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Ismail Haniyeh dead: Hamas के संस्थापक के करीबी थे हानिया, रह चुके हैं फलस्तीन के प्रधानमंत्री, जानिए कैसा रहा जीवन

Ismail Haniya: हानिया के माता-पिता फलस्तीनी शहर अशकेलोन के रहने वाले थे लेकिन 1948 में विस्थापन के बाद उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा. हानिया का जन्म गज़ा के एक शरणार्थी कैंप में हुआ. गज़ा की इस्लामिक यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए हानिया छात्र राजनीति से जुड़ गए और यहीं से उनके राजनीतिक करियर का रास्ता हमवार होता गया.

Ismail Haneyah Ismail Haneyah
हाइलाइट्स
  • तेहरान में मारे गए हानिया

  • हमास ने की मौत की पुष्टि

हमास के राजनीतिक चीफ इस्माइल हानिया (Ismail Haniyeh) की ईरान की राजधानी तेहरान में एक इजरायली हमले में मौत हो गई है. ईरानी मीडिया ने बुधवार को यह जानकारी दी. ईरानी मीडिया के अनुसार, हानिया जिस इमारत में रह रहे थे उस पर हमला हुआ. हमले में हानिया और उनके बॉडीगार्ड्स की मौत हो गई. ईरानी सुरक्षाबलों और हमास ने भी इस बयान की पुष्टि की है. हानिया ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान के शपथ ग्रहण समारोह के लिए तेहरान में थे. 

बतौर शरणार्थी हुआ जन्म
इस्माइल हानिया का जन्म 1962 में गज़ा पट्टी के अल-शती शरणार्थी कैंप में हुआ था. उनके माता-पिता अशकेलोन (Ashkelon) के पास एक गांव के रहने वाले थे, हालांकि 1948 में पहले नकबा (फलस्तीनियों का विस्थापन) के बाद उन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा था. हानिया ने अपनी स्कूली पढ़ाई संयुक्त राष्ट्र के रेफ्युजी स्कूल से पूरी की. साल 1981 में गज़ की इस्लामिक यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के बाद वह छात्र राजनीति से भी जुड़े रहे. हानिया जिस छात्र संगठन से जुड़े हुए थे वह इस्लामिस्ट समूह 'मुस्लिम ब्रदरहुड' का हिस्सा था. 

जब 1988 में हमास गठित हुआ तो हानिया उसके युवा नेताओं में से एक थे. हानिया हमास के संस्थापक शेख अहमद यासीन के करीबी थे. कुछ महीने बाद इजरायल ने उन्हें पहले इन्तिफादा (इजरायल के खिलाफ फलस्तीनियों का विद्रोह) में हिस्सा लेने के लिए छह महीने के लिए सलाखों के पीछे डाल दिया. साल 1989 में हानिया एक बार फिर गिरफ्तार हुए और इस बार इजरायल ने उन्हें 400 अन्य कैदियों के साथ लेबनान डिपोर्ट कर दिया. 

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लौटकर बने प्रधानमंत्री
साल 1993 में ऑस्लो संधि पर हस्ताक्षर होने के बाद हानिया गज़ा लौट आए. वापसी पर उन्हें इस्लामिक यूनिवर्सिटी का डीन नियुक्त किया गया. यहीं से हानिया के राजनीतिक करियर ने रफ्तार पकड़ ली. हमास में हानिया की लीडर वाली भूमिका 1997 में शुरू हुई जब वह यासीन के निजी सचिव बने. वह यासीन के आखिरी समय तक उनके करीबी बने रहे. इज़राइल ने 2003 में दोनों की हत्या की कोशिश की, जो असफल रही. हालांकि कुछ महीने बाद यासीन की हत्या कर दी गई थी. 

साल 2006 में हमास ने फ़लिस्तीन के विधायी चुनावों में हिस्सा लिया. इस बार हानिया शीर्ष पर थे. हमास ने संसद में अधिकांश सीटें जीतीं और नतीजतन हानिया पैलेस्टीनियन ऑथॉरिटी (PA) के प्रधानमंत्री बने. हानिया के राष्ट्रपति बनने का नतीजा यह रहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने पीए के लिए आर्थिक सहायता रोक दी. 

जब शासी निकाय पर वित्तीय दबाव पड़ा तो जून 2007 में फ़तह पार्टी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने हानिया को बर्खास्त कर दिया. उनकी सरकार भंग कर दी गई. फतह पार्टी और हमास के बीच तनातनी खत्म होने के बाद गज़ा पट्टी पर पूरी तरह हमास का कब्जा हो गया और हानिया उस क्षेत्र के प्रधानमंत्री बन गए. साल 2014 में फतह पार्टी के साथ संबंध सुधारने की कोशिश में हमास ने अपनी सरकार भंग कर दी. हानिया ने खुद भी प्रधानमंत्री पद त्याग दिया. 

2019 में छोड़ दिया था गज़ा
दिसंबर 2019 में हानिया गजा पट्टी छोड़कर तुर्की और कतर में रहने लगे. इसके उन्हें विदेश में हमास का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता मिल गई. अक्तूबर 2023 में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद हानिया ने मिस्र और कतर की मदद से इजरायल के साथ कई शांति वार्ताओं में हिस्सा लिया. हालांकि इनका कोई नतीजा नहीं निकला. 

अप्रैल 2024 में संघर्ष विराम वार्ताओं के दौर के बीच, हानिया के तीन बच्चे और उनके चार पोते-पोतियां इजरायली हमले में मारे गए. मई 2024 में संयुक्त राष्ट्र की अदालत इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (International Court of Justice) के चीफ प्रोसिक्यूटर ने घोषणा की थी कि वह इजरायली प्रधानमंत्री बेन्यमिन नेतन्याहू और अन्य नेताओं सहित हानिया के नाम का भी अरेस्ट वॉरंट जारी करेंगे.