस देश का क्या होता है

Pakistan Economy Crisis: जब किसी देश के पास दूसरे देशों और इंटरनेशनल संस्थाओं का कर्ज चुकाने का पैसा नहीं होता है तो उसकी साख गिर जाती है. ऐसे में कोई भी देश उसको कर्ज नहीं देता है. ऐसे में उस देश के दिवालिया होने की शुरुआत होती है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने देश को दिवालिया बता दिया है. हालांकि पाकिस्तान ने अभी कर्ज चुकाने से इनकार नहीं किया है.

पाकिस्तान बुरे आर्थिक हालात से गुजर रहा है. (Photo/Twitter) पाकिस्तान बुरे आर्थिक हालात से गुजर रहा है. (Photo/Twitter)

पाकिस्तान आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. महंगाई बढ़ती जा रही है. रोजमर्रा के सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं. इस बीच देश के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान दिया है कि पाकिस्तान दिवालिया हो चुका है. ख्वाजा सियालकोट में एक निजी कॉलेज के दीक्षांत समारोह में कहा कि पाकिस्तान डिफॉल्ट नहीं कर रहा है, बल्कि पहले ही डिफॉल्ट हो चुका है और हम एक दिवालिया देश में रह रहे हैं. रक्षा मंत्री का बयान वायरल हो रहा है. लोगों के जेहन में सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान दिवालिया घोषित हो जाएगा तो क्या होगा? कोई देश दिवालिया कैसे घोषित होता है? दिवालिया घोषित होने के क्या नियम है? तो चलिए हम आपको इनके बारे में बताते हैं.

कैसे दिवालिया घोषित होता है कोई देश-
जब किसी देश का विदेशी मु्द्रा भंडार कम होने लगता है तो चिंता बढ़ जाती है और जब विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो जाता है कि भुगतान संकट का सामना करना पड़े तो देश को दिवालिया घोषित माना जाता है. इसका मतलब है कि अगर किसी देश के पास इंटरनेशनल संस्थाओं या दूसरे देशों से लिये कर्ज की किस्त चुकाने के पैसे नहीं होते हैं और अगर देश आयात किए सामान की कीमत भी नहीं चुका पाता तो उस देश को दिवालिया मान लिया जाता है. हालांकि बीबीसी की एक रिपोर्ट में जेएनयू के प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक विदेशी कर्ज की रकम से कम विदेशी मुद्रा भंडार का होना दिवालिया होना नहीं होता है. विदेशी कर्ज अमेरिका, जापान, चीन समेत सभी देशों पर है. असल मुद्दा है कि आपकी क्रेडिट रेटिंग कैसी है. प्रोफेसर के मुताबिक डिफॉल्टर होने का मतलब आपने तक वक्त पर कर्ज अदायगी नहीं की और यह दिवालिया होने की शुरुआत है.

दिवालिया होने पर क्या होता है-
अगर कोई देश दिवालिया हो जाता है तो उस देश में राजनीतिक अस्थिरता आना तय माना जाता है. महंगाई और बेरोजगारी बढ़ने से लोग परेशान हो जाते हैं. ज्यादातर लोग देश छोड़कर भागने लगते हैं. लोग बैंकों से पैसा निकालने लगते हैं. ऐसे में सरकार सबसे पहले बैंकों पर कंट्रोल करती है और पैसे के लेनदेन को सीमित करती है. कई बार तो सरकार बैंकों से पैसों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी जाती है. अगर कोई देश दिवालिया घोषित हो जाता है तो कोई भी देश या संस्थान पैसे वापस मांगने के लिए धमकी नहीं दे सकता है.

विदेशों में मौजूद संपत्ति नीलाम करता है दिवालिया देश-
अगर कोई देश दिवालिया घोषित हो जाता है तो विदेशों में मौजूद उसकी प्रॉपर्टी की बोली लगाई जाती है, वो भी उसकी सहमति से. इसके बाद इन पैसों सो नुकसान की भरपाई की जाती है. हालांकि किसी भी देश के कर्ज की भरपाई का ये बहुत ही छोटी रकम होती है. अगर कोई देश कर्ज में डूब जाता है तो उसके सामने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं होता है. ऐसे में मजबूरन वो दूसरे देश में मौजूद प्रॉपर्टी को नीलाम करने पर सहमति जताता है. जैसा कि साल 2001 में हुआ था. जब अर्जेंटीना डिफॉल्टर हो गया था. अर्जेंटीना ने साफ कह दिया था कि उसके पास कर्ज चुकाने के पैसे नहीं हैं. ऐसे में घाना में मौजूद उसके नेवी शिप को सीज कर दिया गया था.
ऐसे में पाकिस्तान भी अपनी विदेशों में मौजूद प्रॉपर्टी को बेच सकता है. अमेरिका और लंदन में पाकिस्तान अपनी डिप्लोमेटिक इमारतें और आलीशान होटल बेच सकता है.

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