क्या है रथ प्रभारी नियुक्ति विवाद? जिसे लेकर आमने-सामने है सरकार और विपक्ष

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली एनडीए और विपक्ष के बीच रथप्रभारी नियुक्ति को लेकर विवाद गरमा गया है. कांग्रेस के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा,नौकरशाहों का कर्तव्य है कि वे लोगों की सेवा करें.

Viksit Bharat Sankalp Yatra
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST
  • केंद्र सरकार की यात्रा का मकसद क्या है?
  • नौकरशाहों और सैनिकों को राजनीति से दूर रखें

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली एनडीए और विपक्ष के बीच रथप्रभारी नियुक्ति को लेकर विवाद गरमा गया है. विपक्ष ने केंद्र सरकार पर देश की सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेता और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा,नौकरशाहों का कर्तव्य है कि वे लोगों की सेवा करें.

भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि मुझे यह देखकर हैरानी होती है कि कांग्रेस पार्टी को जमीनी स्तर तक पहुंचने वाले लोकसेवकों से समस्या है. इससे गरीबों के हित को ध्यान में रखने वाले किसी भी व्यक्ति को समस्या नहीं हो सकती है, लेकिन कांग्रेस की रुचि केवल गरीबों को गरीबी में रखने में है.

क्या है रथप्रभारी नियुक्ति मामला?

केंद्र सरकार अपनी 9 सालों की उपलब्धियों को लेकर जल्द देश में 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' निकालने जा रही है. ये यात्रा देश की करीब 2.7 लाख ग्राम पंचायतों से होकर गुजरेगी. संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव जैसे उच्च रैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को "रथप्रभारी" के रूप में भारत के सभी 765 जिलों में तैनात किया जाएगा. जोकि इन योजनाओं को पूरे देश में पहुंचाने का काम करेंगे. पीएम मोदी ने इसके लिए छह महीने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

कांग्रेस का क्या कहना है

कांग्रेस ने बीजेपी पर 'राजनीतिक प्रचार' के तहत अधिकारियों की नियुक्ति करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने मोदी सरकार के इस आदेश पर सवाल उठाते हुए ट्विटर पर लिखा- सिविल सेवकों को राजनीतिक प्रचार करने का आदेश कैसे दिया जा सकता है? आईएएस अधिकारी 'रथप्रभारी' होंगे?

 

मामले में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा,  सरकार की सभी एजेंसियां, संस्थान, हथियार, विंग और विभाग अब आधिकारिक तौर पर 'प्रचारक' हैं. मोदी सरकार हमेशा सिर्फ प्रचार में ही लगी रहती है. जब उनके ख़िलाफ़ देश में एक माहौल बन रहा है, तब उन्होंने एक आदेश निकाला है कि अफसर, अब उनकी सरकार सरकार के प्रचार के लिए "रथ प्रभारी" बनेंगे. सरकारी अफसरों का काम रथ यात्रा निकालना नहीं है. इसका असर पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ सकता है. ऐसा पहली बार हो रहा है कि अफसरों और फौजियों का इस्तेमाल सरकार प्रचार के लिए कर रही है. अपनी योजनाओं के प्रचार के लिए फौजियों और अफसरों का इस्तेमाल बंद कीजिए.'

कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने यह भी कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए यह जरूरी है कि नौकरशाही और सेना के राजनीतिकरण को बढ़ावा देने वाले आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए.

मोदी सरकार का क्या कहना है?

मोदी ने कल्याणकारी योजनाओं की संतृप्ति में तेजी लाने के लिए छह महीने का लक्ष्य रखा है.

सरकार लाभार्थियों तक पहुंचने और उनका नामांकन करने के लिए देश की सभी 2.7 लाख पंचायतों में विकसित भारत संकल्प यात्रा  शुरू करेगी.

ये यात्रा अगले महीने दिवाली के बाद शुरू होगी और कई हफ्तों तक जारी रहेगा.

विशेष रूप से सुसज्जित रथ देश भर में लाभार्थियों तक पहुंचेंगे.

 

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