लाहौर में वकीलों के प्रोटेस्ट (Pakistan Lawyers Protest) ने तूल पकड़ ली है. लाहौर पुलिस ने बुधवार को लाहौर हाई कोर्ट के बाहर से कई प्रदर्शनकारी वकीलों को गिरफ्तार किया. इस दौरान पुलिस और वकीलों के बीच झड़प भी हुई. पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया और वकीलों पर पत्थरबाजी का आरोप लगाया.
पाकिस्तान बार काउंसिल (PBA) ने पुलिस के हिंसक रवैये के बाद देशभर में बुधवार को स्ट्राइक बुलाई है. इस स्ट्राइक से पहले आइए एक बार जान लेते हैं कि पाकिस्तान में वकील क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं और अब तक क्या-क्या हुआ.
सिविल कोर्ट का बंटवारा सबसे बड़ा मुद्दा
लाहौर हाई कोर्ट ने जनवरी 2024 में एक फैसला पारित किया था जिसके तहत शहर के सिविल कोर्ट मॉडल टाउन में शिफ्ट होने थे. जबकि क्रिमिनल मामलों की अदालत ऐवान-ए-अद्ल (Aiwan-e-Adal) में ही रहनी थीं. प्रदर्शनकारी वकीलों का कहना है कि ये दोनों अदालतें शहर के अलग-अलग कोनों पर मौजूद हैं. वकीलों के लिए दोनों अदालतों के बीच सफर करना मुश्किल तो होगा ही, साथ ही कई मामलों में बेवजह देरी भी होगी.
पंजाब बार काउंसिल की सदस्य एडवोकेट रुश्दा लोधी ने सिविल मामलों को मॉडल टाउन में स्थानांतरित करने के पीछे की समझदारी पर सवाल उठाया. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि कभी-कभी दीवानी और आपराधिक मामले जुड़े होते हैं और एक वकील के लिए काफी दूरी पर मौजूद एक अदालत से दूसरी अदालत तक सफर करना मुश्किल होता है.
अदालत का यह फैसला वकीलों को पसंद नहीं आया और उन्होंने एक महीने तक स्ट्राइक की. महीने भर की हड़ताल के बाद लाहौर बार एसोसिएशन (LBA) ने हाई कोर्ट को फैसला वापस लेने के लिए एक दिन का समय भी दिया, लेकिन हाई कोर्ट अपने फैसले पर अडिग रहा.
वकीलों पर दर्ज हुए आतंकवाद से जुड़े मामले
इस बीच, एलबीए के एक प्रोटेस्ट के बाद मामला तब गर्मा गया जब कई वकीलों पर आतंकवाद सहित कई धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया गया. द डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामपुरा पुलिस ने 250 से 300 वकीलों के खिलाफ आतंकवाद, किडनैपिंग, हत्या की कोशिश और अन्य जघन्य अपराधों से जुड़ी धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया. रिपोर्ट के अनुसार, 40 वकीलों पर घातक हथियार रखने के आरोप भी लगे.
आगे चलकर यह मुद्दा भी वकीलों के प्रोटेस्ट में शामिल हो गया. लाहौर के वकीलों ने मंगलवार को जो विरोध प्रदर्शन किया उसके दो प्रमुख मुद्दे यही थे- पहला, सिविल कोर्ट को क्रिमिनल कोर्ट से अलग न किया जाए. और दूसरा- वकीलों के खिलाफ दर्ज किए गए आतंकवाद के मामले हटाए जाएं.
... फिर गिरफ्तार हुए वकील
जियो न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के वकीलों का प्रदर्शन गर्माने के बाद लाहौर पुलिस ने बड़ी संख्या में वकीलों को हाई कोर्ट के पास जीपीओ चौक से गिरफ्तार किया. रिपोर्ट के अनुसार, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) ऑपरेशन्स फैसल कामरान ने कहा है कि पुलिस संयम बरतना जारी रखेगी, लेकिन वकीलों की ओर से उल्लंघन होने पर कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी.
उन्होंने कहा, "पुलिस अपनी तरफ से पूरा धैर्य और संयम दिखा रही है. वकीलों ने हम पर पथराव किया, जबकि पुलिस ने सिर्फ आंसू गैस का इस्तेमाल किया. हमारा एक एसएचओ और एक कांस्टेबल घायल हो गया है.
"हम चाहते हैं आजाद अदालतें"
लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के मुनीर भट्टी ने कहा कि वकील देश में कानून के शासन के साथ-साथ न्याय और स्वतंत्र न्यायपालिका की मांग कर रहे हैं. उन्होंने अदालतों के स्थानांतरण के नोटिस और सात आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) मामलों को वापस लेने की मांग करते हुए कहा, “हम देखेंगे कि क्या बातचीत हो सकती है.”
उन्होंने यह भी कहा कि वकील सामान्य सदन का सत्र बुलाए बिना हाई कोर्ट्स में वापस नहीं जाएंगे. पुलिस की ओर से इस्तेमाल हो रहे आंसू गैस के गोलों से बचने के लिए वकील ऑरेंज लाइन स्टेशन की सीढ़ियों पर बैठे हैं.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान (SCBAP) ने भी लाहौर हाई कोर्ट के बाहर विरोध कर रहे वकीलों के खिलाफ पुलिस की कथित बर्बरता की कड़ी निंदा की है. तमाम बयानों के बीच यह विवाद फिलहाल ठंडा होता नजर नहीं आ रहा है.