
'हमेशा ज़िन्दा रहने' की चाह रखने वाले ब्रायन जॉनसन हाल ही में ज़ेरोधा को-फाउंडर निखिल कामथ की पॉडकास्ट को बीच में छोड़ने के लिए चर्चा में आ गए थे. उन्होंने कहा था कि खराब वायु गुणवत्ता (Air Quality) की वजह से उनके गले और आंखों में जलन हो रही थी. साथ ही उनकी स्किन पर छाले भी पड़ रहे थे.
अब जॉनसन ने एक रिसर्च के हवाले से भारत की एयर क्वालिटी पर निशाना साधा है. ब्रायन जॉनसन कौन हैं और उन्होंने रिसर्च के हवाले से क्या कहा है, आइए डालते हैं नजर.
कौन हैं ब्रायन जॉनसन?
अमर कौन नहीं होना चाहता? हमेशा-हमेशा जीते रहने का विचार कभी न कभी हर किसी को लुभाता ही है. अमरता की खोज में इंसान ने कितने ही शिखर चढ़ने की कोशिश की. हमारी कहानियों और फिल्मों में भी इस विचार को जीने की कोशिश की गई. लेकिन अमेरिका का एक आदमी है जो हमेशा-हमेशा जीने की कोशिश कर रहा है.
इस आदमी का नाम है ब्रायन जॉनसन. खास बात यह है कि ब्रायन के अनुसार वह ऐसा कर सकते हैं. ब्रायन अपने शरीर की उम्र को कम करने के प्रयास कर रहे हैं. और वह अपनी वेबसाइट पर अपनी दैनिक दिनचर्या भी शेयर करते हैं. उनके "ब्लूप्रिंट" को पसंद करने वाले लोग उनके कोर्स की मेंबरशिप भी ले सकते हैं, जहां वह लोगों से अपना रूटीन साझा करेंगे और 'अमर' होने में मदद करेंगे.
कैसे शुरू हुई अमरता की खोज?
ब्रायन ने 2013 में अपनी एक कंपनी 80 करोड़ डॉलर में ईबे को बेच दी थी. वह अपने पैसों को कई तरीकों से खर्च कर सकते थे. लेकिन उन्होंने अमरता की ओर चलने का फैसला किया. अब लोगों के बीच उनका यह तरीका लोकप्रिय हो गया है. वह इसे 'प्रोजेक्ट ब्लूप्रिंट' कहते हैं. वह जीवन जीने का एक ऐसा तरीका बनाना चाहते हैं लंबे समय तक जीने में लोगों की मदद करेगा. इस तरीके में आप क्या खा रहे हैं, कब खा रहे हैं, कैसे खा रहे हैं, यहां तक कि कैसे सो रहे हैं, सब शामिल है.
कैसे गुजारते हैं दिन?
ब्रायन रोज़ सुबह सूरज उगने से पहले उठते हैं. वह ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स लेने के लिए हर रोज़ कुछ दवाएं खाते हैं. वह कम से कम स्ट्रेस लेने की कोशिश करते हैं और सोते वक्त अपने चेहरे के पास एक लेज़र शील्ड रखते हैं, ताकि चेहरे पर झुर्रियां न आएं. वह हर रात सोने से पहले 30 एमएल वाइन भी पीते हैं.
खाने की बात करें तो ब्रायन एक दिन में ठीक 1,977 कैलोरी खाते हैं और प्रति माह 70 पाउंड सब्जियां खाता है. उनके नाश्ते में ब्रॉकोली, फूलगोभी, काली दाल, मशरूम, लहसुन और अदरक का मिश्रण होता है. वह लंच में नट्स और जामुन के साथ "अखरोट का हलवा" खाते हैं. जबकि वह अपने दिन का अंत सब्जियां, जामुन, नट्स, बीज, 15 ग्राम 100% डार्क चॉकलेट और 30 मिलीलीटर ऑलिव ऑइल के साथ करते हैं.
भारत के बारे में क्या कहा?
ब्रायन अपने ब्लूप्रिंट से कितने साल जी पाएंगे, यह तो फिलहाल नहीं कहा जा सकता. लेकिन भारत में उनका सफर भुलाने लायक रहा. वह ज़ेरोधा के फाउंडर निखिल कामथ के साथ एक पॉडकास्ट शूट करने भारत आए थे. पॉडकास्ट के बीच में ही ब्रायन को स्किन पर खुजली और गले-आंखों में जलन के कारण पॉडकास्ट छोड़ना पड़ा.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इसकी पुष्टि की. बाद में उन्होंने एक रिसर्च शेयर कर भारत की हवा में सांस लेने के नुकसान बताए.
ब्रायन ने एक्स पर एक लंबी पोस्ट में रिसर्च के हवाले से बताया कि कैसे वायु प्रदूषण लिवर में सूजन, फाइब्रोसिस, ब्लड फैट इंबैलेंस और शराब से जुड़े लिवर प्रोटीन मार्करों के साथ-साथ कैंसर से जुड़े जीन विकृति का कारण बनता है."
उस रिसर्च में चूहों को 12 हफ्तों तक सड़कों पर मिलने वाले निचले स्तर के पीएम2.5 प्रदूषकों के संपर्क में रखा गया. इससे उनके लिवर में सूजन और फाइब्रोसिस जैसी बीमारियां पैदा हुईं. रिसर्च से पता चला कि रोजमर्रा के "निम्न-स्तर" प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने से शरीर में फेफड़ों और श्वसन प्रणाली से भी ज्यादा डैमेज होता है.
उन्होंने लिखा, "रिसर्च साफ करती है कि वायु प्रदूषण का कोई सुरक्षित स्तर नहीं होता. इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में मानने की जरूरत पर जोर दिया गया है. खास तौर पर भारी प्रदूषित शहरों और देशों में. मिसाल के तौर पर, भारत में वायु प्रदूषण को हल करने से वहां लोगों की औसत उम्र बढ़ जाएगी."