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Muhammad Yunus: गरीबी उन्मूलन के लिए मिला नोबेल पुरस्कार, हसीना से रहा 36 का आंकड़ा, जानिए कौन हैं बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया

Muhammed Yunus: यूनुस ने 1976 में माइक्रोक्रेडिट मॉडल के तहत ग्रामीणों और खासकर महिलाओं को लोन देना शुरू कर दिया. यह मॉडल इतना सफल हुआ कि आगे चलकर उनकी पहचान बना. इसी प्रयोग के लिए उन्हें 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया लेकिन यह ताज उनके लिए कई सिरदर्द भी लेकर आया.

ढाका की कमान शेख हसीना के हाथों से निकलकर उनके पुराने 'विरोधी' मोहम्मद यूनुस के हाथों में आ गई है. नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस (Mohammed Yunus) को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चलाने के लिए चुना गया है. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की अध्यक्षता में बंग भवन (राष्ट्रपति भवन) में एक महत्वपूर्ण बैठक में यह फैसला लिया गया. इस बैठक में आरक्षण आंदोलन की अगुवाई कर रहे छात्र नेता और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद रहे. प्रदर्शनकारी छात्रों ने यूनुस को अंतरिम सरकार का नेता बनाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है. 

मोहम्मद यूनुस कौन?
साल 1969 में अमेरिका की वैंडरबिल्ट यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले मोहम्मद यूनुस पेशे से एक बैंकर और अर्थशास्त्री हैं. साल 1974 में जब बांग्लादेश में भुखमरी आई तो यूनुस ने देश में 'माइक्रोक्रेडिट' प्रणाली की स्थापना की, जो आगे चलकर उनकी पहचान बन गई.

यूनुस ने 1976 में माइक्रोक्रेडिट मॉडल के तहत ग्रामीणों और खासकर महिलाओं को लोन देना शुरू कर दिया. यह मॉडल इतना सफल हुआ कि 1983 में यूनुस ने ग्रामीण बैंक की स्थापना की. इस बैंक को खोलने का उद्देश्य ऐसे गरीब उद्यमियों को लोन देना था जिन्हें आमतौर पर अन्य बैंकों से कर्ज नहीं मिल सकता था. 

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यूनुस को इस प्रयोग के लिए 2006 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. नोबेल शांति पुरस्कार कमिटी ने 'निचले स्तर से आर्थिक और सामाजिक विकास पैदा करने के लिए' यूनुस और उनके ग्रामीण बैंक की सराहना की थी. इस बैंक ने बांग्लादेश में लोगों को गरीबी से निकालने में अहम भूमिका निभाई तो दुनियाभर में इसी तरह के 'माइक्रो फाइनैंसिंग' प्रयास देखने को मिलने लगे. 

2008 में हसीना से ठनी 
नोबेल पुरस्कार मिलने के बाद कई लोगों ने यूनुस को राजनीति में प्रवेश करने का अनुरोध किया. उन्होंने 2007 में राजनीति में आधिकारिक तौर पर प्रवेश करने का मन बनाया था. यूनुस ने 18 फरवरी 2007 को घोषणा कर भी दी कि वह 'नागरिक शक्ति' नाम की एक पार्टी बनाने के लिए तैयार हैं. लेकिन तीन महीने बाद उन्होंने तत्कालीन अंतरिम सरकार के मुखिया फखरुद्दीन अहमद से मिलने के बाद अपने कदम पीछे ले लिए थे. 

यूनुस और हसीना आधिकारिक तौर पर कभी प्रतिद्वंदी नहीं बने. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स को 2012 में दिए गए एक इंटरव्यू में यूनुस ने माना कि शायद हसीना ने उनके इरादों को गलत समझ लिया था. साल 2008 में जब हसीना सत्ता में लौटीं तो यूनुस उनके निशाने पर आ गए. उनके प्रशासन ने यूनुस के खिलाफ कई तरह की जांच शुरू कर दीं. 

जांच के दौरान हसीना ने आरोप लगाया कि यूनुस गरीब ग्रामीण महिलाओं से कर्ज की वसूली करने के लिए बल प्रयोग करते हैं. उन्होंने एक मौके पर यूनुस को 'खून चूसने वाला' भी बताया. यूनुस ने इन सभी आरोपों को खारिज किया. 

साल 2011 में हसीना सरकार ने ग्रामीण बैंक के कामकाज का रिव्यू शुरू कर दिया. यूनुस को सरकार के रिटायरमेटं नियमों का उल्लंघन करने के लिए बैंक के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया. साल 2013 में उन्हें 'सरकार की मंजूरी के बिना धन लेने' के आरोप में मुकदमा चलाया गया था. इन आरोपों में नोबेल प्राइज और एक किताब की रॉयल्टी के रूप में मिली धनराशि भी शामिल थी. 

बाद में उन्हें अन्य कंपनियों से जुड़े आरोपों का भी सामना करना पड़ा. इसमें ग्रामीण टेलीकॉम भी शामिल है, जो देश की सबसे बड़ी मोबाइल फोन कंपनी ग्रामीणफोन का हिस्सा है. साल 2023 में कुछ पूर्व ग्रामीण टेलीकॉम कर्मचारियों ने यूनुस के खिलाफ उनकी नौकरी के लाभों को हड़पने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया. यूनुस ने इन आरोपों से भी इनकार किया. 

इस साल की शुरुआत में बांग्लादेश में एक विशेष न्यायाधीश की अदालत ने 20 लाख डॉलर के गबन मामले में यूनुस और 13 अन्य को दोषी ठहराया था. यूनुस ने खुद को निर्दोष बताया और फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं. यूनुस के समर्थकों का कहना है कि हसीना के साथ उनके ख़राब संबंधों के कारण उन्हें निशाना बनाया गया है. 

अब भी है लोकप्रियता बरकरार
यूनुस के वकील बताते हैं कि उनके खिलाफ इस समय श्रम कानून से जुड़े 100 से ज्यादा मामले चल रहे हैं. लेकिन अब भी देश और विदेश में यूनुस की लोकप्रियता कम नहीं हुई है. पिछले साल अगस्त में अमेरिकी राजनेता हिलरी क्लिंटन सहित 170 वैश्विक हस्तियों ने हसीना सरकार से अनुरोध किया था कि वह यूनुस को 'प्रताड़ित' करना बंद करें. अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के पद के लिए अधिकारियों, सेना और छात्र नेताओं का एकराय होकर यूनुस को चुनना भी इसी बात का प्रमाण है.