रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है और इस तनाव से पश्चिमी देशों में भारी चिंताएं हैं. दोनों देशों के बीच का यह तनाव अब 'हाइब्रिड युद्ध' तक पहुंच गया है. यूक्रेन के हालिया बयान के मुताबिक उस पर हुए साइबर हमले के पीछे रूस था, जिसने उसकी सरकारी वेबसाइटों को खराब कर दिया. दरअसल, यूक्रेन के मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि सभी सबूत बताते हैं कि साइबर हमले के पीछे रूस का हाथ है. मास्को ने हाइब्रिड युद्ध छेड़ा हुआ है.
बता दें कि, अगर यह तनाव बढ़कर युद्ध की दहलीज़ तक पहुंचा तो इसकी आग केवल इन दो देशों तक ही नहीं बल्कि पूरे यूरोप में फैल सकती है. इस बीच यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या रूस की सेना यूक्रेन में युद्ध के लिए तैयार हो रही है? रूस और पश्चिम से जुड़ी कई वार्ताओं के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं है और आक्रमण का डर बना हुआ है.
साइबर हमले को लेकर भी बवाल
दरअसल, शनिवार को एक ब्लॉग पोस्ट में माइक्रोसॉफ्ट ने कहा था कि उसने गुरुवार को पहली बार मैलवेयर का पता लगाया. यह उस हमले से मेल खाता है, जिसने यूक्रेन की 70 सरकारी वेबसाइटों को एकसाथ अपनी चपेट में ले लिया. इससे पहले 2017 में भी रूस ने यूक्रेन पर साइबर हमला किया था. नोटपेट्या वायरस के साथ यूक्रेन को टारगेट किया गया था.
क्यों खतरे में है यूक्रेन?
यूक्रेन यूरोपीय संघ और रूस दोनों के साथ सीमा साझा करता है, लेकिन एक पूर्व सोवियत गणराज्य के रूप में रूस के साथ इसके गहरे सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध हैं, और रूसी वहां व्यापक रूप से बोली जाती है. रूस ने लंबे समय से यूरोपीय संस्थानों की ओर यूक्रेन के कदम का विरोध किया है और अब यह मांग कर रहा है कि वह कभी भी नाटो में शामिल न हो.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, 2014 की शुरुआत में यूक्रेनियन ने अपने रूसी समर्थक राष्ट्रपति को हटा दिया था कि रूस ने यूक्रेन के दक्षिणी क्रीमियन प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया. रूसी समर्थित अलगाववादियों ने तब यूक्रेन के दो पूर्वी क्षेत्रों के बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया, जिन्हें सामूहिक रूप से डोनबास के रूप में जाना जाता है.
कितना बड़ा होगा आक्रमण का जोखिम?
रूस और यूक्रेन की सेना के बीच संघर्ष आज भी जारी है, हालांकि एक अस्थिर युद्धविराम लागू है लेकिन, यूक्रेन की सीमा के बाहर काम कर रही रूसी सेना सबसे ज्यादा चिंता का विषय है. पश्चिमी खुफिया सेवाओं का कहना है कि उनकी संख्या 100,000 तक है. नाटो के महासचिव का कहना है कि संघर्ष का जोखिम वास्तविक है.
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