विश्व मृदा दिवस (World Soil Day) हर साल 5 दिसंबर को मनाया जाता है और इसका उद्देश्य मिट्टी के महत्व को उजागर करना है. मिट्टी की खराब स्थिति से क्षरण होता है, जो दुनिया भर में एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है. मिट्टी के क्षरण से कार्बनिक पदार्थों की हानि होती है और मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है.
यह दिन हमें पर्यावरण के अनुकूल तरीके से मिट्टी के संसाधनों का प्रबंधन करने के बारे में याद दिलाता है. यह दिन स्वस्थ मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाता है. यह लोगों को मिट्टी की सेहत के सुधार के लिए प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है.
इतिहास और महत्व
साल 2002 में अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने विश्व मृदा दिवस की पहल के लिए सिफारिश की थी. खाद्य और कृषि संगठन ने वैश्विक जागरूकता बढ़ाने वाले मंच के रूप में वर्ल्ड सॉइल डे की औपचारिक स्थापना की वकालत की. एफएओ सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जून 2013 में विश्व मृदा दिवस का समर्थन किया. 5 दिसंबर 2014 को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप में घोषित किया.
विश्व मृदा दिवस हमें याद दिलाता है कि सस्टेनेबल सॉइल मैनेजमेंट रिसॉर्सेज पर ध्यान देना जरूरी है. यह दिन हमें इस अविश्वसनीय प्राकृतिक संसाधन के महत्व को याद दिलाता है, जो हमारे भोजन का स्रोत भी है. विश्व मृदा दिवस 2022 का विषय है- “Soils, where food begins.”
क्या सद्गुरु का अभियान
जगदीश वासुदेव, जिन्हें सद्गुरु के नाम से जाना जाता है, दो दशकों से अधिक समय से मिट्टी को बचाने के लिए रैली कर रहे हैं. इस साल की शुरुआत में, उनके अभियान, Save Soil को पूरे जोर से शुरू किया गया और यह हर दिन मजबूत हो रहा है. सद्गुरु का उद्देश्य मिट्टी के संरक्षण के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाना है.
आंदोलन का मुख्य उद्देश्य विश्व नेताओं के साथ बातचीत और नीतिगत पॉलिसी के माध्यम से खेती योग्य मिट्टी में जैविक तत्वों को बढ़ाना है. सद्गुरु ने इस उद्देश्य के लिए दुनिया भर की यात्रा भी की. मिट्टी की गंभीर स्थिति के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए, सद्गुरु इस साल मार्च में बाइक से ट्रेवल पर निकले थे. इस दौरान उन्होंने 27 देशों और 30,000 किलोमीटर की दूरी को कवर किया. उनकी यात्रा लंदन में शुरू होकर जून में कोयम्बटूर में समाप्त हुई.