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International Translation Day 2023: क्यों 30 सितंबर को मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस, जानें इसका इतिहास और महत्व 

इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे अनुवाद के अनुभव और उसकी उपयोगिता का महत्व बताता है. 24 सितंबर 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने संकल्प पारित कर 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे घोषित किया था. इसके बाद इसे पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा.

International Translation Day 2023 International Translation Day 2023
हाइलाइट्स
  • एफआईटी ने की थी अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाने की शुरुआत 

  • शिक्षण संस्थानों में किया जाता है कार्यक्रमों का आयोजन

दुनिया भर में हर साल 30 सितंबर को इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे दिवस (अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस) मनाया जाता है. लैंग्वेज प्रोफेशनल्स को उनके काम के प्रति सम्मान देने और अनुवाद के वैश्विक महत्व को स्वीकार करने के लिए इस दिन को सेलिब्रेट किया जाता है. आइए जानते हैं कब और क्यों हुई थी इस खास दिन की शुरुआत?

सेंट जेरोम की याद में मनाया जाता है यह दिवस
अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस सेंट जेरोम की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है. सेंट जेरोम बाइबल अनुवादक हैं, जिन्हें अनुवादकों के संरक्षक संत के रूप में जाना जाता है. इनकी याद में ही इस खास दिन को मनाया जाता है. जेरोम उत्तर-पूर्वी इटली के एक पुजारी थे, जो ज्यादातर बाइबिल के नए नियम की ग्रीक पांडुलिपियों से लैटिन में अनुवाद करने के अपने प्रयास के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने हिब्रू गॉस्पेल के कुछ हिस्सों का ग्रीक में अनुवाद भी किया था.

कब हुई थी इस दिन की शुरुआत
दुनिया भर में ट्रांसलेशन कम्युनिटी की एकजुटता दिखाने के लिए एफआईटी (इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ ट्रांसलेटर्स) ने अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाने की शुरुआत की थी. एफआईटी की स्थापना 1953 में हुई थी. 1991 में  एफआईटी ने पूरी दुनिया में अनुवाद समुदाय की पहचान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाने की शुरुआत की थी. 

24 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 30 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के रूप में घोषित करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. इसके बाद से पूरी दुनिया में इस खास दिन को भाषा के प्रति महत्व को बढ़ाने के लिए मनाया जाता है. इस साल इस दिवस की थीम 'अनुवाद मानवता के कई चेहरों को उजागर करता है' रखा गया है. 

क्या है इस दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस का महत्व एक-दूसरे से जुड़ने वाले राष्ट्रों में पेशेवर अनुवाद की भूमिका को पहचानना और उसकी सराहना करना है. यह दिन दुनिया भर में अनुवाद समुदाय के लिए एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए मनाया जाता है. यह विभिन्न देशों में अनुवाद के पेशे को बढ़ावा देने की एक कोशिश है और जरूरी नहीं कि यह केवल ईसाई देशों के लिए ही है. 

आज प्रगतिशील वैश्वीकरण के युग में अनुवाद विश्वभर के सभी देशों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता बन गया है. भाषा हमें अभिव्यक्ति और जुड़ाव की क्षमता भी देती है, जो समाज और कल्याण के लिए बहुत आवश्यक है. कई लोगों के लिए भाषा की समझ ट्रांसलेशन से ही संभव हो पाती है. हर देश में भाषाओं का सेट माना जाता है और एक-दूसरे देशों के बीच कम्युनिकेश को आसान बनाने के लिए ट्रांसलेशन को उपयोगी माना जाता है, इसी उद्देश्य से ट्रांसलेशन डे को मनाने की शुरुआत की गई थी.

सर्वश्रेष्ठ अनुवाद कार्यों को किया जाता है पुरस्कृत 
2005 से हर साल संयुक्त राष्ट्र स्टूडेंट्स को सेंट जेरोम अनुवाद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में अरबी, अंग्रेजी, फ्रेंच, मंदारिन, रूसी, स्पेनिश और जर्मन जैसी भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ अनुवाद कार्यों को पुरस्कृत किया जाता है. आज 7,151 से अधिक भाषाएं हैं इसलिए कई बार हमें दूसरी भाषाओं के समझने के लिए ट्रांसलेशन की आवश्यकता पड़ती है.

राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक एकता के लिए अनुवाद आवश्यक
बहुभाषिक समाज को संपर्क सूत्र में बांधने और एकीकृत राष्ट्र के रूप में संगठित करने के लिए अनुवाद आवश्यक होता है. जिस भाषा को राजभाषा के रूप में अपनाया गया है वह भाषा राजनीतिक स्तर पर देश और समाज को एकीकृत करती है. बहुभाषी समाज के लोगों को सामाजिक-सांस्कृतिक स्तर पर भी एकता के सूत्र में पिरोना आवश्यक है, उन्हें परस्पर निकट लाने और एकता के सूत्र में बांधने में अनुवाद बहुत महत्वपूर्ण होता है.

सुब्रह्मण्य भारती, फकीर मोहन सेनापति, भारतेंदु हरिश्चन्द्र, बंकिमचंद्र शरतचंद्र, जयशंकर प्रसाद आदि की वाणी के स्वर एक से थे, भाषाएं अलग-अलग थीं. यह हम अनुवाद के माध्यम से ही समझ पाते हैं. इस तरह विभिन्न भाषा भाषियों को राष्ट्रीय एकता के सूत्र में अनुवाद बड़ी सहजता से बांध देता है.

कार्यशालाओं का किया जाता है आयोजन
अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस के दिन भारत सहित दुनियाभर के विश्वविद्यालयों, शिक्षण संस्थानों और अनुवाद सेवी संस्थाओं में अनुवाद से संबंधित विभिन्न संवाद, परिसंवाद, सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है. अनुवाद की स्थिति, परिस्थिति, महत्व, तकनीक, संभावनाओं, इतिहास एवं भविष्य पर सार्थक चर्चा की जाती है.

इंटरनेशनल ट्रांसलेशन डे से जुड़े रोचक तथ्य
1. सेंट जेरोम ने बाइबिल का लैटिन में अनुवाद किया, जिसमें उनके जीवन के 23 वर्ष लगे. 
2. वर्तमान में गूगल ट्रांसलेशन को सबसे उपयोगी मशीनी ट्रांसलेशन माना जाता है.
3. हाल के अनुमान के अनुसार, ट्रांसलेशन इंडस्ट्री को कम से कम $40 बिलियन का बताया गया है.
4. सुमेरियन महाकाव्य द एपिक ऑफ गिलगमेश को अब तक किया गया पहला अनुवाद कहा जाता है और यह पांडुलिपि 195,000 वर्ष पुरानी है. 
5. यूनेस्को के अनुसार, दुनिया भर में शीर्ष तीन सबसे अधिक अनुवादित लेखक अगाथा क्रिस्टी, जूल्स वर्ने और विलियम शेक्सपियर हैं.

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