
जर्मनी (Germany) के नए चांसलर (Chancellor) फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) हो सकते हैं. राज्य चुनावों में मर्ज की पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) ने बड़ी जीत दर्ज की है.
सीडीयू और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (CSU) के गठबंधन को जहां 28.5 फीसदी वोट मिले हैं, तो वहीं चांसलर ओल्फ स्कॉल्ज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) को बड़ा झटका लगा है. एसपीडी को 16.5 फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा है. ओल्फ स्कॉल्ज ने अपनी पार्टी की हार स्वीकार करते हुए मर्ज को बधाई दी है. उन्होंने हार की जिम्मेदारी स्वयं पर ली है. आइए जानते हैं आखिर कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज, जिन्होंने कभी राजनीति छोड़ दी थी और अब देश की सत्ता पर काबिज होने जा रहे हैं.
आपको मालूम हो कि जर्मनी की संसद बुंडेस्टाग में 630 सीटें हैं. इसमें 299 सीटों पर वोटर सीधे प्रतिनिधि चुनते हैं जबकि 331 सीटें पार्टी वोटों के आधार पर आनुपातिक रूप से आवंटित की जाती हैं. वोटर दो मत देते हैं. पहला मत स्थानीय उम्मीदवार को और दूसरा वोट राजनीतिक दल को देते हैं. इस आधार पर आनुपातिक रूप से निचले सदन सीटें आवंटित की जाती हैं.
कौन हैं फ्रेडरिक मर्ज
फ्रेडरिक मर्ज का जन्म 11 नवंबर 1955 को जर्मनी के ब्रिलोन शहर में हुआ था. मर्ज रोमन कैथोलिक परिवार से संबंध रखते हैं. उनका परिवार कानून के क्षेत्र से जुड़ा रहा है. मर्ज ने 1972 में कानून की पढ़ाई शुरू की. उन्होंने 1976 में लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी थी. हालांकि फ्रेडरिक मर्ज साल 1972 से ही सीडीयू से जुड़ गए थे. फ्रेडरिक मर्ज ने साल 1981 में शार्लोट मर्ज से शादी की थी, जो एक जज हैं. फ्रेडरिक मर्ज के कुल तीन बच्चे हैं.
यूरोपीय संसद के लिए पहली बार 1989 में चुने गए थे फ्रेडरिक मर्ज
फ्रेडरिक मर्ज साल 1989 में पहली बार यूरोपीय संसद के लिए चुने गए थे. इसके 5 साल बाद 1994 में जर्मनी की संसद में बुंडेस्टाग के लिए जीत दर्ज की थी. मर्ज सीडीयू में कई अहम पदों पर रह चुके हैं. वह साल 2000 में सीडीयू पार्टी के संसदीय नेता बने थे. हालांकि साल 2002 में यह पद उन्हें एंजेला मर्केल को सौंपना पड़ा था. उन दिनों मर्केल की लोकप्रियता मर्ज पर भारी पड़ी.
राजनीति से लिया लिया था ब्रेक
साल 2005 सीडीयू और एसपीडी के गठबंधन सरकार बनने के बाद फ्रेडरिक मर्ज राजनीति में हाशिए पर चले गए थे. उन्हें पार्टी नजरअंदाज करने लगी. इससे आहत होकर फ्रेडरिक मर्ज ने साल 2009 में राजनीति छोड़ने का निर्णय ले लिया. उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ कानून और वित्त क्षेत्र में अपना करियर बनाया. इसके बाद साल 2018 में एंजेला मर्केल के संन्यास की घोषणा के बाद लगभद 10 सालों के बाद मर्ज फिर राजनीति में लौटे.
उस समय फ्रेडरिक मर्ज ने वादा किया था कि वह धुर दंक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) के उभार को रोक सकते हैं. हालांकि मर्ज सीडीयू अध्यक्ष का चुनाव हार गए. मर्ज ने साल 2020 में दोबारा कोशिश की लेकिन पार्टी ने अरमिन लाशेट को अध्यक्ष चुना. इसके बाद साल 2021 में मर्ज तीसरी बार चुनाव लड़े और संसद में वापसी की, लेकिन पार्टी चुनाव हार गई. फ्रेडरिक मर्ज साल 2022 में सीडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. अब वह चांसलर बनने जा रहे हैं. मर्ज के सामने सबसे बड़ी चुनौती जर्मनी का नेतृत्व करने के लिए गठबंधन सरकार का गठन करना है.
अवैध प्रवासियों को लेकर मर्ज का रुख है सख्त
फ्रेडरिक मर्ज का रुख अवैध प्रवासियों को लेकर बेहद सख्त रहा है. मर्ज ने चुनाव प्रचार के दौरान अवैध प्रवासियों पर जमकर निशाना साधा था. इस जीत के बाद उनका फोकस इमिग्रेशन और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने पर होगा.
आपको मालूम हो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार एक अतिवादी दक्षिणपंथी दल जर्मनी की सत्ता पर काबिज हो रही है. फ्रेडरिक मर्ज अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्डक रीगन को अपना आदर्श मानते हैं. वह यूएस के फैंस माने जाते हैं. वह अपने जीवन में 100 से अधिक बार अमेरिका जा चुके हैं.
कितनी फायदेमंद है भारत के लिए मर्ज की जीत
भारत के लिए जर्मनी एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है. दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 26,067 करोड़ रुपए का है. फ्रेडरिक मर्ज के सत्ता में नहीं रहने के बावजूद हमारे देश के विदेश मंत्री एस. जयशंकर मर्ज से लगातार मुलाकात करते रहे हैं.
दोनों की मुलाकात फायदा भारत को मिल सकता है. मर्ज की सरकार बनने से भारत और जर्मनी के संबंध और प्रगाढ़ हो सकते हैं. मर्ज सरकार भारत के साथ रक्षा, टेक्नोलॉजी और व्यापार में सहयोग बढ़ा सकती है, जिससे भारत को काफी फायदा होने की उम्मीद है.