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Prayagraj Mahakumbh 2025: 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र संगम में लगाई आस्था की डुबकी, बने कई रिकॉर्ड्स, देखिए प्रयागराज महाकुंभ की मनमोहक तस्वीरें

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 फरवरी 2025,
  • Updated 1:28 AM IST
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 उत्तर प्रदेश (UP) के प्रयागराज (Prayagraj) में 45 दिनों से आयोजित महाकुंभ मेले (Mahakumbh Mela) का समापन बुधवार को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ हो गया. इस 45 दिनों में 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने पवित्र गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था की डुबकी लगाई. अंतिम दिन मेला प्रशासन ने गुलाब की 120 क्विंटल पंखुड़ियों की वर्षा कराई. इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी सनातनियों को बधाई दी है. मुख्यमंत्री ने त्रिवेणी संगम में इस सफल आयोजन के लिए सभी साधु-संतों और श्रद्धालुओं का आभार प्रकट किया.

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पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की उमड़ने लगी थी भीड़ 
आपको मालूम हो कि 13 जनवरी 2025 को महाकुंभ मेले के आगाज हुआ था और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अमृत स्नान के साथ इसका अंत हो गया. हालांकि अभी मेला परिसर को पूरा खाली होने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग सकता है. पहले दिन से ही श्रद्धालुओं की भीड़ महाकुंभ में उमड़ने लगी थी, जो आखिर दिन तक जारी रही. इस साल महाकुंभ में अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, नेपाल, भूटान समेत 50 से अधिक देशों से लोग डुबकी लगाने पहुंचे थे. 50 लाख विदेशी नागरिक महाकुंभ पहुंचे. 

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अंतिम दिन इतने लोग पहुंचे स्नान करने 
महाकुंभ के अंतिम स्नान पर लगभग डेढ़ करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई. सीएम योगी ने बताया कि 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से प्रारंभ हुए महाकुंभ-2025, प्रयागराज में 26 फरवरी महाशिवरात्रि की तिथि तक कुल 45 दिवसों में 66 करोड़ 21 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया. इस बार महाकुंभ में 9 लाख से अधिक साधु-संत और नागा पहुंचे. सरकार की तरफ से संतों के लिए जबरदस्त व्यवस्थाएं भी की गई थी, जिससे महाकुंभ काफी सुगम रहा.  

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क्या आम और क्या खास हर वर्ग के लोग पहुंचे 
इस बार का महाकुंभ कई मायनों में खास रहा, 144 साल बाद ऐसा अद्भुत संयोग आया था कि हर शख्स संगम में पवित्र डुबकी लगा लेने को लेकर उत्साहित था. महाकुंभ में क्या आम और क्या खास हर वर्ग के लोग आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचे और लगभग देश की आधी आबादी ने तो महाकुंभ में स्नान कर ही लिया है.
 

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इस बार इतने लाख लोगों ने किया कल्पवास
इस बार महाकुंभ में 20 लाख से अधिक लोगों ने कल्पवास किया. सभी कल्पवासी नियमों का पालन करते हुए मौनी अमावस्या तक संगम की रेती पर रहे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने अपना समय भजन-कीर्तन और ध्यान में लगाया. 13 अखाड़ों के साधु-संत और नागा बाबाओं ने इस बार महाकुंभ में हिस्सा लिया.

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चार हजार हेक्टेयर में फैला था मेला क्षेत्र
यूपी सरकार ने महाकुंभ की अवधि के लिए श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए महाकुंभ क्षेत्र को अलग जिला तक घोषित कर रखा था. चार हजार हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में फैले इस महाकुंभ नगर के 25 सेक्टरों में बांटा गया था. 13 किलोमी दायरे में 42 घाट बनाए गए. 42 घाटों में 10 पक्के घाट भी थे. गंगा-यमुना को पार करने के लिए 30 पांटून पुल भी तैयार किए गए.

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सुरक्षा-सुविधा रही चाक-चौबंद
प्रयागराज महाकुंभ में श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन, सुरक्षित स्नान और दर्शन-पूजन के लिए व्यापक पुलिस प्रबंधन किया गया था. मेले क्षेत्र में 56 थाने और 144 चौकियां बनाई गई. दो साइबर थाने अलग से बनाए गए. मेला क्षेत्र में 50 हजार सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया था. सुरक्षा की दृष्टि से नागरिक पुलिस, यातायात पुलिस, महिला पुलिस, पीएसी, घुड़सवार पुलिस एवं अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया. संगम क्षेत्र में जल पुलिस, मोटर बोट और गोताखोरों की तैनाती कर स्नान घाटों पर लगातार निगरानी रखी गई.

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महाकुंभ में बने ये रिकॉर्ड्स
24 फरवरी के दिन करीब 15 हजार स्वच्छता कर्मियों ने 10 किलोमीटर क्षेत्र में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड इसे लेकर 28 फरवरी को फैसला दे सकता है. 14 फरवरी को नदी स्वच्छता का रिकॉर्ड बना गया था. उस दिन 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया था. गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में शामिल किया है. हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग के जरिए भी महाकुंभ में बना वर्ल्ड रिकॉर्ड. मेले में मंगलवार को हैंड प्रिंटिंग पेंटिंग में 10,109 हजार लोगों ने महज आठ घंटे में अपने पंजे का छापा लगाकर महाकुंभ के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने के साथ विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. मेला प्रशासन ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा जो कुंभ 2019 में बनाया गया था. 2019 में साढ़े सात हजार लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड बना था.