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Google Doodle में दिख रही ये महिला है इराक की मशहूर आर्टिस्ट Naziha Salim, जानें इस पेंट ब्रश वाली लड़की के बारे में

नाज़िया सलीम का जन्म तुर्की में इराकी कलाकारों के परिवार में हुआ था. साल 1927 में जन्मी नाज़िया के पिता खुद भी एक चित्रकार थे. वहीं उनके तीन भाई भी कला के ही क्षेत्र में काम करते थे.

Naziha Salim Naziha Salim
हाइलाइट्स
  • पेंट ब्रश और डूडल पर नाज़िया की तस्वीर 

  • कलाकारों के परिवार से ताल्लुक रखती थीं नाज़िया 

गूगल अक्सर ऐसे चेहरों को और इवेंट पर ट्रिब्यूट देता रहता है जिनके बारे में लोगों को जानने की जरूरत है. ये कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें लोग उनकी प्रतिभा की बदौलत जानते हैं. ऐसी ही 23 अप्रैल को गूगल ने एक ईराक की चित्रकार नाज़िया सलीम (Naziha Salim) को याद किया है. पेशे से एक प्रोफेसर और पैशन से कलाकार नाज़िया ने अपनी कला  में गांव में रहने वाली महिलाओं के जीवन को चित्रित किया है. इसी प्रतिभा को गूगल ने  शनिवार को अपने डूडल पर रिप्रेजेंट किया है.

पेंट ब्रश और डूडल पर नाज़िया की तस्वीर 

आपको बताते चलें कि गूगल के डूडले में आपको एक तस्वीर नजर आ रही है. इस तस्वीर को दो हिस्सों में दिखाया गया है. जिस महिला को इसमें दिखाया है यही है नाज़िया सलीम. नाज़िया को उनकी चित्रकला के लिए जाना जाता है. डूडल में नाज़िया को पेंट बर्ष पकड़े दिखाया गया है. इस तस्वीर में आपको दो हिस्से दिख रहे हैं.  एक तरफ नाज़िया ने पेंट ब्रश लिया है तो दूसरी तरफ उनकी बनाई एक पेंटिंग नजर आ रही है. 

कलाकारों के परिवार से ताल्लुक रखती थीं नाज़िया 

दरअसल, नाज़िया सलीम का जन्म तुर्की में इराकी कलाकारों के परिवार में हुआ था. साल 1927 में जन्मी नाज़िया के पिता खुद भी एक चित्रकार थे. वहीं उनके तीन भाई भी कला के ही क्षेत्र में काम करते थे. यहां तक की उनके एक भाई इराक के सबसे बेहतरीन मूर्तिकारों में से एक थे. उनकी मां एक कुशल कढ़ाई कलाकार थीं. 

पेंट ब्रश वाली लड़की की कहानी  

पेंटिंग के प्रति उनके प्रेम को देखते हुए, उन्होंने बगदाद ललित कला संस्थान में दाखिला लिया. वहां उन्होंने पेंटिंग की पढ़ाई की और डिस्टिंक्शन के साथ ग्रेजुएशन किया.  कला के प्रति अपनी कड़ी मेहनत और जुनून के साथ, वह पेरिस में इकोले नेशनेल सुपरियर डेस बीक्स-आर्ट्स के लिए छात्रवृत्ति से सम्मानित होने वाली पहली महिला बनीं.  वहां उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी. 

इसके अलावा, नाज़िया ने फ्रेस्को और म्यूरल पेंटिंग में भी विशेषज्ञता हासिल की. बाद में, उन्होंने कई साल विदेश में बिताए, अंततः बगदाद लौट आईं और ललित कला संस्थान में काम किया, जहां से ही उन्होंने अपना रिटायरमेंट लिया. वह न केवल देश में कला समुदाय में सक्रिय थी, बल्कि वह अल-रुवाड (Al-Ruwwad) की संस्थापक सदस्य भी थीं, जो कलाकारों का एक समुदाय है. ये वो लोग थे, जिन्होंने विदेशों में अध्ययन किया था और इराकी सौंदर्यशास्त्र के साथ यूरोपीय कला तकनीकों को शामिल किया था.